India first digital tribal freedom fighter museum

संदर्भ:
1 नवंबर 2025 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में भारत के पहले जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय का उद्घाटन किया। यह संग्रहालय “शहीद वीर नारायण सिंह स्मारक और जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय” के नाम से स्थापित किया गया है।
संग्रहालय की विशेषताएँ:
- यह ₹50 करोड़ की लागत से निर्मित एक पूर्णतः डिजिटल संग्रहालय है।
- इसमें आदिवासी संस्कृति, लोककला, और स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को डिजिटल रूप में संजोया गया है।
- इस संग्रहालय में ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) और वर्चुअल टूर के माध्यम से इतिहास को अनुभव कर की सुविधा भी दी गई हैं।
- यह पहल जनजातीय कार्य मंत्रालय (Ministry of Tribal Affairs) के सहयोग से की गई है।
- संग्रहालय में शहीद वीर नारायण सिंह के जीवन की झलकियां 3D डिजिटल प्रस्तुति और इंटरैक्टिव स्क्रीन के माध्यम से दिखाई जाएंगी।
- इसमें सरगुजा कारीगरों द्वारा लकड़ी पर नक्काशीदार प्रवेश द्वार बनवाया गया है।
- इसमें छत्तीसगढ़ के हल्बा और सरगुजा जैसे प्रमुख विद्रोहों पर प्रकाश डाला गया है। जहां बिरसा मुंडा और गेंद सिंह जैसे आदिवासी नेताओं की मूर्तियां भी शामिल हैं।
शहीद वीर नारायण सिंह का योगदान:
- परिचय: शहीद वीर नारायण सिंह (1795–1857) छत्तीसगढ़ के सोनाखान क्षेत्र के जमींदार थे। उन्होंने गरीबों को अकाल के समय अनाज उपलब्ध कराया और अंग्रेजों की लूट नीति का विरोध किया।
- विद्रोह: वे 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ब्रिटिश अत्याचारों के खिलाफ आवाज उठाने वाले पहले आदिवासी नायक माने जाते हैं।
- शहादत: कुछ स्थानीय जमींदारों की गद्दारी के कारण, उन्हें 10 दिसंबर 1857 को, उन्हें रायपुर के जयस्तंभ चौक पर फाँसी दे दी गई।
- विरासत: छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके सम्मान में अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का नाम रखा है। उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रथम स्वतंत्रता सेनानी और प्रथम शहीद माना जाता है। सरकार ने उनके नाम पर शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान की स्थापना भी की।
