India formally upgrades technical mission in Kabul to embassy

संदर्भ:
भारत ने अफगानिस्तान के काबुल में अपने “टेक्निकल मिशन“ को औपचारिक रूप से पूर्ण दूतावास (Embassy) का दर्जा दे दिया है। विदेश मंत्रालय (MEA) द्वारा जारी घोषणा के अनुसार, यह फैसला तत्काल प्रभाव से लागू होगा। यह कदम भारत और अफगानिस्तान के बीच कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन माना जा रहा है।
पृष्ठिभूमि:
भारत ने अफगानिस्तान में अपने राजनयिक मिशन को तकनीकी दफ्तर से पूर्ण दूतावास का दर्जा देने का निर्णय लिया है। यह फैसला अक्टूबर 2025 की शुरुआत में अफगान विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी की भारत यात्रा के बाद लिया गया है।
- भारत ने अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया था और काबुल स्थित दूतावास को बंद कर दिया था।
- जून 2022 में भारत ने एक तकनीकी टीम को फिर से तैनात किया, ताकि मानवीय सहायता और वीजा से जुड़ी सेवाओं में सहयोग मिल सके।
अपग्रेड से जुड़ी मुख्य बातें:
- उद्देश्य: इस कदम से भारत-अफगानिस्तान के बीच विकास, मानवीय सहायता और क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहराई देने की प्रतिबद्धता झलकती है।
- नेतृत्व: अपग्रेडेड दूतावास का नेतृत्व एक राजनयिक करेंगे जिन्हें Chargé d’affaires के स्तर पर नियुक्त किया जाएगा।
- मान्यता की स्थिति: यह कदम भारत और अफगानिस्तान के बीच राजनयिक जुड़ाव को बढ़ाने का संकेत है, लेकिन यह तालिबान शासन की औपचारिक मान्यता नहीं है।
- पारस्परिकता: अफगानिस्तान भी चरणबद्ध तरीके से भारत में अपने राजनयिक भेजने की योजना बना रहा है, ताकि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाया जा सके।
भारत–अफगानिस्तान संबंध:
भारत और अफगानिस्तान के संबंध सिंधु घाटी सभ्यता के समय से चले आ रहे हैं। दोनों देशों के बीच संबंध केवल सरकारों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और मानवीय जुड़ाव पर आधारित हैं।
स्वतंत्रता के बाद की शुरुआत:
- जनवरी 1950 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और अफगानिस्तान के तत्कालीन राजदूत मोहम्मद नजीबुल्लाह के बीच पांच वर्षीय मैत्री संधि पर हस्ताक्षर हुए, जिससे दोनों देशों के औपचारिक संबंधों की शुरुआत हुई।
- भारत उन पहले गैर-सम्यवादी देशों में से एक था जिसने 1979 में सोवियत आक्रमण के बाद अफगानिस्तान की सरकार को स्वीकार किया।
2021 के बाद भारत–अफगान संबंध:
- अगस्त 2021: काबुल में तालिबान के कब्जे के बाद भारत ने ऑपरेशन देवी शक्ति के तहत अपने राजनयिकों को निकालकर दूतावास बंद कर दिया।
- मान्यता नहीं, लेकिन संवाद जारी: भारत ने तालिबान शासन को औपचारिक मान्यता नहीं दी, परंतु मानवीय सहायता और तकनीकी टीम के माध्यम से व्यावहारिक जुड़ाव बनाए रखा।
- जून 2022: भारत ने काबुल में दूतावास को “टेक्निकल टीम” के साथ फिर से खोला, ताकि सहायता परियोजनाओं की निगरानी की जा सके।
- भारत ने संयुक्त राष्ट्र के माध्यम से खाद्यान्न, दवाइयाँ, वैक्सीन और सर्दियों के कपड़े भेजे।
- 2023: भारत ने मॉस्को फॉर्मेट और SCO अफगान संपर्क समूह जैसे मंचों पर संवाद बनाए रखा, परंतु औपचारिक मान्यता से परहेज किया।
व्यापार और वाणिज्यिक संबंध:
- प्राचीन काल से अफगानिस्तान भारत से मध्य एशिया तक के व्यापार मार्ग (सिल्क रूट) का द्वार रहा है।
- वर्तमान में भारत, अफगानिस्तान को चाबहार पोर्ट और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन कॉरिडोर (INSTC) के माध्यम से एक रणनीतिक भूमि सेतु के रूप में देखता है।
- भारत, दक्षिण एशिया में अफगानिस्तान का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदारों में से एक है।
- अफगानिस्तान से भारत को निर्यात: सूखे मेवे, ताजे फल, मसाले, औषधीय जड़ी-बूटियाँ।
- भारत से अफगानिस्तान को निर्यात: दवाइयाँ, वस्त्र, मशीनरी, चीनी, सीमेंट और चाय।
- 2015-16 में द्विपक्षीय व्यापार:5 मिलियन डॉलर (भारत से 526.6 मिलियन डॉलर का निर्यात और 307.9 मिलियन डॉलर का आयात)।
- 2021 से पहले: द्विपक्षीय व्यापार5 बिलियन डॉलर वार्षिक स्तर पार कर गया था।
