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झारखण्ड में पेसा नियमावली लागू (PESA rules implemented in Jharkhand) | UPSC

PESA rules implemented in Jharkhand

PESA rules implemented in Jharkhand

संदर्भ:

हाल ही में झारखंड सरकार ने राज्य में PESA (Panchayats Extension to Scheduled Areas) अधिनियम, 1996 के कार्यान्वयन हेतु नियमावली (Draft Rules) के प्रारूप को मंजूरी दे दी है। इस कदम के साथ झारखंड भारत का नौवां राज्य बन गया है, जिसने पेसा नियमावली की अधिसूचना की दिशा में ठोस कदम उठाए हैं। 

पेसा (PESA) अधिनियम, 1996 क्या हैं?

  • पेसा (PESA) अधिनियम, 1996, भारत सरकार द्वारा 1996 में लाया गया एक कानून है, जिसका पूरा नाम पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम है।
  • भारतीय संविधान के भाग IX में पंचायतों से संबंधित प्रावधान हैं, लेकिन ये अनुच्छेद 244(1) के तहत आने वाले ‘अनुसूचित क्षेत्रों’ पर स्वतः लागू नहीं होते थे। दिलीप सिंह भूरिया समिति की सिफारिशों के आधार पर, संसद ने 24 दिसंबर, 1996 को पेसा अधिनियम पारित किया।
  • इसका मुख्य उद्देश्य संविधान के 73वें संशोधन (1993) के प्रावधानों को पांचवीं अनुसूची के तहत आने वाले जनजातीय क्षेत्रों में लागू करना है, ताकि इन क्षेत्रों के आदिवासी समुदायों को ग्राम सभाओं के माध्यम से स्वशासन (Self-Governance) का अधिकार मिले।
  • यह अधिनियम वर्तमान में 10 राज्यों (आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना) के पांचवीं अनुसूची वाले क्षेत्रों में लागू है।

पेसा अधिनियम की मुख्य विशेषताएं:

  • ग्राम सभा की सर्वोच्चता: ग्राम सभा को प्राकृतिक संसाधनों (जल, जंगल, जमीन) के प्रबंधन के लिए प्राथमिक प्राधिकारी बनाया गया है।
  • संसाधन नियंत्रण: लघु वनोपज (Minor Forest Produce) के स्वामित्व और प्रबंधन का अधिकार स्थानीय समुदायों को दिया गया है।
  • भूमि अधिग्रहण पर नियंत्रण: अनुसूचित क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण करने या प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास से पूर्व ग्राम सभा से परामर्श अनिवार्य होगा।
  • सामाजिक नियंत्रण: नशीले पदार्थों की बिक्री/खपत को नियंत्रित करने, साहूकारी (Money Lending) पर लगाम लगाने और स्थानीय बाजारों के प्रबंधन की शक्ति ग्राम सभा के पास होगी।
  • विवाद निवारण: पारंपरिक प्रथाओं के आधार पर छोटे दीवानी और आपराधिक विवादों को सुलझाने की ग्राम सभा की शक्ति को औपचारिक मान्यता दी गई है।

झारखंड में पेसा नियमावली की आवश्यकता:

  • झारखंड का लगभग 45% हिस्सा (13 पूर्ण जिले और 3 आंशिक जिले) पांचवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है। 
  • 1996 में केंद्रीय कानून बनने के बावजूद, झारखंड में विशिष्ट राज्य नियमावली के अभाव में ग्राम सभाओं के पास वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों का अभाव था। 
  • 2024 के इस ड्राफ्ट के माध्यम से राज्य सरकार ने दशकों पुरानी मांग को पूरा करने का प्रयास किया है।
  • यह निर्णय झारखंड की जनजातीय आबादी (लगभग 26% से अधिक) के लिए लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है।

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