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वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2026 में भारत 23वें स्थान पर (India ranked 23rd in the Global Climate Change Performance Index 2026) | UPSC

India ranked 23rd in the Global Climate Change Performance Index 2026

India ranked 23rd in the Global Climate Change Performance Index 2026

संदर्भ:

हाल ही में जारी Climate Change Performance Index (CCPI) 2026 रिपोर्ट में भारत का स्थान पिछले साल की तुलना में 13 स्थान नीचे 23वें स्थान पर आ गया है। इस प्रकार की गिरावट नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति के बावजूद उसकी रणनीतिक असंतुलन और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को उजागर करता है।

भारत का CCPI में प्रदर्शन: 

  • CCPI 2026 में भारत का स्कोर 61.31 है। 

  • भारत “उच्च प्रदर्शनकर्ता (High Performer)” श्रेणी से “मध्यम प्रदर्शनकर्ता (Medium)” श्रेणी में आ गया है।
  • GHG उत्सर्जन, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीति में भारत को “मध्यम” रेटिंग प्राप्त हुई है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा में “निम्न” रेटिंग मिली है। 
  • भारत ने जलवायु कार्रवाई के प्रति अपनी दीर्घकालिक प्रतिबद्धता स्पष्ट की है। ऊर्जा दक्षता को बढ़ाने के लिए 2006 से BEE उपकरण लेबलिंग कार्यक्रम तथा 2012 से उद्योगों के लिए PAT (Perform, Achieve and Trade) तंत्र जैसे प्रभावी उपाय लागू किए हैं।

इस गिरावट का मुख्य कारण क्या है? 

  • नवीकरणीय ऊर्जा में प्रगति लेकिन संतुलन की कमी: भारत ने नवीकरणीय ऊर्जा में उल्लेखनीय उन्नति की है — गैर-जीवाश्म स्रोतों ने स्थापित शक्ति क्षमता में 50 प्रतिशत का की सीमा को पूरा किया है। फिर भी, CCPI विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े ग्रिड-स्केल रिन्यूएबल परियोजनाओं में भूमि संघर्ष, विस्थापन और पानी की समस्या भी सामने आई है। 

  • कोयला नीती की अस्पष्टता: कोई राष्ट्रीय कोयला निष्कासन समयसारिणी नहीं है और नये कोयला ब्लॉकों की नीलामी जारी है। CCPI के अनुसार एक बाइंडिंग रोडमैप — जैसे “पीक कोयला वर्ष” और “कोयला इस्तेमाल में कमी” — अभी तक नहीं बना है।
  • न्यायपूर्ण संक्रमण (Just Transition) की कमी: रिपोर्ट में यह सुझाव भी दिया गया है कि कोयला क्षेत्र में केवल उत्सर्जन को कम करना ही पर्याप्त नहीं है; प्रभावित क्षेत्रों (कोयला उत्पादन राज्यों), श्रमिकों और आदिवासी समुदायों को शामिल करते हुए एक न्यायपूर्ण संक्रमण योजना तैयार करना आवश्यक है। 
  • कार्बन मूल्य संकेत कमजोर: जीवाश्म ईंधन सब्सिडी और सीमित कार्बन मूल्य नीति संकेतों ने इंफ्रास्ट्रक्चर कोल-इंफ्रास्ट्रक्चर लॉक-इन को बढ़ावा दिया है, जिससे दीर्घकालीन कम-कार्बन विकास क्षमता को सीमित किया जा रहा है। 

प्रभाव:

  • भूराजनीतिक प्रतिष्ठा पर दबाव: CCPI में गिरता रैंक भारत की वैश्विक जलवायु नेतृत्व की छवि पर सवाल खड़ा करता है, खासकर COP मंचों पर।
  • राष्ट्रीय नीति पुनरावृत्ति का अवसर: यह गिरावट एक स्पष्ट संकेत है कि नीतिगत घोषणा के साथ-साथ क्रियान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • निवेशकों और वित्तीय संस्थानों को संदेश: एक मजबूत कोयला निर्णय और स्पष्ट फॉसिल-फ्यूल रोडमैप तेजी से वित्तीय विश्वास बहाल कर सकते हैं और ग्रीन निवेश को आकर्षित कर सकते हैं।
  • न्यायपूर्ण स्विच रणनीति की जरूरत: कम कार्बन अर्थव्यवस्था में संक्रमण की प्रक्रिया समाज-आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को ध्यान में रखते हुए होनी चाहिए ताकि सामाजिक अस्थिरता और प्रतिरोध न बढ़े।

सुझाव:

  • समयबद्ध कोयला निष्कासन रोडमैप: भारत को एक कानूनी रूप से बाध्यकारी Peak Coal Year और No-New-Coal Date निर्धारित करना चाहिए।
  • फॉसिल सब्सिडी का पुनर्निर्देशन: जीवाश्म ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी को समुदाय-आधारित नवीकरणीय ऊर्जा में स्थानांतरित करना जरूरी है।
  • न्यायपूर्ण संक्रमण योजना तैयार करना: कोयला-निर्भर राज्यों, श्रमिकों और सामुदायिक हितधारकों को शामिल करते हुए एक विस्तृत ट्रांजिशन रणनीति बनानी चाहिए।
  • कुशल नवीकरणीय साइटिंग गाइडलाइन्स: भूमि-संवेदनशीलता, पारिस्थितिक प्रभाव और सामाजिक सुरक्षा के लिहाज़ से परियोजनाओं की मान्यता सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • बाध्यकारी क्षेत्रीय लक्ष्य: 2035 और 2040 के लिए सेक्टर-वार तथा राज्य-वार उत्सर्जन और नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, जिससे नीति में जवाबदेही बढ़े।

वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक (CCPI): क्या है?

  • परिचय: Climate Change Performance Index (CCPI) एक स्वतंत्र वार्षिक मूल्यांकन सूचकांक है जो दुनिया के प्रमुख देशों के जलवायु संरक्षण प्रदर्शन (Climate Protection Performance) का तुलनात्मक विश्लेषण करता है। सूचकांक के माध्यम से विभिन्न देश की वैश्विक जलवायु संकट से निपटने, उत्सर्जन घटाने और सतत ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में स्थिति को उजागर किया जाता हैं। CCPI की शुरुआत 2005 में हुई थी और आज यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक विश्वसनीय डाटा बन चुका है।
  • संस्थाएं: CCPI तीन प्रमुख अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से तैयार किया जाता है:  Germanwatch (जर्मनवॉच) – जर्मनी आधारित जलवायु और विकास नीति थिंक-टैंक। NewClimate Institute – जलवायु अनुसंधान और नीति विश्लेषण संगठन और Climate Action Network (CAN) International – 130 से अधिक देशों का वैश्विक NGO नेटवर्क।
  • मूल्यांकन: CCPI 63 देशों और यूरोपीय संघ (EU) का आकलन करता है। ये देश दुनिया के 90% से अधिक वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। इसमें देशों को चार श्रेणियों में रखा जाता है: High (उच्च), Medium (मध्यम), Low (निम्न) और Very Low (बहुत निम्न)।
  • संकेतक: CCPI (Climate Change Performance Index) का मूल्यांकन चार मुख्य श्रेणियों पर आधारित होता है: ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन, नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीतियां। इन श्रेणियों को अलग-अलग महत्व दिया गया है, जिनमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का सबसे अधिक वेटेज (40%) है, जबकि नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा उपयोग और जलवायु नीतियों का 20% वेटेज है। 

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