SIR 2.0 to Begin in 12 States and Uts

संदर्भ:
भारत निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) के दूसरे चरण की शुरुआत की है। इस चरण में तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, केरल और पुडुचेरी जैसे आगामी चुनाव वाले प्रदेश भी शामिल हैं। इस पुनरीक्षण अभियान के तहत लगभग 51 करोड़ मतदाताओं को कवर किया जाएगा।
मुख्य बिंदु – विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण (SIR) 2025
- उद्देश्य (Objective):
- चुनाव आयोग का लक्ष्य है कि मतदाता सूची (Electoral Roll) पूरी तरह त्रुटि-रहित (Error-Free) हो।
- सुनिश्चित किया जाए कि कोई पात्र मतदाता छूटे नहीं और कोई अपात्र मतदाता शामिल न हो।
- शामिल राज्य और केंद्रशासित प्रदेश: यह प्रक्रिया इन राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में लागू होगी: उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, मध्य प्रदेश, राजस्थान, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, तथा लक्षद्वीप।
- चयन के कारण: इन राज्यों/UTs को इसलिए चुना गया क्योंकि:
-
- यहाँ उच्च प्रतिशत में मतदाताओं का डिजिटल मानचित्रण हुआ है।
- प्रशासनिक तैयारी अच्छी है – प्रशिक्षित BLOs, जिला मजिस्ट्रेट (DMs) और ERO (Electoral Registration Officers) मौजूद हैं।
- अपवर्जन (Excluded States):
- महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार, स्थानीय निकाय चुनाव 31 जनवरी 2026 तक कराए जाने हैं, इसलिए SIR से बाहर रखा गया।
- केरल: स्थानीय निकाय चुनावों पर चर्चा जारी है, अधिसूचना जारी नहीं हुई है।
- प्रक्रिया और सत्यापन मानदंड (Process & Verification Norms):
- देशभर में SIR के दौरान नागरिकों को कोई दस्तावेज जमा नहीं करना होगा।
- नामांकन फॉर्म (Enrolment Form) में अब एक नया कॉलम जोड़ा गया है — जिसमें माता-पिता या रिश्तेदार का विवरण (2002–2004 की SIR से) दर्ज किया जाएगा।
- जो मतदाता लिंक नहीं हो पाएंगे, उन्हें नोटिस जारी कर अपनी पात्रता प्रमाणित करनी होगी।
- आधार कार्ड (Aadhaar) केवल पहचान पत्र (Identity Proof) के रूप में मान्य होगा, पात्रता के प्रमाण के रूप में नहीं।
- डिजिटलीकरण और ट्रेसिंग:
- लगभग70–80% मतदाता पुराने रजिस्टर (2002–2004) से डिजिटल रूप से जोड़े जा सकेंगे।
- प्रत्येक मतदाता कोकेवल एक हस्ताक्षरित फॉर्म जमा करना होगा।
विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण:
परिचय: SIR एक केंद्रित और समयबद्ध प्रक्रिया है, जिसमें बूथ स्तर अधिकारी घर-घर जाकर मतदाताओं की पुष्टि करते हैं।
- इसका उद्देश्य है — मतदाता सूची कोसटीक, समावेशी और त्रुटि-रहित बनाना।
- इस प्रक्रिया मेंनए मतदाताओं का पंजीकरण, पुराने नामों का विलोपन और जानकारी में संशोधन किया जाता है।
विधिक आधार (Legal Provision):
- जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950कीधारा 21 (Section 21) के तहत चुनाव आयोग (ECI) को मतदाता सूची तैयार करने और उसमें संशोधन करने का अधिकार है।
- इस धारा के अनुसार, आयोग किसी भी समयविशेष पुनरीक्षण करा सकता है, बशर्ते कारण दर्ज किए जाएँ।
संवैधानिक आधार (Constitutional Basis):
- अनुच्छेद 324 (Article 324):चुनाव आयोग को चुनावों और मतदाता सूची की तैयारी पर निगरानी और नियंत्रण का अधिकार देता है।
- अनुच्छेद 326 (Article 326):सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Suffrage) का प्रावधान करता है — यानी 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हर नागरिक को मत देने का अधिकार है, जब तक कि वह किसी अपराध, भ्रष्टाचार या मानसिक अक्षमता के कारण अयोग्य न हो।
पिछले पुनरीक्षण:
- SIRपहले कई वर्षों में विभिन्न राज्यों में आयोजित किए गए — 1952–56, 1957, 1961, 1965, 1966, 1983–84, 1987–89, 1992, 1993, 1995, 2002, 2003, और 2004।
- बिहार (Bihar)में अंतिम विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण साल 2003 में हुआ था।
