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नींबू के आकार के एक्सोप्लैनेट की खोज (Lemon-sized exoplanet discovered) | Apni Pathshala

Lemon-sized exoplanet discovered

Lemon-sized exoplanet discovered

संदर्भ:

हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) ने PSR J2322-2650b नामक एक नींबू के आकार के (lemon-shaped) एक्सोप्लैनेट की खोज की है, जिसकी विशेषताएँ ग्रह निर्माण के मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देती हैं।

PSR J2322-2650b एक्सोप्लैनेट:

  • PSR J2322-2650b नमक यह ग्रह गोलाकार न होकर एक नींबू या रग्बी बॉल जैसा खिंचा हुआ है। 
  • यह एक तेजी से घूमने वाले पल्सर (Pulsar) (न्यूट्रॉन तारे का एक प्रकार) की परिक्रमा करता है। पल्सर एक मृत तारे का घना अवशेष होता है।
  • यह पृथ्वी से लगभग 2,000 प्रकाश-वर्ष दूर स्थित है। जिसकी खोज नासा (NASA) के जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) से की गई है।
  • यह अपने तारे के बहुत करीब है (पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1%)। इसका एक ‘वर्ष’ (तारे की एक परिक्रमा) केवल 7.8 घंटे में पूरा हो जाता है।
  • इसके वायुमंडल में सामान्यतः पाए जाने वाले जल वाष्प (water vapor) के स्थान पर हीलियम (helium) और आणविक कार्बन (molecular carbon), विशेष रूप से C2 और C3, का प्रभुत्व है।
  • अत्यधिक दबाव और तापमान (दिन के समय 2,040°C तक) के कारण, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि यहाँ कार्बन के बादल बनते होंगे और वहाँ हीरों की बारिश हो सकती है। 
  • इस ग्रह की असामान्य संरचना (कार्बन-समृद्ध वातावरण) मौजूदा ग्रह निर्माण मॉडलों को चुनौती देती है। यह ग्रह एक “ब्लैक विडो पल्सर” प्रणाली का हिस्सा प्रतीत होता है।

ग्रह का असामान्य आकार होने का कारण:

  • ग्रह का ‘नींबू’ जैसा आकार अपनी धुरी पर घूर्णन (rotation) के कारण नहीं है, बल्कि इसके मेज़बान तारे के अत्यंत शक्तिशाली ज्वारीय बलों (tidal forces) के कारण है। 
  • यह ग्रह अपने तारे से सिर्फ 10 लाख मील (लगभग 1.6 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर परिक्रमा करता है। इस अत्यधिक निकटता और पल्सर के विशाल द्रव्यमान के कारण, गुरुत्वाकर्षण बल ग्रह को एक अंडाकार या नींबू जैसा आकार देते हुए खींचता रहता है।

‘ब्लैक विडो’ प्रणाली क्या हैं?

  • ब्लैक विडो प्रणाली (Black Widow System) एक दुर्लभ द्वि-तारा प्रणाली है।
  • इस प्रणाली में एक मिलीसेकंड पल्सर (बहुत तेज़ी से घूमने वाला न्यूट्रॉन तारा) और एक बहुत कम द्रव्यमान वाला साथी तारा या ग्रह होता है।
  • पल्सर से निकलने वाली तीव्र विकिरण (X-किरणें) और शक्तिशाली कण हवाएँ (particle winds) साथी तारे/ग्रह की बाहरी परतों पर टकराती हैं।
  • इस टक्कर से साथी वस्तु का पदार्थ आयनित होकर अंतरिक्ष में उड़ने लगता है, जिससे साथी वस्तु धीरे-धीरे अपना द्रव्यमान खोती जाती है (जैसे पानी वाष्पित होता है)।
  • जब साथी वस्तु एक ग्रह होती है, तो यह प्रणाली और भी दुर्लभ हो जाती है, क्योंकि पल्सर की भयंकर ऊर्जा के कारण एक ग्रह का टिके रहना और फिर नष्ट होना एक अनूठी खगोलीय घटना है।
  • इस व्यवहार के कारण इन्हें ‘ब्लैक विडो’ (काली विधवा) कहा जाता है, क्योंकि ये अपने साथी को खा जाती हैं, ठीक ब्लैक विडो मकड़ी की तरह।

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