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बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका (Habeas Corpus Petition) | Ankit Avasthi Sir

Habeas Corpus Petition

Habeas Corpus Petition

संदर्भ:

जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की पत्नी, ने उनके राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत हिरासत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दाखिल की है।

याचिका की पृष्ठभूमि (Background on the Petition):

याचिका का उद्देश्य (What it Challenges):

  • आंगमो (Angmo) ने अपने पति सोनम वांगचुक (Sonam Wangchuk) की तत्काल रिहाई की मांग की है।
  • याचिका में कड़ा कानून (NSA – National Security Act) लागू कर उनकी गिरफ्तारी को अवैध (Unlawful) और “जादू-टोना अभियान (Witch-hunt)” बताया गया है।
  • उसने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि अधिकारियों को उसके पति की स्थिति और गिरफ्तारी के कारण सार्वजनिक रूप से बताने का निर्देश दें।

NSA के तहत हिरासत (Detention under NSA):

  • तारीख: 26 सितंबर 2025 को सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया गया।
  • स्थान: बाद में उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल, राजस्थान स्थानांतरित किया गया।
  • पृष्ठभूमि: हिरासत 24 सितंबर 2025 को लद्दाख में हुए हिंसक विरोध प्रदर्शनों के बाद हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हुई थी।

सरकारी आरोप (Official Allegations):

  • सरकार का दावा है कि वांगचुक के उत्तेजक बयानों (Provocative Statements)” ने हिंसा को बढ़ावा दिया।
  • अधिकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि उनका पाकिस्तानी खुफिया अधिकारी के साथ संबंध है।
  • आंगमो ने इन आरोपों को सार्वजनिक रूप से खारिज किया है।

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA), 1980 –

  • प्रवर्तन: 23 सितंबर 1980 को।
  • उद्देश्य: भारत की रक्षा, सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था, विदेश संबंध और आवश्यक सेवाओं की सुरक्षा के लिए रोकथामात्मक हिरासत
  • रोकथामात्मक हिरासत: अपराध रोकने के लिए, पूर्व अपराध के लिए नहीं।
  • प्राधिकरण: केंद्र और राज्य सरकार; जिला मजिस्ट्रेट/पुलिस आयुक्त राज्य सरकार की अनुमति से हिरासत दे सकते हैं।
  • अवधि: अधिकतम 12 महीने, नए सबूत मिलने पर बढ़ाई जा सकती है।
  • हिरासत में अधिकार: हिरासत के कारण बताए जाते हैं, सरकार को आपत्ति दर्ज कर सकते हैं, हाईकोर्ट सलाहकार बोर्ड समीक्षा करता है, कानूनी प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।

हैबियस कॉर्पस (Habeas Corpus) – परिचय:

अर्थ (Meaning):

  • हैबियस कॉर्पस का शाब्दिक अर्थ है शरीर को सामने लाना (to have the body of)
  • यह एक आदेश (Court Order) है, जिसके तहत अदालत उस प्राधिकारी या व्यक्ति को निर्देश देती है जो किसी अन्य व्यक्ति को हिरासत में रख रहा है, कि वह हिरासत में रखे गए व्यक्ति को अदालत में पेश करे।

सांवैधानिक आधार (Constitutional Basis):

  • अनुच्छेद 32 (Supreme Court) और अनुच्छेद 226 (High Courts) के तहत उपलब्ध।
  • यह व्यक्तियों को अवैध हिरासत (Illegal Detention) के खिलाफ चुनौती देने और तत्काल रिहाई (Immediate Release) की मांग करने का अधिकार देता है।
  • यह कार्यपालिका के दुरुपयोग और मनमानी गिरफ्तारी के खिलाफ एक महत्वपूर्ण संवैधानिक सुरक्षा उपाय है।

उद्देश्य (Purpose):

  • व्यक्तिगत स्वतंत्रता (Personal Liberty) की रक्षा करना।
  • मनमाने या अवैध हिरासत (Arbitrary or Unlawful Detention) के खिलाफ सुरक्षा।
  • आदेश निजी (Private) और सार्वजनिक (Public) दोनों प्राधिकरणों के खिलाफ जारी किया जा सकता है।

जारी करने की सीमाएँ (Limitations on Issuance):

  1. जब हिरासतकानूनी (Lawful) हो।
  2. अदालत या विधान सभा केअवमानना (Contempt) के मामलों में।
  3. जब हिरासतयोग्य अदालत (Competent Court) द्वारा आदेशित हो।
  4. यदि हिरासत में लिया गया व्यक्ति आदेश देने वाली अदालत के क्षेत्राधिकार के बाहर हो।

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