International Treaty on Plant Genetic Resources
संदर्भ:
हाल ही में पेरू में चल रही अंतरराष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन संधि (ITPGRFA) की वार्ताओं में भारत के नागरिक समाज संगठनों ने सरकार को “समझौता मसौदे” को अस्वीकार करने की मांग की है। इस मसौदे में कुछ ऐसे प्रावधान उल्लेखित है, जो बीज संप्रभुता, जैव-विविधता कानूनों, और राष्ट्रीय हितों के लिए उपयुक्त नहीं हैं।
अंतरराष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन संधि (ITPGRFA) क्या है?
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- परिचय: अंतरराष्ट्रीय पादप आनुवंशिक संसाधन संधि (ITPGRFA) एक कानूनी रूप से बाध्यकारी वैश्विक संधि है, जिसे खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने 2001 में अपनाया और 2004 में लागू किया। यह संधि विश्व खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने के और देशों के बीच पौध संसाधनों के आदान-प्रदान और जैव विविधता संरक्षण के लिए एक साझा ढांचा तैयार करती है।
- उद्देश्य: इसका उद्देश्य वैश्विक कृषि प्रणाली में मौजूद पौधों की आनुवंशिक विविधता का संरक्षण, उनका सतत उपयोग सुनिश्चित करना है। इसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाता है कि पौध आनुवंशिक संसाधनों का उपयोग सतत कृषि विकास, बेहतर फसल प्रजनन, और क्लाइमेट-रेज़िलिएंट किस्मों के विकास में किया जा सके।
- सदस्यता: 2004 में लागू हुई इस संधि के तहत वर्तमान में 149 से अधिक देश इसके सदस्य हैं, जिनमें भारत भी एक प्रमुख पक्षकार है। संधि का प्रशासन FAO के मुख्यालय रोम से संचालित होता है।
- बहुपक्षीय प्रणाली: यह एक Multilateral System of Access and Benefit-sharing (MLS) संधि है, जिसके अंतर्गत कुल 64 प्रमुख खाद्य फसलें और चारा प्रजातियाँ शामिल हैं। MLS वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं और किसानों को इन फसल सामग्रियों तक सुव्यवस्थित, सरल और किफ़ायती पहुंच प्रदान करता है।
- लाभ साझेदारी: संधि के तहत, यदि कोई संस्था या कंपनी MLS से प्राप्त आनुवंशिक सामग्री का उपयोग करके कोई व्यावसायिक उत्पाद विकसित करती है, तो उसे इसके लाभों को वित्तीय योगदान, तकनीक हस्तांतरण या क्षमता निर्माण कार्यक्रम द्वारा साझा करना अनिवार्य है।
- किसानों के अधिकार: ITPGRFA वैश्विक स्तर पर किसानों के अधिकारों को औपचारिक रूप से मान्यता देने वाली पहली संधि है। इसमें पारंपरिक रूप से संरक्षित बीजों को संरक्षित, उपयोग और अदल-बदल करने और किसानों को निर्णयकारी प्रक्रियाओं में भागीदारी का अधिकार दिया गया है।
ITPGRFA में भारत की भूमिका:
- योगदान: भारत MLS के अंतर्गत 9 फसलों और 26,563 एक्सेशन को सूचीबद्ध कर चुका है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय शोध समुदाय से सबसे अधिक आनुवंशिक संसाधन प्राप्त करने वाले देशों में शामिल है।
- वर्तमान विवाद: समझौता मसौदा दो प्रमुख बातों पर आधारित है: SMTA का संशोधित रूप अभी स्वीकार कर लिया जाए और MLS की फसल सूची को सभी फसलों तक अनिवार्य रूप से बढ़ाया जाए। लेकिन नागरिक समाज समूहों का कहना है कि यह भारत के Biological Diversity Act, 2002 और PPVFR Act, 2001 के विरुद्ध है। भारत का तर्क है कि बिना स्पष्ट आर्थिक ढांचे, लाभ-साझेदारी मॉडल, और ट्रैकिंग मैकेनिज्म के सभी फसलों को वैश्विक MLS सिस्टम में डालना उसकी बीज संप्रभुता (Seed Sovereignty) को कमजोर करेगा।
ITPGRFA का महत्व:
- यह संधि विश्व को तेजी से घटती फसल विविधता के संकट से उबारने में मदद करती है, क्योंकि पिछले 100 वर्षों में विश्व की 75% से अधिक किस्में समाप्त हो चुकी हैं। आधुनिक कृषि प्रणालियों में कीट-रोग प्रकोप, और पोषण सुरक्षा से निपटने हेतु विविध आनुवंशिक संसाधनों की उपलब्धता अत्यंत आवश्यक है।
- संधि के तहत Farmers’ Rights को विशेष स्थान दिया गया है। इसमें किसानों द्वारा पीढ़ियों से संरक्षित और विकसित किए गए बीजों, किस्मों और ज्ञान को वैश्विक कृषि का आधार माना जाता है और राज्यों को इन्हें संरक्षित करने का दायित्व सौंपा गया है।
- जलवायु परिवर्तन के दौर में, नए प्रकार की सूखा-सहिष्णु, हीट-टॉलरेंट और रोग-प्रतिरोधी किस्मों के विकास हेतु आनुवंशिक संसाधनों का मुक्त आदान-प्रदान आवश्यक है। यह संधि देशों के बीच सहयोग बढ़ाकर इस समस्या से निपटने में सहयोग करती है।

