Subansiri Lower Hydroelectric Project

संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय विद्युत और आवास और शहरी कार्य मंत्री ने सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना (Subansiri Lower Hydroelectric Project – SLHEP) की दूसरी इकाई के वाणिज्यिक संचालन का वस्तुतः उद्घाटन किया। यह परियोजना देश के स्वच्छ और सतत ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना का परिचय:
- सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजना (Subansiri Lower Hydroelectric Project – SLHEP) भारत की सबसे बड़ी निर्माणाधीन जलविद्युत परियोजना है।
- यह परियोजना अरुणाचल प्रदेश और असम की सीमा पर, सुबनसिरी नदी पर स्थित है, जो ब्रह्मपुत्र नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- इसका निर्माण भारत सरकार के सार्वजनिक उपक्रम NHPC (National Hydroelectric Power Corporation) द्वारा किया जा रहा है।
- इसमें 116 मीटर ऊँचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध बनाया गया है। साथ ही 34.5 किलोमीटर लंबा जलाशय, 5 डायवर्ज़न सुरंगें, 8 स्पिलवे बने हुए हैं।
- इसे रन-ऑफ-द-रिवर योजना के रूप में डिज़ाइन किया गया है, जिसमें कई छोटे तालाब भी हैं।
- इसकी कुल क्षमता 2,000 मेगावाट (MW) है, जिसमें 250-250 मेगावाट की 8 इकाइयाँ शामिल हैं।
- वर्तमान में इसकी दूसरी इकाई (250 MW) का सफल वाणिज्यिक संचालन शुरू करने से कुल सक्रिय क्षमता 500 MW हो गई है।
- पूर्ण रूप से चालू होने पर, इससे प्रति वर्ष लगभग 7,422 मिलियन यूनिट बिजली पैदा होने की उम्मीद है।
महत्व:
- ऊर्जा सुरक्षा: यह भारत की बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने और जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए जलविद्युत ऊर्जा के दोहन का एक प्रमुख उदाहरण है। भारत ने 2030 तक 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित बिजली क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जिसमें ऐसी बड़ी परियोजनाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- क्षेत्रीय विकास: यह परियोजना पूर्वोत्तर क्षेत्र के आर्थिक विकास को गति देने में सहायक होगी। बिजली की उपलब्धता बढ़ने से स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
