India Moves up to 9th Position Globally in Forest Area

संदर्भ:
भारत वैश्विक वन क्षेत्र में नौवें स्थान पर पहुँच गया है, और वार्षिक शुद्ध वन वृद्धि में तीसरा स्थान भी बनाए रखा है। संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) की नवीनतम रिपोर्ट में इस उपलब्धि को सरकार की नीतियों और बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियानों से जोड़ा गया है।
मुख्य तथ्य:
- वर्तमान रैंक: वैश्विक स्तर पर कुल वन क्षेत्र में 9वां स्थान।
- पिछला रैंक: पिछली आकलन रिपोर्ट में 10वां स्थान।
- कुल वन क्षेत्र: भारत का वन क्षेत्र लगभग 74 मिलियन हेक्टेयर है, जो विश्व के कुल वनों का लगभग 2% है।
- वार्षिक शुद्ध वृद्धि: भारत ने वार्षिक शुद्ध वन क्षेत्र वृद्धि में तीसरा स्थान बनाए रखा है, 2015 से 2025 के बीच हर साल लगभग 1,91,000 हेक्टेयर की वृद्धि हुई।
- वैश्विक शीर्ष देश: रूस, ब्राजील, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन शीर्ष पांच देश हैं, जिनके पास विश्व के कुल वनों का आधा से अधिक हिस्सा है।
- संदर्भ: 1990 से 2025 तक केवल एशिया महाद्वीप में कुल वन क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई, जिसमें मुख्य योगदान भारत और चीन का रहा।
सुधार के कारण: इस सुधार के पीछे मुख्य कारण हैं:
- सरकार की संरक्षण नीतियाँ।
- राज्य सरकारों द्वारा संचालित विशाल वृक्षारोपण अभियान।
- सामुदायिक भागीदारी पहलें, जैसे “एक पेड़ माँ के नाम” अभियान।
- ध्यान देने योग्य है कि भारत में वन क्षेत्र की परिभाषा व्यापक है, जिसमें प्लांटेशन, बाग, और बांस शामिल हैं। कुछ पारिस्थितिकीविदों का मानना है कि यह प्राकृतिक वन आवरण की सख्त परिभाषा की तुलना में थोड़ा अलग तस्वीर पेश कर सकता है।
मुख्य महत्व और निहितार्थ:
- जलवायु परिवर्तन में योगदान: वन क्षेत्र के विस्तार से देश की प्राकृतिक कार्बन शोषण क्षमता बढ़ती है, जो भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने राष्ट्रीय निर्धारित योगदान (NDCs) को पूरा करने में मदद करता है। इसमें 2030 तक अतिरिक्त 5–3.0 बिलियन टन CO2 समतुल्य कार्बन सिंक बनाने का लक्ष्य शामिल है।
- जैव विविधता संरक्षण: वन भारत के समृद्ध और अनोखे पौधों और जीव-जंतुओं के लिए महत्वपूर्ण आवास हैं, जिनमें लुप्तप्राय प्रजातियाँ भी शामिल हैं। हाल के राष्ट्रीय रिपोर्टों में बहुत घने वन क्षेत्र में वृद्धि ने सफल पुनर्जनन और संरक्षण प्रयासों को दर्शाया है, जो देश की व्यापक जैव विविधता का समर्थन करते हैं।
सरकारी पहल और वन संरक्षण उपाय:
- ‘एक पेड़ माँ के नाम’ अभियान: नागरिकों को पेड़ लगाने और पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रेरित करने में यह अभियान महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- राष्ट्रीय हरित भारत मिशन (GIM): राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत यह मिशन वन आवरण बढ़ाने और मौजूदा वन की गुणवत्ता सुधारने के लिए काम करता है, जिससे जलवायु परिवर्तन से निपटा जा सके।
- कम्पेन्सेटरी अफॉरेस्टेशन फंड अधिनियम (2016): अधिनियम गैर-वन उपयोग के लिए वन भूमि उपयोगकर्ताओं को वनरोपण और संबंधित गतिविधियों के लिए क्षतिपूर्ति शुल्क देने का प्रावधान
- ईको–सेंसिटिव ज़ोन (ESZs): संरक्षित क्षेत्रों (राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य) के आसपास स्थापित ज़ोन जो संवेदनशील पारिस्थितिकी पर मानवीय गतिविधियों के नकारात्मक प्रभाव को कम करने के लिए एक बफ़र क्षेत्र के रूप में कार्य करते हैं।
- संयुक्त वन प्रबंधन (JFM): यह कार्यक्रम राज्य वन विभागों और स्थानीय समुदायों के बीच साझेदारी को बढ़ावा देता है, ताकि वन संसाधनों की सुरक्षा और पुनर्जनन सुनिश्चित किया जा सके।
निष्कर्ष:
भारत की वैश्विक वन रैंकिंग में प्रगति देश की पर्यावरणीय स्थिरता और हरित विकास के प्रति प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि करती है। आने वाले वर्षों में इस प्रगति को बनाए रखने और बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक वन प्रबंधन, स्थानीय सहभागिता और जलवायु-सहिष्णु पारिस्थितिकी पुनर्स्थापन पर निरंतर ध्यान देना आवश्यक होगा।
