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भारत में उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण (Internationalization of Higher Education in India) | Apni Pathshala

Internationalization of Higher Education in India

Internationalization of Higher Education in India

संदर्भ:

हाल ही में नीति आयोग ने ‘भारत में उच्च शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण’ (Internationalisation of Higher Education in India) शीर्षक से एक व्यापक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के विजन को आगे बढ़ाते हुए भारत को एक “वैश्विक ज्ञान महाशक्ति” के रूप में स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करती है।

  • यह रिपोर्ट विकसित भारत @2047 के लक्ष्य के अनुरूप, भारत को वैश्विक शिक्षा और अनुसंधान केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक विस्तृत खाका प्रस्तुत करती है। 
  • भारत दुनिया के सबसे बड़े उच्च शिक्षा प्रणालियों में से एक है। वर्तमान में भारत सरकार का लक्ष्य 2035 तक सकल नामांकन अनुपात (GER) को 50% तक ले जाना है।

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष: 

  • छात्र गतिशीलता: 2024 में, भारत में आने वाले प्रत्येक 1 अंतर्राष्ट्रीय छात्र की तुलना में 28 भारतीय छात्र उच्च शिक्षा के लिए विदेश गए।
  • आंकड़े: 2022 तक, भारत में लगभग 47,000 अंतर्राष्ट्रीय छात्र थे, जबकि 13 लाख से अधिक भारतीय छात्र विदेशों में पढ़ रहे थे।
  • आर्थिक प्रभाव: भारतीय छात्रों द्वारा विदेशों में शिक्षा पर किया जाने वाला खर्च 2025 तक ₹6.2 लाख करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है, जो भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) का लगभग 2% है।
  • चुनौतियां: सर्वेक्षण में शामिल संस्थानों ने धन/छात्रवृत्ति की कमी (41%), शिक्षा की गुणवत्ता के बारे में वैश्विक धारणा (30%), और अपर्याप्त अंतरराष्ट्रीय छात्र समर्थन प्रणाली/बुनियादी ढांचे को प्रमुख बाधाएं बताया। 

प्रमुख नीतिगत सिफारिशें:

  • अंतर-मंत्रालयी कार्य बल: शिक्षा मंत्रालय की अध्यक्षता में एक अंतर-मंत्रालयी कार्य बल (Inter-Ministerial Task Force) का गठन करना।
  • सरलीकृत वीज़ा प्रक्रिया: विदेशी छात्रों और फैकल्टी के लिए वीज़ा, FRRO (विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय), और अन्य प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए एक ‘सिंगल-विंडो क्लीयरेंस सिस्टम’ (Single-Window Clearance System) स्थापित करना।
  • डिग्री समतुल्यता पोर्टल: विदेशी डिग्रियों की मान्यता के लिए एक राष्ट्रीय ऑनलाइन पोर्टल बनाना।
  • भारत विद्या कोष: अनुसंधान को बढ़ावा देने और वैश्विक प्रतिभा को आकर्षित करने के लिए डायस्पोरा और सरकार द्वारा सह-वित्तपोषित $10 बिलियन का एक अनुसंधान कोष (Research Impact Fund) स्थापित करने का प्रस्ताव।
  • विश्व बंधु फैलोशिप: विश्व स्तरीय फैकल्टी और शोधकर्ताओं को भारतीय संस्थानों में आकर्षित करने के लिए फेलोशिप शुरू करना।
  • ‘स्टडी इन इंडिया’ का पुनरुद्धार: ‘स्टडी इन इंडिया’ (Study in India) पहल को एक व्यापक वैश्विक मंच के रूप में नया रूप देना।
  • टैगोर फ्रेमवर्क: ASEAN, BIMSTEC, BRICS जैसे क्षेत्रीय समूहों के लिए ‘इरास्मस+’ (Erasmus+) जैसा एक अकादमिक गतिशीलता कार्यक्रम (Academic Mobility Programme) शुरू करना।
  • वैश्विक पाठ्यक्रम: उद्योगों की जरूरतों और वैश्विक मानकों के अनुरूप पाठ्यक्रम को अपडेट करना और बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देना।
  • अंतर्राष्ट्रीयकरण रैंकिंग: संस्थानों को प्रोत्साहन देने के लिए NIRF (नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क) रैंकिंग में अंतर्राष्ट्रीयकरण से संबंधित मापदंडों को शामिल करना।

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