India will chair BRICS 2026

संदर्भ:
हाल ही में ब्राज़ील में आयोजित चौथी ब्रिक्स शेरपा बैठक के दौरान ब्राज़ील ने औपचारिक रूप से ब्रिक्स (18वीं) अध्यक्षता भारत को सौंप दी। इस अवसर पर ब्राज़ील के शेरपा राजदूत मौरिसियो लिरियो ने भारत के शेरपा राजदूत सुधाकर दलेला को प्रतीकात्मक गैवेल प्रदान किया। भारत 1 जनवरी 2026 से ब्रिक्स की अध्यक्षता ग्रहण करेगा।
ब्रिक्स (BRICS) क्या हैं?
ब्रिक्स (BRICS) दुनिया की प्रमुख उभरती अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो वैश्विक शासन में ‘ग्लोबल साउथ’ (Global South) की आवाज़ को बुलंद करता है।
- संकल्पना: ‘BRIC’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले 2001 में गोल्डमैन सैक्स के अर्थशास्त्री जिम ओ’नील ने ब्राजील, रूस, भारत और चीन के आर्थिक उभार को दर्शाने के लिए किया था।
- गठन: औपचारिक रूप से इसकी शुरुआत 2006 में न्यूयॉर्क में ब्रिक विदेश मंत्रियों की बैठक के साथ हुई। पहला आधिकारिक शिखर सम्मेलन 2009 में रूस के येकातेरिनबर्ग में आयोजित किया गया।
- विस्तार: 2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल होने के बाद यह ‘BRIC’ से ‘BRICS’ बन गया।
- वर्तमान सदस्य देश: ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका, मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, इंडोनेशिया।
ब्रिक्स में अध्यक्षता हस्तांतरण की प्रक्रिया:
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ब्रिक्स समूह में अध्यक्षता वार्षिक घूर्णन प्रणाली के आधार पर सदस्य देशों के बीच बदलती है। इस प्रणाली का उद्देश्य समानता, समावेशिता और साझा नेतृत्व सुनिश्चित करना है।
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परंपरागत रूप से “BRICS” के संक्षिप्त नाम के वर्णमाला क्रम का पालन करते हुए इसकी अध्यक्षता निर्धारित की जाती है। प्रत्येक अध्यक्षता उस वर्ष के 1 जनवरी से 31 दिसंबर तक चलती है।
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अध्यक्षता हस्तांतरण की प्रक्रिया में एक देश द्वारा दूसरे देश को गैवेल दिया जाता है, इस बार यह गैवेल अमेज़न क्षेत्र की पुनः उपयोग की गई लकड़ी से निर्मित की गई है। यह गैवेल पर्यावरणीय स्थिरता, जैव विविधता संरक्षण और हरित सहयोग का प्रतीक है।
भारत के लिए निहितार्थ:
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भारत इससे पहले 2012, 2016 और 2021 में भी ब्रिक्स की अध्यक्षता कर चुका है। 2026 की अध्यक्षता भारत को ऐसे समय मिली है जब ब्रिक्स का विस्तार हुआ है और इसकी भूमिका वैश्विक राजनीति में और अधिक जटिल हो गई है।
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भारत ने ब्रिक्स शब्द का नया अर्थ प्रस्तावित किया है: निर्माण, लचीलापन, नवाचार, सहयोग और सततता।
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हाल के वर्षों में ब्रिक्स में मिस्र, इथियोपिया, ईरान, संयुक्त अरब अमीरात और इंडोनेशिया जैसे नए सदस्य शामिल हुए हैं। भारत की अध्यक्षता में इन देशों के हितों को संतुलित करना एक प्रमुख चुनौती होगी।
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आने वाले समय में भारत ब्रिक्स मंच का उपयोग वैश्विक दक्षिण की चिंताओं को प्रमुखता से उठाने के लिए कर सकता है, इनमें जलवायु वित्त, खाद्य सुरक्षा, ऊर्जा सुरक्षा और डिजिटल समानता जैसे मुद्दे शामिल हो सकते हैं।
