INSV Kaundinya

संदर्भ:
भारतीय नौसेना का INSV कौंडिन्य (INSV Kaundinya), जो भारत की प्राचीन “स्टिच्ड शिप” (सिले हुए जहाज) निर्माण परंपरा का प्रतीक है, 29 दिसंबर 2025 को गुजरात के पोरबंदर से ओमान के मस्कट के लिए अपनी पहली ऐतिहासिक समुद्री यात्रा पर प्रस्थान करेगा।
INSV कौंडिन्य का परिचय:
- INSV कौंडिन्य भारतीय नौसेना का एक विशिष्ट जहाज है, जिसे बिना किसी धातु की कील या स्क्रू के बनाया गया है।
- इसका नाम महान भारतीय नाविक कौंडिन्य के नाम पर रखा गया है, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने प्राचीन काल में दक्षिण-पूर्व एशिया की यात्रा की थी।
- इसकी रूपरेखा अजंता की गुफाओं (गुफा संख्या 17) में मिले 5वीं शताब्दी के भित्ति चित्रों पर आधारित है।
प्रमुख विशेषताएं:
- टांकाई तकनीक (Tankai Method): इस जहाज का निर्माण 2,000 साल पुरानी ‘स्टिच्ड-प्लैंक’ तकनीक से किया गया है। इसमें लकड़ी के तख्तों को आपस में जोड़ने के लिए धातु की कीलों के बजाय नारियल की जटा (coir) की रस्सियों का उपयोग किया गया है।
- प्राकृतिक सामग्री: जहाज की सीलिंग के लिए मछली का तेल, नारियल का रेशा और प्राकृतिक राल (resin) का उपयोग किया गया है। इसकी बाहरी सतह को लाल ईंट के चूर्ण और तेल से चमकाया गया है।
- पारंपरिक नौकायन: जहाज में आधुनिक रडर (rudder) के स्थान पर दो स्टीयरिंग ओर्स (oars) और चौकोर पाल (square sails) लगाए गए हैं।
- सांस्कृतिक प्रतीक: जहाज के पाल पर गंडाभेरुंडा (दो सिर वाला पौराणिक पक्षी) और सूर्य के चित्र बने हैं, जबकि इसके अगले हिस्से पर ‘सिंह व्याली’ की आकृति उकेरी गई है।
महत्व:
- स्वदेशी ज्ञान प्रणाली का पुनरुद्धार: यह संस्कृति मंत्रालय, भारतीय नौसेना और ‘होदी इनोवेशन्स’ (Hodi Innovations) के बीच एक त्रिपक्षीय समझौते (MoU) का परिणाम है। इसका उद्देश्य भारत की लुप्त होती नौकायन कला को बचाना है।
- परियोजना ‘मौसम’ (Project Mausam): यह यात्रा भारत सरकार की परियोजना मौसम का हिस्सा है, जो हिंद महासागर क्षेत्र (IOR) के 39 देशों के साथ सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास है।
- समुद्री कूटनीति: यह यात्रा भारत के SAGAR (Security and Growth for All in the Region) दृष्टिकोण को बढ़ावा देती है और पड़ोसी देशों के साथ समुद्री विरासत के माध्यम से “सॉफ्ट पावर” कूटनीति का प्रदर्शन करती है।
- वैज्ञानिक परीक्षण: यद्यपि यह पारंपरिक है, लेकिन इसकी समुद्री सक्षमता का परीक्षण IIT मद्रास द्वारा हाइड्रोडायनामिक मॉडल परीक्षणों के माध्यम से किया गया है।
