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नीति आयोग ने विदेशी निवेश को बढ़ावा देने के लिए कर नीति कार्य पत्र जारी किया (NITI Aayog Launches Tax Policy Working Paper to Boost Foreign Investment) | UPSC

NITI Aayog Launches Tax Policy Working Paper to Boost Foreign Investment

NITI Aayog Launches Tax Policy Working Paper to Boost Foreign Investment

संदर्भ:

NITI आयोग ने NITI Tax Policy Working Paper Series में अपना पहला पेपर जारी किया है। इसका उद्देश्य विदेशी निवेशकों के लिए कर पूर्वानुमान (tax predictability) को बेहतर बनाना है। पेपर में Permanent Establishment और लाभ विभाजन  नियमों में सुधार के प्रस्ताव शामिल हैं, जो भारत के Vision 2047 विकास लक्ष्यों का समर्थन करेंगे।

अंतरराष्ट्रीय कराधान पर कार्यपत्र: प्रमुख प्रस्ताव:

  1. वैकल्पिक अनुमानित कराधान योजना:
    • विदेशी कंपनियों के लिए उद्योग-विशिष्ट अनुमानित कराधान का विकल्प प्रस्तावित।
    • कंपनियां अपनी भारत में कुल आय का 5% से 30% तक कर चुकाने का चयन कर सकती हैं, उद्योग के आधार पर।
    • इससे जटिल ऑडिट कम होंगे, अनुपालन आसान होगा, विवाद घटेंगे और लागत कम होगी।
    • इस योजना में शामिल विदेशी कंपनियों को “Safe Harbour” सुरक्षा मिलेगी, यानी कर प्राधिकरण यह विवाद नहीं करेगा कि कंपनी का भारत में स्थायी प्रतिष्ठान (PE) है या नहीं।
  2. स्थायी प्रतिष्ठान (PE) पर कानूनी स्पष्टता:
    • PE की परिभाषा और लाभ आवंटन पर स्पष्ट कानूनी दिशानिर्देश देने का प्रस्ताव।
    • वर्तमान में PE पर विविध व्याख्याएँ और विकसित न्यायशास्त्र लंबी कर विवादों का कारण बनते हैं।
  3. विवाद समाधान को मजबूत करना: कर विवादों को तेजी से सुलझाने के लिए Advance Pricing Agreement और Mutual Agreement Procedure  कार्यक्रमों का विस्तार।
  4. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सुधार:
    • भारत की कर प्रथाओं को OECD और UN जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप लाना।
    • इससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और दोहरे कराधान से बचाव होगा।
  5. सहभागी और पारदर्शी नीति निर्माण:
    • इस कार्यपत्र का विकास सरकारी संस्थाओं (CBDT, DPIIT), पेशेवर संस्थानों (ICAI) और उद्योग विशेषज्ञों (Deloitte, EY) के व्यापक परामर्श के बाद हुआ।
    • यह नीति निर्माण में पारदर्शिता और हितधारकों की राय को महत्व देने की प्रतिबद्धता दर्शाता है।

महत्व और संभावित प्रभाव:

प्रस्तावित ढांचा एक भविष्य उन्मुख पहल है, जिसका उद्देश्य भारत में विदेशी निवेश और कर प्रणाली को मजबूत करना है। इसके संभावित प्रभाव इस प्रकार हैं:

  1. निवेशक विश्वास में वृद्धि: करों में स्पष्टता और पूर्वानुमेयता प्रदान करके विदेशी निवेशकों को लंबे समय तक पूंजी निवेश के लिए प्रोत्साहित करना।
  2. व्यापार करने में आसानी (Ease of Doing Business) में सुधार: अनुपालन बोझ और कर विवादों को कम करना, जिससे भारत की Ease of Doing Business रैंकिंग सुधारने में मदद मिले।
  3. उच्च गुणवत्ता वाला FDI आकर्षित करना: अधिक स्थायी और गुणवत्ता वाले विदेशी निवेश को आकर्षित करना, जो भारत के Vision 2047 आर्थिक विकास लक्ष्यों के लिए आवश्यक है।

आगामी वित्त विधेयकों में संभावित प्रभाव: वित्त मंत्रालय इन सिफारिशों पर विचार कर सकता है, जिससे भारत की विदेशी निवेशकों के लिए कर नीति में महत्वपूर्ण सुधार और बदलाव संभव हो सकते हैं।

Permanent Establishment (PE) और Profit Attribution क्या हैं?

  1. Permanent Establishment (PE):
    • यह वह स्थिति है जब किसी विदेशी कंपनी को भारत में स्थायी उपस्थिति माना जाता है, जैसे कार्यालय, शाखा, या डिजिटल व्यवसाय के माध्यम से संचालन।
    • यदि PE मौजूद है, तो कंपनी को भारत में कर देना अनिवार्य होता है।
  2. Profit Attribution (लाभ आवंटन):
    • यह निर्धारित करना कि कंपनी के कुल लाभ का कितना हिस्सा भारत में कराधान के अंतर्गत आएगा।
    • यह जटिल हो जाता है जब व्यवसाय का संचालन भारत और विदेश दोनों में होता है।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विदेशी कंपनियों के भारत में किए गए व्यवसाय पर उचित कर लगाया जाए।

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