Developed India Education Foundation Bill 2025
संदर्भ:
15 दिसंबर 2025 को केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने लोकसभा में विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान विधेयक, 2025 प्रस्तुत किया। यह विधेयक राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) के अनुरूप भारत की उच्च शिक्षा नियामक संरचना में मूलभूत परिवर्तन का मार्ग प्रशस्त करता है। विधेयक को संविधान की सातवीं अनुसूची की संघ सूची की प्रविष्टि 66 के अंतर्गत लाया गया है, जो उच्च शिक्षा में समन्वय और मानकों के निर्धारण से संबंधित है।
विधेयक का उद्देश्य:
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य भारत के उच्च शिक्षण संस्थानों (HEIs) को सशक्त बनाकर उन्हें शैक्षणिक उत्कृष्टता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा, और नवाचार के लिए सक्षम बनाना है। यह बहु-नियामक व्यवस्था से उत्पन्न अति-नियमन और दोहराव को समाप्त करने का प्रयास करता है।
विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान की संरचना:
विधेयक के तहत विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान को एक शीर्ष निकाय के रूप में स्थापित किया जाएगा। इसके अंतर्गत तीन स्वतंत्र परिषदें होंगी—
- शिक्षा मानक परिषद: न्यूनतम शैक्षणिक मानकों का निर्धारण
- शिक्षा विनियमन परिषद: मानकों का अनुपालन और निगरानी
- शिक्षा गुणवत्ता परिषद: स्वतंत्र प्रत्यायन (एक्रेडिटेशन) व्यवस्था
मौजूदा नियामक संस्थाओं का समावेशन:
- इस विधेयक के लागू होने पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम 1956, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद अधिनियम 1987, और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद अधिनियम 1993 को निरस्त किया जाएगा। इन सभी संस्थाओं के कार्य विकसित भारत शिक्षा अधिष्ठान के अंतर्गत आ जाएंगे। इससे नियमन की एकीकृत व्यवस्था स्थापित होगी।
प्रौद्योगिकी आधारित एकल खिड़की प्रणाली:
- विधेयक प्रौद्योगिकी-संचालित, फेसलेस और सिंगल विंडो प्रणाली का प्रावधान करता है। सभी HEIs को एक सार्वजनिक डिजिटल पोर्टल पर अपने शासन, वित्त, ऑडिट, अधोसंरचना, संकाय, पाठ्यक्रम और शैक्षणिक परिणामों का खुलासा करना होगा। यही डेटा प्रत्यायन का आधार बनेगा, जिससे पारदर्शिता और उत्तरदायित्व सुनिश्चित होगा।
संस्थागत स्वायत्तता और नवाचार:
- विधेयक में अच्छा प्रदर्शन करने वाले HEIs को अधिक शैक्षणिक और प्रशासनिक स्वायत्तता देने का प्रावधान है। इससे बहु-विषयक शिक्षा, अनुसंधान, और उद्यमिता को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों की वर्तमान स्वायत्तता को बनाए रखने की गारंटी भी दी गई है।
छात्र-केंद्रित सुधार:
- यह विधेयक सकल नामांकन अनुपात (GER) बढ़ाने, शिक्षा तक समान पहुंच, और समग्र शिक्षा को बढ़ावा देता है। छात्रों को HEIs के मूल्यांकन और रैंकिंग में संरचित फीडबैक के माध्यम से भागीदार बनाया जाएगा। साथ ही एक मजबूत शिकायत निवारण तंत्र स्थापित किया जाएगा।
वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुकूलन:
विधेयक में वैश्विक सर्वोत्तम शैक्षणिक प्रथाओं को भारतीय संदर्भ में अपनाने पर बल दिया गया है। इसका उद्देश्य भारतीय संस्थानों की अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता बढ़ाना, विदेशी छात्रों और शिक्षकों को आकर्षित करना तथा प्रतिभा पलायन को रोकना है।

