BIMReN

संदर्भ:
भारत ने 4 से 6 नवम्बर 2025 तक कोच्चि में BIMSTEC-India Marine Research Network (BIMReN) का प्रथम द्विवार्षिक सम्मेलन आयोजित किया। यह सम्मेलन भारत की ब्लू इकॉनॉमी (Blue Economy) के क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को और सशक्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
बिम्सटेक-इंडिया मरीन रिसर्च नेटवर्क (BIMReN)
- BIMReN की घोषणा 2022 में की गई और इसे आधिकारिक रूप से 2024 में शुरू किया गया। इसका कार्यान्वयन विदेश मंत्रालय (MEA) तथा Bay of Bengal Programme Inter-Governmental Organisation (BOBP-IGO) के सहयोग से किया जा रहा है।
- 2022 के कोलंबो BIMSTEC शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने इस पहल की घोषणा की थी।
- यह पहल संस्थागत साझेदारी (institutional collaboration) को बढ़ावा देती है, जिसमें संयुक्त अनुसंधान अनुदान (twinning research grants) और split-site PhD fellowship programmes शामिल हैं।
- अब तक BIMReN में 25 संस्थानों और 50 से अधिक शोधकर्ताओं को शामिल किया जा चुका हैं।
उद्देश्य
- BIMReN का उद्देश्य बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में समुद्री अनुसंधान को बढ़ावा देना और सतत समुद्री संसाधन प्रबंधन के लिए संयुक्त प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।
- युवा शोधकर्ताओं के बीच क्षेत्रीय स्तर पर वैज्ञानिक नेटवर्क का निर्माण करना है।
- Neighbourhood First, Act East, Indo-Pacific और MAHASAGAR (Mutual and Holistic Advancement for Security and Growth Across Regions) नीतियों के लक्ष्यों के अनुरूप सामूहिक सहयोग बढ़ाना है।
महत्व
- बंगाल की खाड़ी विश्व के मछली उत्पादन का लगभग 6% योगदान देती है और विश्व के एक-तिहाई से अधिक मत्स्य नौकाएँ इस क्षेत्र में सक्रिय हैं। BIMReN इस क्षेत्र में सतत मत्स्य प्रबंधन और नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy) के विकास के लिए भारत की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता का प्रतीक है।
इसकी आवश्यकता क्यों?
- बंगाल की खाड़ी क्षेत्र जलवायु परिवर्तन, समुद्री प्रदूषण, और अत्यधिक मत्स्यन (overfishing) जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
- सदस्य देशों — भारत, बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड — के बीच साझा समुद्री संसाधनों का प्रबंधन और संरक्षण आवश्यक है।
- क्षेत्र की लगभग 25 करोड़ जनसंख्या प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से समुद्री संसाधनों पर निर्भर है।
- BIMReN इन देशों के बीच साझा अनुसंधान आधार (joint research base) तैयार कर रहा है जो दीर्घकालिक नीतिगत निर्णयों का समर्थन करेगा।
चुनौतियां
- सदस्य देशों के बीच तकनीकी क्षमता में असमानता और अनुसंधान संसाधनों की कमी।
- समुद्री डेटा और अनुसंधान परिणामों का समान साझाकरण (data sharing) सुनिश्चित करना अभी चुनौती है।
- जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न समुद्र स्तर वृद्धि, तटीय क्षरण (coastal erosion) और जैव विविधता ह्रास जैसी समस्याएं क्षेत्रीय स्तर पर नीति सामंजस्य की मांग करती हैं।
- वित्तीय संसाधनों और संस्थानिक निरंतरता की स्थिरता बनाए रखना भी आवश्यक है, ताकि BIMReN का प्रभाव दीर्घकालिक हो।
