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40वीं एशियाई जलपक्षी गणना (Asian Waterbird Census) | Apni Pathshala

Asian Waterbird Census

Asian Waterbird Census

संदर्भ:

जनवरी 2026 में आंध्र प्रदेश के कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य (Coringa Wildlife Sanctuary) और उसके आसपास के वेटलैंड्स में 40वीं एशियाई जलपक्षी गणना (Asian Waterbird Census – AWC) आयोजित की जाएगी। यह गणना 10 और 11 जनवरी, 2026 को निर्धारित है। 

एशियाई जलपक्षी गणना (Asian Waterbird Census) क्या हैं?

एशियाई जलपक्षी गणना (AWC) एक वार्षिक नागरिक-विज्ञान पहल है, जो अंतर्राष्ट्रीय जलपक्षी गणना (IWC) का हिस्सा है। यह गणना एशियाऑस्ट्रेलिया में आर्द्रभूमियों और जलपक्षियों के संरक्षण के लिए जनवरी-फरवरी में की जाती है।

  • उद्देश्य: आर्द्रभूमि और जलपक्षियों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए डेटा एकत्र करना, आर्द्रभूमि के स्वास्थ्य का आकलन करना, और प्रजातियों की आबादी में बदलाव की निगरानी करना।
  • कवरेज: 1987 में भारतीय उपमहाद्वीप में शुरू हुआ, अब यह अफगानिस्तान से जापान और ऑस्ट्रेलिया तक एशिया के अधिकांश हिस्सों को कवर करता है, जिसमें पूर्वी एशियाई-ऑस्ट्रेलियन फ्लाईवे और मध्य एशियाई फ्लाईवे के दक्षिणी भाग शामिल हैं।
  • समन्वय: यह वेटलैंड्स इंटरनेशनल द्वारा वैश्विक स्तर पर समन्वित एक नागरिक विज्ञान कार्यक्रम है, और भारत में इसे बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS) द्वारा समन्वित किया जाता है।
  • कार्यप्रणाली: हजारों स्वयंसेवक एशिया और ऑस्ट्रेलिया में आर्द्रभूमियों का दौरा करते हैं और जलपक्षी प्रजातियों व उनकी संख्या गिनते हैं।

विशेष: 2026 की गणना कोरिंगा में आयोजित होने वाली 10वीं गणना होगी। यह गणना आंध्र प्रदेश वन विभाग द्वारा बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (BNHS), भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII), और वर्ल्ड वाइड फंड फॉर नेचर (WWF) के सहयोग से की जाएगी।

  • 2026 की गणना में विशेष रूप से चार प्रजातियों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा:
    • इंडियन स्किमर (Indian Skimmer): लुप्तप्राय (Endangered)
    • ग्रेट नॉट (Great Knot): लुप्तप्राय (Endangered)
    • यूरेशियन कर्ल्यू (Eurasian Curlew): संकट के निकट (Near Threatened)
    • यूरेशियन ऑयस्टरकैचर (Eurasian Oystercatcher) 

कोरिंगा वन्यजीव अभयारण्य: 

    • भौगोलिक स्थिति: यह आंध्र प्रदेश के काकीनाडा में गोदावरी मुहाने (Godavari Estuary) पर स्थित है, जहाँ कोरिंगा नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है।
    • मैंग्रोव पारिस्थितिकी: यह पश्चिम बंगाल के सुंदरबन के बाद भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव क्षेत्र है। यहाँ मैंग्रोव की 24 से अधिक प्रजातियां पाई जाती हैं।
    • फ्लाईवे (Flyway): यह ‘सेंट्रल एशियन फ्लाईवे’ और ‘ईस्ट एशियन-ऑस्ट्रेलेशियन फ्लाईवे’ का महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहाँ साइबेरिया, रूस और मंगोलिया से पक्षी सर्दियों में आते हैं।

जैव विविधता:

    • पक्षी: 120 से अधिक प्रजातियां। पिछली 2025 की गणना में 106 प्रजातियों के 39,725 पक्षी दर्ज किए गए थे।
    • अन्य वन्यजीव: यह फिशिंग कैट (Fishing Cat), स्मूथ-कोटेड ऑटर (Smooth-coated Otter) और जैकाल के लिए प्रसिद्ध है।
    • प्रजनन स्थल: इसके समुद्र तट ओलिव रिडले कछुओं (Olive Ridley Turtles) के लिए प्रमुख घोंसला बनाने के स्थान हैं।
    • पारिस्थितिक सुरक्षा: यहाँ के मैंग्रोव तटरेखा की सुरक्षा करते हैं, कार्बन को सोखते हैं (Carbon Sequestration) और सुनामी जैसे प्राकृतिक आपदाओं से ढाल के रूप में कार्य करते हैं।

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