RBI proposes 70% financing for acquisitions
संदर्भ:
भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने एक ड्राफ्ट सर्कुलर जारी किया है, जिसमें बैंकों के पूंजी बाजार और कॉर्पोरेट अधिग्रहणों में जोखिम को प्रबंधित करते हुए क्रेडिट वृद्धि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सीमाएँ निर्धारित करने का प्रस्ताव रखा गया है।
मुख्य प्रस्ताव (Key Proposals):
- पूंजी बाजार में जोखिम (Capital Market Exposure):
- बैंकों का कुल exposure (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष – जैसे फंड, गारंटी के माध्यम से) Tier-1 capital का 40% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- Tier-1 capital में शामिल हैं:
- इक्विटी (Equity)
- संचित लाभ (Retained Earnings)
- कुछ ऐसे उपकरण (instruments) जो नुकसान सहन कर सकते हैं।
- अधिग्रहण वित्तपोषण (Acquisition Financing / Loans for Buying Companies):
- अधिग्रहण वित्तपोषण पर बैंकों का exposure Tier-1 capital का 10% से अधिक नहीं होना चाहिए।
- बैंक अधिग्रहण सौदे का अधिकतम 70% तक वित्तपोषण कर सकते हैं; शेष 30% अधिग्रहण करने वाली कंपनी द्वारा होना चाहिए।
- केवल सूचीबद्ध कंपनियाँ (listed entities) जिनकी नेट वर्थ और लाभप्रदता (profitability) पिछले तीन वर्षों में संतोषजनक हो, पात्र होंगी।
- लोन पूरी तरह target company के शेयरों से सुरक्षित (fully secured) होना चाहिए, ताकि जरूरत पड़ने पर बैंक पैसा वसूल कर सके।
- गैर–बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) के लिए संशोधित जोखिम–भार दिशानिर्देश (Revised Risk-Weight Guidelines):
- अवसंरचना (infrastructure) लोन के लिए संशोधित जोखिम–भार दिशानिर्देश प्रस्तावित किए गए हैं।
- इसका उद्देश्य स्थापित परियोजनाओं (established projects) के लिए लोन देने वाले NBFCs के पूंजी आवश्यकता (capital requirement) को कम करना है।

