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भारतीय कला महोत्सव (Indian Arts Festival) | Ankit Avasthi Sir

Indian Arts Festival

Indian Arts Festival

संदर्भ:

21 नवंबर 2025 को राष्ट्रपति द्वारा सिकंदराबाद स्थित ‘राष्ट्रपति निलयम’ में भारतीय कला महोत्सव 2025 का उद्घाटन किया जाएगा। यह इस महोत्सव का दूसरा संस्करण है, जो पश्चिमी भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की लोक कला, खानपान, शिल्प और पारंपरिक विरासत को राष्ट्रीय स्तर पर प्रस्तुत कर सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करने का कार्य करता है।

भारतीय कला महोत्सव क्या है?

  • परिचय: भारतीय कला महोत्सव भारत की विविध सांस्कृतिक, कलात्मक, पाक और हस्तशिल्प परंपराओं को प्रदर्शित करने वाला एक राष्ट्रीय स्तर का उत्सव है। जो लगभग 8 से 10 दिनों तक आयोजित किया जाता है। इसमें विभिन्न राज्यों की लोककला, संगीत, नृत्य, चित्रकला, शिल्प और क्षेत्रीय व्यंजन एक ही मंच पर प्रस्तुत किए जाते हैं, जिससे सांस्कृतिक समन्वय और विरासत संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
  • उद्देश्य: भारतीय कला महोत्सव का मुख्य उद्देश्य भारत की विविध सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करना, उसे प्रोत्साहित करना और उत्तर-पूर्वी राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा—की विशिष्ट पहचान को व्यापक राष्ट्रीय चेतना के केंद्र में लाना है।
  • संस्थागत संरचना: यह महोत्सव राष्ट्रपति निलयम, विकास मंत्रालय (DoNER) और संस्कृति मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जाता है।

उत्तर-पूर्वी सांस्कृतिक धरोहर: 

उत्तर-पूर्वी भारत की सांस्कृतिक पहचान अत्यंत समृद्ध, विविध और लोक-आधारित है। 

  • लोक-नृत्य और संगीत: बिहू, चेराव, वांगला, पाईलम, लिंगपो, तांगटा आदि नृत्य–शैलियों की प्रस्तुतियाँ।
  • कला और हस्तशिल्प: बांस–कला, हथकरघा, बुनाई, बांस–बुनाई, कारीगरी, लकड़ी–शिल्प, पारंपरिक आभूषण।
  • पारंपरिक परिधान: असमिया मेखेला-चादर, नागा वारियर ब्रेस्टप्लेट, मेघालय का जैंशा, मणिपुरी फनैक।
  • व्यंजन–संस्कृति: स्मोक्ड मीट, बांस–अंकुर व्यंजन, हर्बल–क्यूज़ीन, मिलेट आधारित पकवान।

राष्ट्रपति निलयम क्या हैं?

राष्ट्रपति निलयम भारत के राष्ट्रपति का दक्षिण भारत में स्थित आधिकारिक विश्रामगृह और कार्यस्थल है, जो तेलंगाना के सिकंदराबाद के बोलारम क्षेत्र में स्थित है। यह 19वीं सदी में निर्मित एक ऐतिहासिक भवन है और पहले ब्रिटिश रेज़िडेंसी का हिस्सा था। यहाँ राष्ट्रपति दक्षिण भारत के दौरे के दौरान ठहरते हैं, आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित करते हैं और विभिन्न सांस्कृतिक आयोजनों व बैठकों में भाग लेते हैं।

इस महोत्सव का व्यापक महत्व:

  • सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा – यह विभिन्न राज्यों की कला, संगीत, नृत्य और परंपराओं को एक साझा मंच पर लाकर भारत की सांस्कृतिक विविधता में एकता को मजबूत करता है।
  • स्थानीय कलाकारों को राष्ट्रीय पहचान – क्षेत्रीय कलाकारों, शिल्पकारों और लोक प्रतिभाओं को पूरे देश के सामने प्रदर्शन का अवसर मिलता है, जिससे उनकी पहचान और आय दोनों बढ़ती हैं।
  • पारंपरिक व्यंजनों और हस्तशिल्प का संरक्षण – महोत्सव पारंपरिक खानपान, हस्तशिल्प और लोक शिल्प को प्रोत्साहित कर इन्हें भविष्य के लिए संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सांस्कृतिक कूटनीति को सुदृढ़ करना – राष्ट्रपति की उपस्थिति इसे औपचारिक प्रतिष्ठा देती है, जिससे भारतीय संस्कृति के वैश्विक प्रचार-प्रसार को विश्वसनीयता और प्रोत्साहन मिलता है।
  • पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा – इस तरह के आयोजनों से पर्यटकों का आकर्षण बढ़ता है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था, कारीगरों की बिक्री और सांस्कृतिक क्षेत्रों में रोजगार को समर्थन मिलता है।

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