India-New Zealand Free Trade Agreement

संदर्भ:
भारत और न्यूजीलैंड के बीच मुक्त व्यापार समझौते (FTA) की चौथी दौर की वार्ता आज ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) में शुरू हुई। यह दौर 3 से 7 नवंबर 2025 तक चलेगा और दोनों देशों के बीच संतुलित, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभदायक साझेदारी को आगे बढ़ाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

भारत–न्यूज़ीलैंड मुक्त व्यापार समझौता (FTA) वार्ता की पृष्ठभूमि और मुख्य बिंदु:
पृष्ठभूमि: वर्तमान दौर की यह वार्ता पहले की चर्चाओं और मार्च 2025 में न्यूज़ीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सन की भारत यात्रा से उत्पन्न सकारात्मक माहौल पर आधारित है।
- 16 मार्च 2025 को भारत केवाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूज़ीलैंड के व्यापार एवं निवेश मंत्री टॉड मैकक्ले के बीच इस FTA वार्ता की औपचारिक शुरुआत हुई थी।
- इससे पहले 2010 से 2015 के बीच हुए समझौते के प्रयासन्यूज़ीलैंड के डेयरी निर्यात से जुड़े बाज़ार पहुँच (market access) के मुद्दों के कारण रुक गए थे।
वर्तमान वार्ता के प्रमुख मुद्दे:
- सामान और सेवाओं का व्यापार: बाज़ार पहुँच को बढ़ाने और लंबित व्यापारिक समस्याओं को सुलझाने पर चर्चा चल रही है।
- मूल देश के नियम: यह तय करते हैं कि किसी उत्पाद मेंस्थानीय सामग्री (local content) का कितना हिस्सा होना चाहिए ताकि उसे शुल्क लाभ मिल सके।
- डेयरी निर्यात (Dairy Exports):
- न्यूज़ीलैंड भारत के विशाल डेयरी बाज़ार में प्रवेश पाना चाहता है।
- जबकि भारत अपनीघरेलू डेयरी उद्योग और छोटे किसानों के हितों की रक्षा करना चाहता है।
समझौते के लक्ष्य:
- एक संतुलित, व्यापक और पारस्परिक रूप से लाभकारी व्यापार समझौता करना।
- आर्थिक सहयोग को मजबूत बनाना,
- द्विपक्षीय व्यापार (FY25 में लगभग 1.3 बिलियन डॉलर) को बढ़ावा देना,
- निवेश प्रवाह को आसान बनाना, और
- आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता को बढ़ाना।
मुक्त व्यापार समझौते (FTAs):
परिभाषा: मुक्त व्यापार समझौते (FTAs) दो या अधिक देशों के बीच ऐसे व्यापक व्यापारिक समझौते होते हैं जिनका उद्देश्य शुल्क (tariffs) और आयात-निर्यात प्रतिबंधों (import/export restrictions) जैसे व्यापार अवरोधों को कम या समाप्त करना होता है। इन समझौतों के तहत सदस्य देशों को विशेष बाज़ार पहुँच (preferential market access) मिलती है, जिसमें शुल्क रियायतें और गैर-शुल्क बाधाओं में कमी शामिल होती है।
मुख्य विशेषताएँ:
- FTAs मेंसामान के व्यापार (Trade in Goods) — जैसे कृषि और औद्योगिक उत्पाद — तथा सेवाओं के व्यापार (Trade in Services) — जैसे बैंकिंग, आईटी, निर्माण आदि — को शामिल किया जाता है।
- उन्नत FTAs में निवेश (Investment), बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property Rights – IPRs), सरकारी खरीद (Government Procurement) और प्रतिस्पर्धा नीति (Competition Policy) जैसे अतिरिक्त अध्याय भी होते हैं।
व्यापार समझौतों के प्रकार:
- आंशिक दायरा समझौता (Partial Scope Agreement – PSA): सीमित संख्या के उत्पादों पर केंद्रित।
- मुक्त व्यापार समझौता (FTA): सदस्य देशों के बीच शुल्क कम करता है, लेकिन गैर-सदस्य देशों के लिए हर देश अपनी अलग शुल्क नीति रख सकता है।
- सीमा शुल्क संघ: सदस्य देशों के बीच व्यापार मुक्त होता है और गैर-सदस्य देशों के लिएसाझा बाहरी शुल्क (Common External Tariff) लागू होता है।
- सामान्य बाज़ार: वस्तुओं, सेवाओं और उत्पादन के साधनों (factors of production) कीमुक्त आवाजाही (free movement) की अनुमति देता है।
- आर्थिक संघ: सदस्य देशमौद्रिक (monetary) और विनिमय दर (exchange rate) नीतियों में समन्वय स्थापित करते हैं।
