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भारत सरकार का ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर मूल देश फ़िल्टर लागू करने का प्रस्ताव (Indian government proposes to implement country of origin filter on e-commerce platforms) | UPSC

Indian government proposes to implement country of origin filter on e-commerce platforms

Indian government proposes to implement country of origin filter on e-commerce platforms

संदर्भ:

भारत सरकार ने ऑनलाइन व्यापार प्लेटफॉर्म पर एक नया नियम लागू करने का प्रस्ताव रखा है, जिसके तहत हर उत्पाद के साथ उसके “मूल देश” की जानकारी फ़िल्टर के रूप में दिखाई जाएगी। यह कदम 2025 में उपभोक्ता मामलों के विभाग (DoCA) द्वारा जारी ड्राफ्ट लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) (सेकंड) संशोधन नियम, 2025 का हिस्सा है।

प्रस्तावित नियम

  • इस प्रस्ताव के अनुसार, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म को अपने डिजिटल इंटरफ़ेस में एक अलग “Country of Origin” फ़िल्टर जोड़ना होगा।
  • यह फ़िल्टर उपभोक्ताओं को यह सुविधा देगा कि वे केवल किसी विशेष देश के उत्पादों को खोज और क्रमबद्ध कर सकें।
  • नया उपनियम लीगल मेट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम, 2011 के नियम 6 में जोड़ा जाएगा।
  • यह नियम मुख्यतः आयातित पैकेज्ड वस्तुओं पर लागू होगा जो ऑनलाइन बेची जाती हैं।
  • जनता से इस प्रस्ताव पर 22 नवंबर 2025 तक सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद इसे अधिसूचित किया जाएगा।

उद्देश्य

  • सरकार का उद्देश्य उपभोक्ताओं को पारदर्शी और सटीक जानकारी उपलब्ध कराना है ताकि वे यह जान सकें कि कोई उत्पाद भारत में बना है या विदेश में।
  • यह नीति आत्मनिर्भर भारत अभियान से जुड़ी है, जो घरेलू निर्माण को प्रोत्साहित करने और आयात पर निर्भरता घटाने का लक्ष्य रखती है।
  • इस फ़िल्टर के माध्यम से उपभोक्ता भारतीय उत्पादों को आसानी से पहचान सकेंगे, जिससे स्थानीय उद्योगों को अधिक अवसर मिलेंगे।
  • ‘मेड इन इंडिया’ उत्पादों की पहचान आसान होने से स्थानीय उत्पादकों को प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिलेगी।

लाभ

  • 2025 में भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का दायरा बहुत बढ़ गया है। अब लाखों उपभोक्ता डिजिटल प्लेटफॉर्म से खरीदारी करते हैं। ऐसे में ‘Country of Origin’ फ़िल्टर से उपभोक्ताओं को उत्पाद की उत्पत्ति की स्पष्ट जानकारी मिलेगी। इससे “जानकारी के आधार पर खरीदारी” की संस्कृति विकसित होगी।
  • 2024-25 में भारत के विनिर्माण क्षेत्र में लगभग 7% की वृद्धि दर्ज की गई थी। यदि उपभोक्ता भारतीय वस्तुओं को प्राथमिकता देंगे, तो यह वृद्धि और तेज हो सकती है। इससे स्थानीय उद्योगों में रोजगार और उत्पादन क्षमता दोनों में सुधार होगा।

डिजिटल व्यापार हेतु सरकारी पहले 

  • GeM पोर्टल (2016): सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए।
  • ONDC नेटवर्क (2022): खुले नेटवर्क पर आधारित डिजिटल व्यापार को लोकतांत्रिक बनाने के लिए।
  • PMGDISHA योजना (2017): ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल साक्षरता बढ़ाने के लिए।
  • MSME-TEAM पहल (2024-27): छोटे उद्योगों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ने के लिए।
    ये योजनाएं मिलकर डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बना रही हैं और इस नए फ़िल्टर को लागू करने में तकनीकी आधार तैयार कर रही हैं।

चुनौतियाँ

  • अधिकांश उत्पादों का निर्माण कई देशों में होता है, जिससे “मूल देश” तय करना कठिन हो सकता है।
  • छोटे विक्रेताओं को अपने उत्पादों की जानकारी अपडेट करने में तकनीकी और आर्थिक कठिनाइयाँ आएंगी।
  • सरकार को निगरानी के लिए मज़बूत डिजिटल तंत्र और दंड व्यवस्था बनानी होगी, ताकि गलत जानकारी रोकी जा सके।

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