Prime Minister visit to Jordan-Ethiopia-Oman
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिसंबर 2025 में जॉर्डन, इथियोपिया और ओमान की यात्रा आरंभ की। इस यात्रा का उद्देश्य पश्चिम एशिया और अफ्रीका में भारत के रणनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को सुदृढ़ करना है। यह भारत की सभ्यतागत कड़ियों, समकालीन साझेदारियों और वैश्विक दक्षिण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
जॉर्डन: पश्चिम एशिया का प्रवेश द्वार
- 15-16 दिसंबर, 2025 को जॉर्डन यात्रा भारत–जॉर्डन राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर ऐतिहासिक है। अम्मान में प्रधानमंत्री की किंग अब्दुल्ला द्वितीय, प्रधानमंत्री जाफ़र हसन और क्राउन प्रिंस अल हुसैन से वार्ता प्रस्तावित है। प्रमुख विषयों में आतंकवाद-रोधी सहयोग, ऊर्जा, व्यापार और क्षेत्रीय स्थिरता शामिल हैं।
- द्विपक्षीय व्यापार लगभग 2.8 अरब डॉलर के स्तर पर है। जॉर्डन, पश्चिम एशिया में भारत के लिए कनेक्टिविटी और स्थिर साझेदारी का महत्वपूर्ण केंद्र है।
इथियोपिया: अफ्रीका और वैश्विक दक्षिण का केंद्र
- 16-17 दिसंबर, 2025 को यह प्रधानमंत्री की इथियोपिया की पहली यात्रा है। अदीस अबाबा अफ्रीकी संघ का मुख्यालय है। यह यात्रा भारत की 2023 G20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ की स्थायी सदस्यता की पृष्ठभूमि में विशेष महत्व रखती है।
- प्रधानमंत्री, इथियोपिया प्रधानमंत्री अबी अहमद अली से वार्ता करेंगे और इथियोपियाई संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करेंगे। विषयों में लोकतांत्रिक अनुभव, विकास साझेदारी, क्षमता निर्माण और वैश्विक दक्षिण की साझा प्राथमिकताएँ शामिल हैं।
ओमान: रणनीतिक साझेदारी और ऊर्जा सुरक्षा
- 17-18 दिसंबर 2025 को ओमान यात्रा भारत–ओमान संबंधों के 70 वर्ष पूर्ण होने पर हो रही है। मस्कट में ओमान के सुल्तान के साथ वार्ता में रणनीतिक साझेदारी, व्यापार-निवेश, ऊर्जा, रक्षा सहयोग और प्रौद्योगिकी प्रमुख रहेंगे।
- रक्षा क्षेत्र में संयुक्त अभ्यास और लॉजिस्टिक सहयोग पर चर्चा संभावित है। ऊर्जा और हाइड्रोकार्बन सहयोग भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सुदृढ़ करता है। भारतीय प्रवासी समुदाय से संवाद आर्थिक-सांस्कृतिक सेतु को मजबूत करता है।
व्यापक रणनीतिक महत्व:
- यह यात्रा लिंक वेस्ट नीति, अफ्रीका पहल, और इंडो-पैसिफिक दृष्टि के साथ सुसंगत है। यह आपूर्ति शृंखलाओं के पुनर्संतुलन, क्षेत्रीय शांति और बहुध्रुवीय विश्व में भारत की भूमिका को सशक्त करती है।
- व्यापार विविधीकरण, ऊर्जा आयात का स्थायित्व, नई बाज़ार पहुँच, और आतंकवाद-रोधी सहयोग भारत के दीर्घकालिक हितों को साधे जाने का प्रयास हैं।

