NASA Lunar Fission Surface Energy Project

संदर्भ:
संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाल ही में घोषणा की है कि NASA 2030 के शुरुआती दशक तक Lunar Fission Surface Power Project के तहत चंद्रमा पर एक छोटा परमाणु रिएक्टर स्थापित करेगा।
चंद्र विखंडन सतह शक्ति परियोजना (Lunar Fission Surface Power Project) क्या है?
- परिचय: यह एक प्रस्तावित अंतरिक्ष ऊर्जा परियोजना है जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर परमाणु विखंडन (Nuclear Fission) आधारित स्थायी ऊर्जा स्रोत स्थापित करना है, जो आगे चलकर चंद्र मिशनों, भविष्य के मानव आवासों और वैज्ञानिक अनुसंधान स्टेशनों को लगातार, स्थिर और उच्च क्षमता वाली बिजली उपलब्ध करा सकेगा।
- उद्देश्य: Lunar Fission Surface Power Project का उद्देश्य चंद्रमा पर ऐसी विश्वसनीय और दीर्घकालिक ऊर्जा प्रणाली बनाना है। चंद्रमा पर 14 दिनों की लंबी रात, धूल तूफानों, और छाया वाले क्रेटरों के कारण सौर ऊर्जा अविश्वसनीय होती है, इसलिए फिशन आधारित ऊर्जा प्रणाली को सबसे व्यवहारिक विकल्प माना जा रहा है।
- संभावित स्थान: NASA चंद्र दक्षिण ध्रुव को रिएक्टर के लिए आदर्श मानता है क्योंकि यहां पानी की बर्फ, स्थायी छाया वाले क्षेत्र, और भविष्य के मानव आवास के लिए अनुकूल स्थल उपलब्ध हैं।
- तकनीकी ढांचा: परियोजना के तहत NASA एक Fission Surface Power System विकसित कर रहा है। यह रिएक्टर आकार में छोटा, सुरक्षित और स्वतः-संचालित होगा। यह चंद्रमा की कठोर परिस्थितियों—अत्यधिक तापमान, रेडिएशन, और वातावरण की अनुपस्थिति—में भी स्थिरता से कार्य करेगा।
- ऊर्जा उत्पादन क्षमता: फिशन रिएक्टर से मिलने वाली 100 kW बिजली जीवन-समर्थन प्रणालियों, आवास मॉड्यूल, संचार उपकरण, और शोध प्रयोगों को लगातार ऊर्जा प्रदान करेगी। यह निरंतर ऊर्जा चंद्र सतह पर रोवर्स, 3D प्रिंटर्स, और माइनिंग उपकरणों को भी बिजली दे सकेगी।
अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचा:
- Outer Space Treaty, 1967: यह परियोजना Outer Space Treaty (1967) के अनुरूप है, जो अंतरिक्ष के शांतिपूर्ण उपयोग की अनुमति देता है। यह परमाणु ऊर्जा के उपयोग को रोकता नहीं, बल्कि सुरक्षा, पारदर्शिता और सहयोग पर जोर देता है।
- UN Principles, 1992: संयुक्त राष्ट्र के 1992 के सिद्धांत अंतरिक्ष में परमाणु ऊर्जा के सुरक्षित उपयोग को आवश्यक बताते हैं, खासकर उन मिशनों के लिए जहां सौर ऊर्जा पर्याप्त नहीं होती।
- Artemis Accords: अमेरिका इन accords के माध्यम से वैज्ञानिक सहयोग, डेटा साझा करने, और स्पेस संसाधनों के जिम्मेदार उपयोग को बढ़ावा दे रहा है।
परियोजना का महत्व:
- भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा: अमेरिका का प्रयास चीन–रूस की 2035 तक चंद्रमा पर स्वतः संचालित परमाणु स्टेशन स्थापित करने की योजना के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है। इस दौड़ में आगे रहना नेतृत्व, नियम-निर्माण, और चंद्र संसाधनों की पहुँच के लिए महत्वपूर्ण है।
- रणनीतिक अवसंरचना निर्माण: चंद्रमा पर पहले ऊर्जा अवसंरचना तैयार करने से अमेरिका और उसके सहयोगियों को भविष्य में चंद्र संसाधनों के दोहन पर लाभ मिलेगा।
- मानव उपस्थिति का आधार: चंद्रमा पर भविष्य के मानव बेस, प्रयोगशालाएँ और आवास इसी प्रकार की विश्वसनीय ऊर्जा प्रणाली पर निर्भर करेंगे।
- चंद्र उद्योगों को शक्ति: यह परियोजना चंद्रमा पर खनन, ISRU (In-Situ Resource Utilization), निर्माण कार्य और रोबोटिक फैब्रिकेशन जैसे संभावित उद्योगों को आवश्यक बल देती है। जिससे भविष्य की चंद्र अर्थव्यवस्था की नींव तैयार होती है।
