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प्रदूषण नियंत्रण पोत समुद्र प्रताप (Pollution Control Vessel Samudra Pratap) | UPSC Preparation

Pollution Control Vessel Samudra Pratap

Pollution Control Vessel Samudra Pratap

संदर्भ:

हाल ही में भारतीय तटरक्षक बल (ICG) ने अपने पहले स्वदेशी रूप से निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत (PCV), ‘समुद्र प्रताप’ को गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) बेड़े में शामिल किया है। 

स्वदेशी निर्मित प्रदूषण नियंत्रण पोत ‘समुद्र प्रताप’:

नवीनतम जहाज ‘समुद्र प्रताप’ भारत की समुद्री सुरक्षा और पर्यावरणीय संरक्षण क्षमताओं में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर है। यह देश का पहला स्वदेशी रूप से डिजाइन किया गया पोत है। 

  • समुद्र प्रताप’ (यार्ड 1267) का निर्माण गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) द्वारा किया गया है। इसे रक्षा मंत्रालय द्वारा हस्ताक्षरित दो प्रदूषण नियंत्रण जहाजों के निर्माण के अनुबंध के तहत बनाया गया है। 
  • इसे अगस्त 2024 में लॉन्च किया गया था और आधिकारिक तौर पर 23 दिसंबर 2025 को भारतीय तटरक्षक बल में शामिल किया गया। 
  • यह दो जहाजों वाले PCV प्रोजेक्ट का हिस्सा है। इस श्रेणी का दूसरा पोत, ‘समुद्र प्रचेत’, जुलाई 2025 में लॉन्च किया जा चुका है। 

प्रमुख विशेषताएं:

  • आयाम (Dimensions): इसकी लंबाई 114.5 मीटर, चौड़ाई 16.5 मीटर और विस्थापन (displacement) 4,170 टन है।
  • स्वदेशी सामग्री: इसमें 60% से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘मेक इन इंडिया’ अभियानों के अनुरूप है।
  • आधुनिक प्रणाली: यह डायनेमिक पोजिशनिंग (DP-1) क्षमता वाला पहला ICG पोत है, जो खराब समुद्री परिस्थितियों में भी सटीक स्थान बनाए रखने में सक्षम है।
  • आयुध (Armament): आत्मरक्षा और कानून प्रवर्तन के लिए यह एक 30mm CRN-91 गन और दो 12.7mm रिमोट-कंट्रोल गन से लैस है। 
  • क्रू: इसमें 14 अधिकारी और 115 नाविकों के रहने की क्षमता है। 
  • तेल रिसाव नियंत्रण: यह पोत समुद्री पर्यावरण में तेल रिसाव (oil spills) का पता लगाने, उसे रोकने और समुद्र से तेल को अलग कर रिकवर करने में सक्षम है।
  • विशेष उपकरण: इसमें ‘ऑयल फिंगरप्रिंटिंग मशीन’, ‘जाइरो-स्टेबलाइज्ड केमिकल डिटेक्टर’ और एक ऑनबोर्ड प्रदूषण नियंत्रण प्रयोगशाला शामिल है।
  • अग्नि शमन: इसमें FiFi-2/FFV-2 नोटेशन के साथ उच्च क्षमता वाली बाहरी अग्निशमन प्रणाली लगी है। 

महत्व:

  • पर्यावरण सुरक्षा: भारत के विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में समुद्री प्रदूषण को रोकने और पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए यह एक महत्वपूर्ण मंच है।
  • नीली अर्थव्यवस्था (Blue Economy): सुरक्षित और स्वच्छ समुद्र भारत की बढ़ती समुद्री अर्थव्यवस्था के लिए अनिवार्य हैं। यह पोत अपतटीय (offshore) ऊर्जा संपत्तियों की सुरक्षा में भी मदद करता है।
  • बहुआयामी भूमिका: प्रदूषण नियंत्रण के अलावा, यह खोज और बचाव (SAR), समुद्री कानून प्रवर्तन और आपदा राहत कार्यों में भी सहायता करेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय दायित्व: यह MARPOL (समुद्री प्रदूषण की रोकथाम हेतु अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन) के तहत भारत की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की क्षमता को बढ़ाता है।

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