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लिटिल फुट जीवाश्म मानव पूर्वज की नई प्रजाति की संभावना (Little Foot fossil new species of human ancestor) | UPSC Preparation

Little Foot fossil new species of human ancestor

Little Foot fossil new species of human ancestor

संदर्भ:

हाल ही में प्रकाशित शोध अमेरिकन जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल एंथ्रोपोलॉजी में वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि दक्षिण अफ्रीका की स्टर्कफोंटेन गुफाओं से प्राप्त प्रसिद्ध जीवाश्म ‘लिटिल फुट’ (StW 573) मानव पूर्वज की नई प्रजाति हो सकती हैं। 

‘लिटिल फुट’ जीवाश्म का परिचय:

  • खोज: ‘लिटिल फुट’ जीवाश्म के पैर की हड्डियाँ 1994 में खोजी गई थीं। इसके बाद लगभग 20 वर्षों तक चले सावधानीपूर्ण उत्खनन के बाद यह अत्यंत पूर्ण कंकाल 2017 में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया गया। यह कार्य प्रसिद्ध जीवाश्म विज्ञानी रॉनल्ड क्लार्क के नेतृत्व में हुआ।

  • आयु: इस जीवाश्म की आयु लगभग 36.7 लाख वर्ष आंकी गई है, जो इसे प्रसिद्ध ‘लूसी’ जीवाश्म (32 लाख वर्ष) से भी पुराना बनाती है। यह अब तक खोजे गए सबसे पूर्ण होमिनिन कंकालों में से एक है, जिसमें 90 प्रतिशत से अधिक हड्डियाँ सुरक्षित हैं।

  • मोज़ेक विकास का उदाहरण: ‘लिटिल फुट’ में पेड़ों पर चढ़ने के लिए मजबूत मांसपेशियाँ और सीधे चलने के लिए विकसित घुटने पाए गए हैं। यह मोज़ेक विकास का उदाहरण है, जिसमें अलग-अलग शारीरिक लक्षण अलग गति से विकसित हुए।

  • आवासीय अनुकूलन: इसकी संरचना बताती है कि यह प्रजाति वन और सवाना दोनों पर्यावरणों में अनुकूलन करने में सक्षम थी, जो जीवित रहने की महत्वपूर्ण रणनीति रही होगी।

वर्गीकरण पर विवाद:

  • पूर्व मान्यताएँ: प्रारंभ में ‘लिटिल फुट’ को ऑस्ट्रालोपिथेकस प्रोमीथियस से जोड़ा गया था, जबकि कई वैज्ञानिकों ने इसे ऑस्ट्रालोपिथेकस अफ्रीकानस माना। ये दोनों प्रजातियाँ दक्षिण अफ्रीका में 30 से 19.5 लाख वर्ष पूर्व पाई जाती थीं।

  • नया शोध: डॉ. जेसी मार्टिन के नेतृत्व में हुए नए अध्ययन के अनुसार, ‘लिटिल फुट’ में ऐसी विशिष्ट शारीरिक विशेषताएँ नहीं हैं जो इसे इन दोनों ज्ञात प्रजातियों में स्पष्ट रूप से शामिल कर सकें। इससे यह संभावना उभरती है कि यह जीवाश्म अब तक अज्ञात एक अलग होमिनिन प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है।

मानव विकास के लिए महत्व:

  • यह खोज इस धारणा को मजबूत करती है कि मानव विकास सीधी रेखा में नहीं, बल्कि बहु-शाखीय (बुशी) स्वरूप में हुआ। एक ही समय और क्षेत्र में एक से अधिक मानव प्रजातियों का सह-अस्तित्व संभव था।
  • 3 से 4 मिलियन वर्ष पूर्व के कालखंड में दक्षिणी अफ्रीका में मानव पूर्वजों की विविधता पहले से अधिक थी, यह तथ्य इस अध्ययन से स्पष्ट होता है।
  • वर्तमान में किए गए नए अध्ययन दर्शाते है कि मानव विकास अध्ययन में साक्ष्य-आधारित वर्गीकरण कितना आवश्यक है। अधिक पूर्ण जीवाश्म ही मानव वंश वृक्ष को स्पष्ट कर सकते हैं।

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