New fish species Channa Bhoi discovered in Meghalaya

संदर्भ:
हाल ही में दिसंबर 2025 में वैज्ञानिकों ने मेघालय के री-भोई ज़िले में एक छोटी पहाड़ी जलधारा से स्नेकहेड मछली (Channa) की एक नई प्रजाति की खोज की। इस प्रजाति का नाम चन्ना भोई (Channa bhoi) रखा गया है। यह खोज अंतरराष्ट्रीय शोध पत्रिका Ichthyology & Herpetology में प्रकाशित हुई।
नई मछली प्रजाति ‘चन्ना भोई’:
-
- स्थान: चन्ना भोई की खोज मेघालय के री-भोई जिले में इवमावलोंग गाँव के पास एक उथली पहाड़ी जलधारा से हुई। यह क्षेत्र शिलांग–मिकिर पठार का हिस्सा है, जहाँ चट्टानी तल, रेतीली सतह और घनी नदीतटीय वनस्पति पाई जाती है।
- नामकरण: इस प्रजाति का नामकरण भोई समुदाय के नाम पर किया गया है, जो वहां की एक स्थानीय खासी आदिवासी जनजाति है।
-
वर्गीकरण: चन्ना भोई को स्नेकहेड मछलियों के “गाचुआ समूह” में वर्गीकृत किया गया है, जो पूर्वी हिमालय क्षेत्र में उच्च जैव विविधता और स्थानिकता के लिए जाना जाता है। यह प्रजाति भारत में दर्ज चन्ना वंश की कुल 26वीं प्रजाति है।
चन्ना भोई की विशेषताएँ:
-
विशिष्ट लक्षण: चन्ना भोई का शरीर नीलापन लिए स्लेटी रंग का है, जिसकी प्रत्येक शल्क पर सूक्ष्म काले धब्बे पाए जाते हैं। ये धब्बे शरीर के किनारों पर 8–9 क्षैतिज, टूटी हुई रेखाओं का निर्माण करते हैं। इसके वक्षीय पंखों पर हल्के पीले से क्रीम रंग की लहरदार धारियाँ पाई जाती हैं, जो इसे निकट संबंधी प्रजातियों से अलग करती हैं।
-
आनुवंशिक पुष्टि: वैज्ञानिकों ने माइटोकॉन्ड्रियल cox1 जीन के माध्यम से डीएनए बारकोडिंग की। इसमें यह पाया गया कि चन्ना भोई अन्य गाचुआ समूह की प्रजातियों से 3.3 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक आनुवंशिक रूप से भिन्न है।
इनका पारिस्थितिक महत्व एवं संरक्षण चिंताएँ:
- महत्व: चन्ना भोई एक सूक्ष्म शिकारी मछली है, जो मीठे पानी के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य का संकेत देती है। इसकी उपस्थिति यह दर्शाती है कि क्षेत्र की जलधाराएँ अभी भी प्राकृतिक और अपेक्षाकृत अप्रदूषित हैं। इस प्रकार यह प्रजाति पारिस्थितिक संतुलन के अध्ययन में महत्वपूर्ण है।
- चिंता: वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आवास क्षरण, जल प्रदूषण और सजावटी मछली व्यापार के लिए अनियंत्रित संग्रह जैसी गतिविधियाँ चन्ना भोई जैसी प्रजातियों के लिए गंभीर खतरा हैं।
