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सिरपुर पुरातात्विक स्थल (Sirpur Archaeological Site) | UPSC

Sirpur Archaeological Site

Sirpur Archaeological Site

संदर्भ: 

छत्तीसगढ़ सरकार ने प्राचीन सिरपुर पुरातात्विक स्थल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संरक्षित विरासत के रूप में स्थापित करने के लिए इसे यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल कराने की तैयारी शुरू की है। महानदी के तट पर विकसित इस नगर की भौतिक संरचना, धार्मिक विविधता और समृद्ध स्थापत्य शैली भारत की प्राचीन शहरी संस्कृति की अनूठी झलक प्रस्तुत करती है।

सिरपुर पुरातात्विक स्थल का परिचय:

सिरपुर छत्तीसगढ़ का एक प्राचीन बहुधार्मिक नगरीय केंद्र है। यह स्थल अपने मंदिरों, विहारों, राजप्रासाद अवशेषों और उत्कृष्ट ईंट-निर्मित स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ हिंदू, बौद्ध और जैन स्थापत्य का अनूठा संगम मिलता है।

  • स्थान: सिरपुर छत्तीसगढ़ के महासमुंद ज़िले में स्थित है। यह महानदी नदी के तट पर बसा है। पुरातात्विक दृष्टि से यह मध्य भारत का एक प्रमुख नदी-आधारित शहरी केंद्र माना जाता है।
  • इतिहास: सिरपुर प्राचीनकाल में श्रीपुर/श्रिपुरा नाम से जाना जाता था। यह दक्षिण कोसल साम्राज्य की राजधानी था, जहाँ पाण्डुवंशी और बाद में सोमवंशी शासकों ने शासन किया।
  • खोज: सिरपुर के अवशेषों का प्रथम उल्लेख 1882 में मिलता है। इसकी पहचान प्रसिद्ध पुरातत्वविद् अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ने की, जो 1871 में ASI के प्रथम महानिदेशक थे। विस्तृत उत्खनन 1950 के दशक, 1990 के दशक और 2003 के बाद हुए।

सिरपुर का बहु-आध्यात्मिक सांस्कृतिक परिदृश्य: 

  • हिंदू स्थल: सिरपुर में 22 शिव मंदिर और पाँच विष्णु मंदिर मिले हैं जो उस काल की नागर शैली का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसमें लक्ष्मण मंदिर, 7वीं शताब्दी का उत्कृष्ट ईंट मंदिर की खोज की गई है।
  • बौद्ध केंद्र: सिरपुर एक प्रमुख बौद्ध केंद्र था जहाँ 10 बौद्ध विहार, विशाल प्रार्थना–सभागार, ध्यान कक्ष और खुदाई किए गए स्तूप मिले हैं। तिवरदेव महाविहार में स्थित बुद्ध प्रतिमा गुप्तोत्तर काल की मूर्तिशैली की महत्वपूर्ण कड़ी है।
  • जैन उपस्थिति: यहाँ तीन जैन विहार मिले हैं। जैन विहार की खुदाई में मिली खंडित मूर्तियाँ इस बात का समर्थन करती हैं कि यहाँ जैन धर्म का भी महत्वपूर्ण केंद्र था।

सिरपुर पुरातात्विक स्थल की विशेषताएँ: 

  • सुरंग टीला परिसर: यह ऊँचे मंच पर निर्मित विशाल परिसर है जिसमें 37 सीढ़ियों से प्रवेश होता है। इसकी पंचायतन शैली—एक मुख्य मंदिर के चारों ओर चार उपमंदिर—सिरपुर की उत्कृष्ट संरचनात्मक इंजीनियरिंग को प्रदर्शित करती है।
  • नगरीय संरचनाएँ: सिरपुर में उत्खनन से आवासीय परिसर, बाज़ार, राजमहल के अवशेष और परिष्कृत जल-प्रबंधन ढाँचे मिले हैं जो गुजरात के लोथल और उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती जैसे प्राचीन शहरी केंद्रों के समान हैं।
  • कला, शिल्प और मूर्तिकला: सिरपुर की मूर्तियाँ स्थानीय शिल्प-परंपरा, गुप्तोत्तर कला शैली और मध्य भारतीय सौंदर्य–मानकों का सुंदर मिश्रण प्रस्तुत करती हैं। मृदभाण्ड, प्रतिमाएँ, उत्कीर्णन और वास्तु–खंड क्षेत्र की समृद्ध कलात्मक विरासत को दर्शाते हैं।
  • व्यापारिक नेटवर्क: सिरपुर महानदी के किनारे स्थित होने के कारण मध्य भारत और पूर्वी भारत के व्यापार मार्गों का महत्वपूर्ण संगम था। यहाँ से रत्न, वस्त्र, धान्य और मसालों का व्यापार होता था।
  • बाजार परिसर: उत्खनन में मिले प्राचीन बाजार, दुकानों के अवशेष और गोदाम इस बात का प्रमाण हैं कि सिरपुर केवल धार्मिक केंद्र ही नहीं, बल्कि एक संपन्न आर्थिक–वाणिज्यिक नगरी भी था।

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