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बालोद भारत का पहला बाल विवाह मुक्त जिला बना (Balod Becomes India’s First Child Marriage-Free District) | UPSC Preparation

Balod Becomes India’s First Child Marriage-Free District

Balod Becomes India’s First Child Marriage-Free District

संदर्भ:

छत्तीसगढ़ सरकार ने घोषणा की है कि बालोद जिला अब देश का पहला ऐसा जिला बन गया है जिसे आधिकारिक तौर पर बाल विवाह मुक्त घोषित किया गया है। जिले की सभी 436 ग्राम पंचायतों और 9 शहरी निकायों को प्रमाण पत्र प्रदान किए गए, क्योंकि पिछले दो वर्षों में यहां बाल विवाह के कोई मामले नहीं सामने आए और सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो गई।

पृष्ठभूमि और अभियान:

‘बाल विवाह मुक्त भारत’ अभियान अगस्त 2024 में शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य देशभर में बाल विवाह को समाप्त करना है। यह पहल बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे अपनी सामाजिक नीति में प्राथमिकता दी और इसे राज्य के विकास कार्यक्रमों का हिस्सा बनाया।

अभियान में शामिल हैं:

  • कानूनी प्रवर्तन: बाल विवाह रोकने के लिए कड़े कानूनों का पालन।
  • जागरूकता अभियान: समुदायों में बाल विवाह के दुष्प्रभावों के प्रति समझ बढ़ाना।
  • सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय लोगों और संस्थाओं को अभियान में जोड़ना।

प्रमाणपत्र प्रक्रिया:

बाल विवाह-मुक्त स्थिति का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए सख्त सत्यापन प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसमें शामिल हैं:

  • पिछले दो वर्षों में कोई बाल विवाह नहीं होने की पुष्टि।
  • दस्तावेज़ों की जांच और कानूनी प्रक्रियाएँ पूरी करना।
  • प्रक्रिया में पारदर्शिता और विश्वसनीयता सुनिश्चित की जाती है।

इस तरह का प्रमाणपत्र न केवल शासन की सफलता को दर्शाता है, बल्कि समाज में बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा को भी मजबूत करता है।

महत्व:

  • बालोद का उपलब्धि: बालोद जिला भारत का पहला आधिकारिक रूप से प्रमाणित बाल विवाह-मुक्त जिला बन गया है।
  • राष्ट्रीय मानक: यह सामाजिक सुधार के लिए एक राष्ट्रीय बेंचमार्क स्थापित करता है।
  • संदेश का सशक्तिकरण: यह दिखाता है कि जमीनी स्तर की भागीदारी और सरकारी समर्थन मिलकर हानिकारक प्रथाओं को खत्म कर सकते हैं।
  • भविष्य की राह: इस सफलता से छत्तीसगढ़ को 2028-29 तक बाल विवाह-मुक्त राज्य बनाने की दिशा में मार्ग प्रशस्त होता है।

भारत मे सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  1. बाल विवाह निषेध अधिनियम (PCMA), 2006:
    • 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़कों के विवाह पर रोक।
    • धारा 16 के तहत राज्य सरकार को Child Marriage Prohibition Officers (CMPOs) नियुक्त करने का अधिकार।
  2. जुवेनाइल जस्टिस (देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015:
    • उन बच्चों की सुरक्षा के लिए प्रावधान जो विवाह की उम्र पूरी होने से पहले विवाह के खतरे में हों।
  3. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना (2015):
    • लिंग आधारित रूढ़ियों और पुत्रवादी परंपराओं को चुनौती देने के उद्देश्य से।
    • इसमें लड़कियों के जन्म का जश्न, सुकन्या समृद्धि खाता और बाल विवाह रोकना शामिल है।
  4. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR): बाल कल्याण समितियों (CWC), पुलिस, महिला एवं बाल विकास विभाग और नागरिक समाज संगठनों के साथ मिलकर बाल विवाह रोकने के लिए गतिविधियाँ।
  5. बाल विवाह रोकने के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना: जोखिम में बच्चों का समर्थन, बेहतर डेटा संग्रह, जागरूकता कार्यक्रम और राज्य तथा स्थानीय सरकारों के बीच मजबूत समन्वय।
  6. आपातकालीन आउटरीच सेवाएँ: CHILDLINE (1098): संकट में बच्चों के लिए 24×7 टेलीफोन सेवा, जिसमें बाल विवाह रोकना भी शामिल।
  7. राज्य सरकारों की साझेदारी (UNICEF और अन्य NGOs के साथ):
    • उदाहरण: बिहार में UNICEF स्थानीय धार्मिक नेताओं और कथावाचकों को प्रशिक्षण दे रहा है, साथ ही युवाचार्यों की टीम बना रहा है जो गांव स्तर पर बाल विवाह रोकने की गतिविधियों में मदद करे।

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