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सिलीगुड़ी कॉरिडोर के निकट नए सैन्य गैरीसन (New military garrisons near the Siliguri Corridor) | Ankit Avasthi Sir

New military garrisons near the Siliguri Corridor

New military garrisons near the Siliguri Corridor

संदर्भ:

सिलीगुड़ी कॉरिडोर, जो सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए अत्यंत संवेदनशील स्थलीय मार्ग है। हाल के वर्षों में बांग्लादेश की आंतरिक अस्थिरता और चीन की सीमा पर बढ़ती गतिविधियों के चलते भारत ने इस क्षेत्र में सैन्य उपस्थिति को और सुदृढ़ करने का निर्णय लिया है। इसी संदर्भ में तीन नए सैन्य गैरीसन स्थापित किए गए हैं।

नए सैन्य गैरीसन की स्थापना:

  • भारत ने चोपड़ा (पश्चिम बंगाल), किशनगंज (बिहार) और धुबरी (असम) में तीन पूर्णतः संचालित नए सैन्य गैरीसन स्थापित किए हैं। ये गैरीसन अंतरराष्ट्रीय सीमा के बिल्कुल समीप स्थित हैं, जिससे निगरानी, प्रतिक्रिया क्षमता और सैनिकों की त्वरित तैनाती में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।
  • लाचित बोर्फुकन सैन्य स्टेशन, धुबरी के बामुनिगांव क्षेत्र में, इन तीनों का प्रमुख गैरीसन होगा, जबकि चोपड़ा और किशनगंज को फॉरवर्ड बेस के रूप में विकसित किया गया है। नए गैरीसन इस समूचे गलियारे में 360 डिग्री निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को मजबूत करेंगे।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर के निकट मौजूदा सैन्य क्षमताएं:

इस क्षेत्र में पहले से ही त्रिशक्ति कोर (Tri-Shakti Corps) तैनात है, जिसका मुख्यालय सुकना (सिलीगुड़ी) में स्थित है। हाल ही में भारतीय वायुसेना द्वारा असम में उड़ान प्रदर्शन और भारतीय सेना का पूर्वी प्रचंड प्रहार अभ्यास इस क्षेत्र में सैन्य तत्परता के संकेतक हैं। प्रमुख सैन्य संपत्तियों में शामिल हैं:

  • राफेल लड़ाकू विमान (हासीमारा एयरबेस)
  • ब्रहमोस मिसाइल सिस्टम
  • S-400 एयर डिफेंस सिस्टम
  • MRSAM और आकाश मिसाइल सिस्टम

भारत की सीमा सुरक्षा संदर्भ में:

  • चीन की बढ़ती सीमा गतिविधियां: चीन ने LAC के निकट अरुणाचल प्रदेश की दिशा में सैन्य अवसंरचना और कठोर संरचनाओं का तेजी से विकास किया है। इससे सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर दबाव बढ़ा है और भारत को अपनी निगरानी क्षमता मजबूत करनी पड़ी है।
  • बांग्लादेश में हालिया राजनीतिक अस्थिरता: बांग्लादेश में शेख हसीना के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के फैसले के बाद राजनीतिक उथल-पुथल ने क्षेत्रीय सुरक्षा जोखिम बढ़ाए हैं। इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव भारत की पूर्वोत्तर सीमा सुरक्षा पर पड़ता है।
  • पाकिस्तान–बांग्लादेश सैन्य निकटता: हाल ही में एक पाकिस्तानी युद्धपोत का चटगांव बंदरगाह पर पहुंचना 1971 के बाद पहली ऐसी घटना थी। इस प्रकार का सैन्य समन्वय भारत के लिए सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाता है और कॉरिडोर की रक्षा को और महत्वपूर्ण बनाता है।
  • पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कनेक्टिविटी:;सिलीगुड़ी कॉरिडोर मात्र कुछ किमी चौड़ा है और पूर्वोत्तर को देश से जोड़ने वाला एकमात्र स्थलीय लिंक है। किसी भी आपात स्थिति में इस क्षेत्र पर खतरा राष्ट्रीय एकता और सामरिक हितों को सीधे प्रभावित कर सकता है।

सिलीगुड़ी कॉरिडोर का परिचय:

  • सिलीगुड़ी कॉरिडोर भारत के लिए एक अत्यंत रणनीतिक भूभाग है, जिसे सामान्यतः “चिकन नेक” (Chicken’s Neck) के नाम से जाना जाता है। 
  • यह एक संकीर्ण स्थल-भूभाग (narrow land corridor) है, जो भारत के मुख्य भूभाग को उसके सातों पूर्वोत्तर राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नगालैंड और त्रिपुरा—से जोड़ता है।
  • यह कॉरिडोर उत्तर बंगाल में स्थित है और अपनी सबसे संकरी जगह पर लगभग 22 किलोमीटर चौड़ा है। उत्तर में नेपाल, पूर्व में भूटान, दक्षिण में बांग्लादेश और दूर उत्तर-पूर्व में चीन की निकटता इसे अत्यधिक संवेदनशील बनाती है।
  • यह कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत में व्यापार, ऊर्जा परिवहन, सैन्य लॉजिस्टिक्स, और नागरिक आपूर्ति का मुख्य मार्ग है। रेल, सड़क और वायु-लॉजिस्टिक व्यवस्था इसी भूभाग के माध्यम से संचालित होती है।
  • भारत ने सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा के लिए ट्राई-शक्ति कोर (XXXIII Corps) को तैनात किया है, जिसका मुख्यालय सुकना (सिलीगुड़ी) में है।

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