Nipah virus

संदर्भ:
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने निपाह वायरस के विरुद्ध स्वदेशी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) विकसित करने और निर्माण हेतु योग्य भारतीय कंपनियों से रुचि अभिव्यक्ति (EoI) आमंत्रित की है। यह पहल देश की घातक निपाह संक्रमण के प्रति प्रतिक्रिया क्षमता को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, विशेष रूप से स्थानीय रूप से विकसित उपचार के सफल पशु परीक्षणों के बाद।
ICMR की पहल के प्रमुख तथ्य:
- पृष्ठभूमि: भारत में 2001 से अब तक कई बार निपाह वायरस के प्रकोप दर्ज किए गए हैं, विशेष रूप से केरल राज्य में। इस वायरस की मृत्यु दर बहुत अधिक है, जिससे यह एक गंभीर ज़ूनोटिक खतरा बन गया है। वर्तमान में निपाह वायरस के लिए कोई लाइसेंस प्राप्त वैक्सीन या एंटीवायरल उपचार विश्व स्तर पर उपलब्ध नहीं है।
- स्वदेशी विकास की आवश्यकता:
- एक प्रयोगात्मक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (4) ने उपचार में आशाजनक परिणाम दिखाए हैं और केरल में मानवीय आधार (compassionate protocol) पर उपयोग की गई थी।
- हालांकि, वैक्सीन उम्मीदवारों के लाइसेंस प्राप्त होने में अभी कई वर्ष लग सकते हैं।
- ऐसे में स्वदेशी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) का विकास भारत के लिए सबसे व्यवहारिक और त्वरित समाधान माना जा रहा है।
- उद्देश्य: इस पहल का लक्ष्य भारत की संक्रामक रोगों से निपटने की क्षमता को मजबूत करना और निपाह वायरस के विरुद्ध प्रभावी उपचार का स्वदेशी उत्पादन सुनिश्चित करना है।
ICMR की भूमिका और पहल का उद्देश्य:
- ICMR की भूमिका:
- भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने अपने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV), पुणे के माध्यम से उन्नत प्रयोगात्मक कार्य और सफल पशु परीक्षण पूरे कर लिए हैं।
- ICMR चयनित औद्योगिक साझेदारों को अनुसंधान, विकास और निर्माण की पूरी प्रक्रिया में तकनीकी मार्गदर्शन और विशेषज्ञ सहयोग प्रदान करेगा।
- ICMR-NIV के पास अत्याधुनिक BSL-3 और BSL-4 प्रयोगशालाएं हैं, जिन्हें प्रीक्लिनिकल अध्ययन और वैक्सीन उम्मीदवारों के विकास में उपयोग किया जाएगा।
EoI (Expression of Interest) का उद्देश्य:
- योग्य भारतीय संगठनों, कंपनियों और निर्माताओं को आमंत्रित करना ताकि वे ICMR के साथ मिलकर स्वदेशी मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) का विकास और निर्माण कर सकें।
- यह साझेदारी वाणिज्यिक उत्पादन को तेज करने और भविष्य के प्रकोपों के दौरान स्थानीय आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होगी।
मोनोक्लोनल एंटीबॉडी (mAbs) के रूप में उपचार:
- ये प्रयोगशाला में तैयार किए गए प्रोटीन अणु हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली की प्राकृतिक एंटीबॉडी की तरह काम करते हैं और हानिकारक रोगजनकों से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- इन्हें संक्रमण के बाद की रोकथाम या प्रारंभिक उपचार के रूप में दिया जा सकता है।
- mAbs रोग की शुरुआत को रोकने और रोगियों में वायरल लोड को कम करने की क्षमता रखते हैं।
निपाह वायरस (Nipah Virus – NiV): प्रमुख जानकारी
वायरस का परिचय:
- निपाह वायरस (NiV) एक पैरामाइक्सोवायरस है, जो जानवरों से इंसानों में फैलने वाला (जूनोटिक) रोगजनक है।
- यह गंभीर और कभी-कभी घातक वायरल संक्रमण है, जिसकी मृत्यु दर 40% से 75% तक हो सकती है।
- इसका पहला प्रकोप 1998 में मलेशिया में दर्ज किया गया था, जिसके बाद बांग्लादेश और भारत में भी इसके कई प्रकोप सामने आए।
संक्रमण का स्रोत:
- यह वायरस फल खाने वाले चमगादड़ों (Pteropus bats) से मनुष्यों या अन्य जानवरों (जैसे सूअर) में फैल सकता है।
- संक्रमित व्यक्ति के शारीरिक तरल पदार्थों के संपर्क में आने से मानव-से-मानव संक्रमण भी संभव है।
निपाह वायरस के लक्षण:
संक्रमण के कुछ दिनों बाद लक्षण दिखाई देते हैं।
- प्रारंभिक लक्षण फ्लू जैसे होते हैं, जिनमें शामिल हैं: तेज बुखार, गंभीर सिरदर्द, चक्कर आना और भ्रम, सांस लेने में तकलीफ, उल्टी, गर्दन में अकड़न
- गंभीर मामलों में: मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस), दौरे, कोमा और मृत्यु तक की स्थिति हो सकती है।
