Rani Chennamma

संदर्भ:
कर्नाटक के कित्तूर में ‘कित्तूर रानी चेनम्मा उत्सव’ का तीन दिवसीय आयोजन शुरू हुआ है। यह उत्सव रानी चेनम्मा के साहस और वीरता को सम्मानित करने के लिए मनाया जाता है, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ बहादुरी से संघर्ष किया था।
परिचय:
- वे ब्रिटिश शासन के खिलाफ विद्रोह करने वाली भारत की शुरुआती शासकों में से एक थीं — यह 1857 के विद्रोह (Revolt of 1857) से कई दशक पहले हुआ था।
- आज उन्हें कर्नाटक के गर्व (symbol of Karnataka’s pride) और प्रारंभिक नारीवादी प्रतीक के रूप में याद किया जाता है।
विद्रोह:
- ब्रिटिश अधिग्रहण रोकने के लिए चेनम्मा ने अपने रिश्तेदार के पुत्र को गोद लेकर उत्तराधिकारी (adopted heir) घोषित किया।
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी (British East India Company) ने इस गोद लेने को अस्वीकार कर दिया, जो बाद में बने Doctrine of Lapse (लॉर्ड डलहौज़ी की नीति) का शुरुआती उदाहरण था।
- सत्ता खोने के खतरे के सामने उन्होंने आत्मसमर्पण के बजाय प्रतिरोध का रास्ता चुना।
- उन्हें कैद (imprisoned) किया गया और 1829 में कैद में ही मृत्यु हो गई।
विरासत:
- सामाजिक (Social)
- वे एक फेमिनिस्ट (feminist) और राष्ट्रवादी प्रतीक (nationalist icon) थीं, जिन्होंने आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित किया।
- ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ने वाली पहली महिला स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थीं।
- ऐतिहासिक (Historical): उन्होंने दक्षिण भारत में ब्रिटिश विरोधी आंदोलनों की शुरुआत की।
- सांस्कृतिक: उनका नाम कर्नाटक की लोककथाओं (Karnataka’s folklore) और जनस्मृति में आज भी जीवित है।
