India first bullet train project
संदर्भ:
भारत में उच्च-गति रेल (High-Speed Rail) योजना के तहत मुंबई–अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है, जिसके प्रारंभिक खंड—सूरत से वापी के बीच 100 किलोमीटर—को अगस्त 2027 में संचालन के लिए तैयार करने की घोषणा हाल ही में की गई है।
भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना का परिचय:
- भारत की पहली बुलेट ट्रेन परियोजना एक 508 किलोमीटर लंबा हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर है, जो मुंबई से अहमदाबाद तक 12 प्रमुख स्टेशनों को जोड़ेगा।
- इसमें ट्रेनें अधिकतम 320 किमी/घंटा की गति से चलेंगी, जिससे यात्रा समय लगभग 6 घंटे से घटकर 2 घंटे रह जाएगा।
- इस मार्ग में 21 किमी लंबी अंडरग्राउंड सुरंग, जिसमें 7 किमी अंडरसी सेक्शन शामिल है, भारतीय इंजीनियरिंग क्षमता को वैश्विक स्तर का स्वरूप देगी।
- इस परियोजना का क्रियान्वयन राष्ट्रीय उच्च-गति रेल निगम लिमिटेड (NHSRCL) द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 में विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए स्थापित किया गया था।
इस परियोजना की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
भारत में हाई-स्पीड रेल की अवधारणा 2010 के दशक में गंभीर रूप से उभरी। इसके बाद दिसंबर 2015 में भारत और जापान ने दीर्घकालिक साझेदारी के तहत इस परियोजना के विकास पर समझौता किया। इसके बाद सितंबर 2017 में भूमि पूजन आयोजित किया गया।
परियोजना की वित्तीय संरचना:
इस परियोजना की अनुमानित लागत ₹1,08,000 करोड़ है। इसमें जापान 81% राशि अल्ट्रा-लो-सॉफ्ट लोन के रूप में दे रहा है, जिसके तहत ब्याज दर: 0.1%, पुनर्भुगतान अवधि: 50 वर्ष और ग्रेस पीरियड: 15 वर्ष रखा गया है।
परियोजना की विशेषताएँ:
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Shinkansen E5 तकनीक: परियोजना में जापान की अत्याधुनिक Shinkansen E5 तकनीक अपनाई गई है, जो उच्च गति, झटके-रहित यात्रा, ऊर्जा दक्षता और उच्चतम सुरक्षा मानकों के लिए जानी जाती है। इस तकनीक के माध्यम से 320 किमी/घंटा तक गति, एयरोडायनामिक “डकबिल” नोज़ डिज़ाइन की क्षमता विकसित की जा सकती हैं।
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उन्नत सुरक्षा प्रणाली: जापानी ट्रेन प्रणालियों का Zero-Fatality रिकॉर्ड परियोजना में शामिल किया गया है। जिसमें मुख्य सुरक्षा तत्व— ऑटोमेटिक ट्रेन कंट्रोल (ATC) ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन (ATP) और भूकंप संवेदनशील सेंसर, जो झटके महसूस होते ही ट्रेन को रोकते हैं।
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समर्पित हाई-स्पीड रेल कॉरिडोर: ट्रैक पूरी तरह स्वतंत्र है, जिससे मालगाड़ी या धीमी ट्रेन संचालन का प्रभाव नहीं पड़ता।
मार्ग में कई ऊंचे पुल और गहरी सुरंगें शामिल हैं, जिससे भू-भाग और मौसम की चुनौतियों को संतुलित किया जा सके।
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आधुनिक स्टेशन अवसंरचना: स्टेशन डिजाइन में— मल्टीमोडल इंटीग्रेशन, स्वचालित टिकटिंग प्रणाली, दिव्यांगजन-अनुकूल संरचनाएँ, विस्तृत प्लेटफॉर्म और वेटिंग जोन शामिल किए जा रहे हैं।
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ऊर्जा-दक्ष ट्रेन सेट: हल्की एल्युमिनियम एलॉय संरचना, रेजेनेरेटिव ब्रेकिंग, उच्च दक्षता वाले पावर सिस्टम का उपयोग इसमें किया जा रहा है, ये तत्व पर्यावरणीय और संचालन लागत दोनों कम करते हैं।
परियोजना का महत्व:
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आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय विकास: महाराष्ट्र–गुजरात आर्थिक गलियारा भारत के GDP में 25% से अधिक योगदान देता है। आने वाले समय में बुलेट ट्रेन— व्यापारिक यात्राओं, उच्च-मूल्य सेवाओं, औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा देकर आर्थिक क्षेत्र को गतिशील बनाएगी।
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तकनीकी क्षमता का विकास: 300+ भारतीय इंजीनियर और तकनीशियन जापान में प्रशिक्षित हो चुके हैं। यह भारत में भविष्य की उच्च-गति रेल इंजीनियरिंग का आधार बनेगा।
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रोजगार सृजन: NHSRCL के अनुसार— 20,000+ प्रत्यक्ष रोजगार और 70,000+ अप्रत्यक्ष रोजगार का अनुमान है। इससे निर्माण, सेवा और विनिर्माण क्षेत्रों में वृद्धि होगी।
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भारत–जापान संबंध: यह परियोजना दिल्ली मेट्रो के बाद दोनों देशों के बीच सबसे बड़ी अवसंरचना साझेदारी है। यह रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी सहयोग को नई ऊंचाई देती है।
शिंकानसेन E5 प्रौद्योगिकी पर विशेष टिप्पणी:
E5 सीरीज में उपयोग की गई D-ATC प्रणाली वास्तविक समय में गति, दूरी और ट्रैक की स्थिति मापती है। इसकी सटीकता इतनी है कि समय पालन सेकंड स्तर तक मापा जाता है। इसमें एयरोडायनामिक नाक संरचना टनल बूम को न्यूनतम करती है और ऊर्जा खपत को कम करती है। इससे यात्रा अत्यंत सुरक्षित, शांत और आरामदायक बनती है।

