Darbar Move

संदर्भ:
चार वर्ष के अंतराल के बाद, जम्मू–कश्मीर सरकार ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में द्विवार्षिक दरबार मूव (Darbar Move) परंपरा को फिर से शुरू किया है। वर्ष 2025 में अधिकारी और सरकारी कार्यालय गर्मियों की राजधानी श्रीनगर से सर्दियों की राजधानी जम्मू की ओर स्थानांतरित होना प्रारंभ हुए हैं। यह ऐतिहासिक प्रथा आखिरी बार 2021 में लागू की गई थी।
दरबार मूव (Darbar Move): जम्मू–कश्मीर की ऐतिहासिक प्रशासनिक परंपरा–
परिभाषा: दरबार मूव जम्मू-कश्मीर की एक द्विवार्षिक परंपरा थी, जिसके तहत राज्य सरकार और प्रमुख प्रशासनिक कार्यालयों को साल में दो बार राजधानी बदलनी होती थी — गर्मी में श्रीनगर और सर्दी में जम्मू।
इतिहास:
- इस परंपरा की शुरुआत 1872 में महाराजा रणबीर सिंह ने की थी।
- उद्देश्य था श्रीनगर की कठोर सर्दियों से बचना और राज्य के दोनों क्षेत्रों में प्रशासनिक पहुंच सुनिश्चित करना।
समाप्ति (2021):
- जून 2021 में जम्मू-कश्मीर के लेफ्टिनेंट गवर्नर प्रशासन ने इस परंपरा को समाप्त कर दिया।
- इस निर्णय से हर साल लगभग ₹200 करोड़ की बचत होने का अनुमान लगाया गया।
- अब “ई–ऑफिस प्रणाली” के तहत दोनों शहरों में सालभर काम डिजिटल रूप में होता है।
विवाद और आलोचना:
- आलोचकों ने कहा कि इस कदम से जम्मू और कश्मीर के बीच संबंध कमजोर होंगे।
- साथ ही, इससे स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं — विशेषकर ट्रांसपोर्ट, होटल और छोटे कारोबारों — को नुकसान हुआ।
दरबार मूव की बहाली का प्रभाव:
आर्थिक प्रभाव:
- जम्मू की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा: दरबार मूव की वापसी से जम्मू की सर्दियों की अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिलेगा। 2021 में परंपरा रुकने के बाद होटलों, परिवहन सेवाओं और बाजारों में गतिविधि कम हो गई थी।
- लागत को लेकर चिंता: विरोधियों का कहना है कि इस कदम से सरकार पर भारी वित्तीय बोझ पड़ेगा, क्योंकि हर साल दफ्तरों और कर्मचारियों के स्थानांतरण पर काफी खर्च होता है।
- कर्मचारियों की मिली–जुली राय: कुछ कर्मचारी इसे क्षेत्रीय जुड़ाव बनाए रखने का साधन मानते हैं, जबकि अन्य इसे पारिवारिक जीवन में व्यवधान पैदा करने वाला बताते हैं।
राजनीतिक और सांस्कृतिक प्रभाव:
- प्रतीकात्मक महत्व: दरबार मूव की बहाली को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक परंपरा की पुनर्स्थापना के रूप में देखा जा रहा है, जो जम्मू और कश्मीर के बीच प्रशासनिक एकता का प्रतीक थी।
- राजनीतिक संदेश: मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सरकार ने अपने चुनावी वादे के तहत दरबार मूव को बहाल किया है, जिससे विशेषकर जम्मू क्षेत्र के मतदाताओं से राजनीतिक जुड़ाव मजबूत हुआ है।
- कार्यक्षमता पर सवाल: आलोचकों का मानना है कि डिजिटल युग में जब ई-ऑफिस प्रणाली उपलब्ध है, तो दफ्तरों का भौतिक रूप से स्थानांतरण अप्रभावी और पुरानी प्रथा है।
मुख्य विशेषताएँ (दरबार मूव की बहाली):
- समय–सारणी: अब सरकारी दफ्तर और कर्मचारी हर साल मई से अक्टूबर तक श्रीनगर में और नवंबर से अप्रैल तक जम्मू में कार्य करेंगे।
- लॉजिस्टिक्स: इस बड़े पैमाने की प्रक्रिया में हजारों कर्मचारियों, सरकारी फाइलों, दस्तावेज़ों और कंप्यूटरों को जम्मू–श्रीनगर हाईवे के ज़रिए ट्रकों व बसों से ले जाया जाता है। इस दौरान सुरक्षा और व्यवस्थागत तैयारियों की विशेष ज़रूरत होती है।

