Jharkhand Platform Based Gig Workers Registration and Welfare Bill 2025
संदर्भ:
झारखंड सरकार ने तेजी से बढ़ते गिग इकोनॉमी क्षेत्र में कार्यरत लाखों श्रमिकों के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए ‘झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक (निबंधन और कल्याण) विधेयक, 2025’ का मसौदा तैयार किया है। जिसे झारखंड विधानसभा द्वारा पास कर दिया गया है। यह विधेयक मुख्य रूप से डिजिटल प्लेटफॉर्म (जैसे जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर) और उनके लिए काम करने वाले ‘पार्टनर’ के बीच संबंधों को औपचारिक रूप देने और उन्हें सामाजिक सुरक्षा के दायरे में लाने का प्रयास है।
झारखंड प्लेटफॉर्म आधारित गिग श्रमिक (निबंधन और कल्याण) विधेयक, 2025 के मुख्य प्रावधान:
- श्रमिकों का अनिवार्य पंजीकरण: इस विधेयक के तहत राज्य के सभी गिग श्रमिकों का पंजीकरण एक निर्दिष्ट कल्याण बोर्ड के पास अनिवार्य होगा। प्रत्येक पंजीकृत श्रमिक को एक विशिष्ट पहचान संख्या (Unique ID) आवंटित की जाएगी, जो उनकी कार्य अवधि और सेवाओं का डिजिटल रिकॉर्ड रखेगी। यह आईडी श्रमिक को विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए एक वैधानिक पहचान प्रदान करेगी।
- एग्रीगेटर डेटा साझाकरण: डिजिटल प्लेटफॉर्म प्रदाताओं (एग्रीगेटर्स) को अपने साथ जुड़े सभी श्रमिकों का डेटा राज्य सरकार के साथ साझा करना होगा। पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एग्रीगेटर्स को समय-समय पर अपने सक्रिय और निष्क्रिय श्रमिकों की सूची अद्यतन करनी होगी। इस डेटा का उपयोग कल्याणकारी नीतियों के निर्माण और उनके सटीक कार्यान्वयन के लिए किया जाएगा।
- गिग श्रमिक कल्याण कोष की स्थापना: विधेयक में एक समर्पित ‘झारखंड गिग श्रमिक कल्याण कोष’ के गठन का प्रावधान है। इस कोष का उपयोग श्रमिकों को दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य लाभ और वृद्धावस्था पेंशन जैसी सुविधाएं प्रदान करने के लिए किया जाएगा। यह कोष मुख्य रूप से एग्रीगेटर्स द्वारा दिए जाने वाले कल्याण शुल्क (Welfare Cess) और सरकारी अनुदान से संचालित होगा।
- कल्याण शुल्क संरचना: सरकार प्रत्येक ट्रांजैक्शन या एग्रीगेटर के कुल टर्नओवर पर एक निश्चित प्रतिशत (संभावित 1-2%) कल्याण उपकर लगाने का प्रस्ताव करती है। यह राशि सीधे कल्याण कोष में जमा की जाएगी। इससे श्रमिकों पर वित्तीय बोझ डाले बिना उनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी, जो समावेशी विकास की दिशा में एक बड़ा कदम है।
- झारखंड गिग श्रमिक कल्याण बोर्ड: एक त्रि-पक्षीय बोर्ड का गठन किया जाएगा जिसमें राज्य सरकार के प्रतिनिधि, एग्रीगेटर्स के प्रतिनिधि और गिग श्रमिकों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। इसके पदेन अध्यक्ष राज्य के श्रम मंत्री होंगे। यह बोर्ड नीतियों के क्रियान्वयन की निगरानी करेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि एग्रीगेटर्स कानून के प्रावधानों का पालन कर रहे हैं। बोर्ड को श्रमिकों की कार्य स्थितियों की समीक्षा करने का भी अधिकार होगा। बोर्ड में श्रम सचिव सहित पांच अन्य सदस्य होंगे, जिनका कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
- त्वरित शिकायत निवारण प्रणाली: विधेयक में श्रमिकों के लिए एक समर्पित न्यायिक और तकनीकी तंत्र का प्रावधान है। यदि किसी श्रमिक को भुगतान में देरी, अनुचित रूप से आईडी ब्लॉक किए जाने या अन्य कार्य संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, तो वे बोर्ड के माध्यम से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। शिकायतों का निपटान एक निश्चित समय सीमा के भीतर करना अनिवार्य होगा।
- न्यूनतम मजदूरी और भुगतान सुरक्षा: विधेयक यह सुनिश्चित करने का प्रयास करता है कि गिग श्रमिकों को उनके द्वारा किए गए कार्य के लिए न्यायसंगत पारिश्रमिक प्राप्त हो। श्रमिकों को उनके द्वारा कार्य में लगाए गए समय और तय की गई दूरी के आधार पर न्यूनतम भुगतान सुनिश्चित किया जाएगा। एग्रीगेटर्स को भुगतान की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा और बिना किसी वैध कारण के श्रमिकों के भुगतान को रोकने पर प्रतिबंध होगा। यह कदम श्रमिकों को वित्तीय शोषण से बचाने के लिए महत्वपूर्ण है।
- अधिकारों का संरक्षण और गरिमा: श्रमिकों को संगठन बनाने और अपनी सामूहिक मांगों को रखने का अधिकार दिया गया है। विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि एग्रीगेटर्स मनमाने ढंग से श्रमिकों की सेवाओं को समाप्त नहीं कर सकते। कार्यस्थल पर सुरक्षा और मानवीय कार्य स्थितियों को बढ़ावा देना इस कानून का प्राथमिक उद्देश्य है।
- जुर्माना एवं दंड: नियमों का पहली बार उल्लंघन करने पर एग्रीगेटर्स पर 50,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। यदि दोषसिद्धि के बाद भी कंपनी नियमों का पालन नहीं करती है, तो सुधार होने तक 5,000 रुपये प्रतिदिन का अतिरिक्त जुर्माना देना होगा।

