Discovery of a new species of Collembola

संदर्भ:
भारतीय प्राणी सर्वेक्षण (ZSI) के वैज्ञानिकों ने हाल ही में सिक्किम के हिमालयी क्षेत्र में ‘नीलस सिक्किमेन्सिस’ (Neelus sikkimensis) नामक स्प्रिंगटेल (Collembola) की एक नई प्रजाति की खोज की है। यह खोज जैव-विविधता, पारिस्थितिकी तंत्र और जलवायु परिवर्तन के संकेतकों के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।
नीलस सिक्किमेन्सिस (Nils sikkimensis) के बारे मे:
नीलस सिक्किमेन्सिस एक नई खोजी गई मिट्टी में रहने वाली सूक्ष्म कीट (mite) की प्रजाति है। यह भारत में ‘नीलस’ वंश की पहली प्रजाति है जो दर्ज की गई है।
- वर्गीकरण (Taxonomy): यह कोलेम्बोला (Collembola) वर्ग के ‘नीलिडे’ (Neelidae) परिवार से संबंधित है।
- शारीरिक संरचना: यह एक अत्यंत सूक्ष्म जीव है, जिसकी लंबाई 0.5 मिमी से भी कम होती है।
- नेत्रहीनता: ‘नीलस’ वंश की अन्य प्रजातियों की तरह, इसमें भी आंखें नहीं होती हैं। यह पूरी तरह से संवेदी अंगों (Sensory organs) पर निर्भर करता है।
- रंग: इसका शरीर हल्का पीला या सफेद होता है, जो मिट्टी के भीतर रहने के अनुकूल है।
- फरकुला (Furcula): स्प्रिंगटेल की तरह, इसमें भी एक पूंछ जैसा अंग होता है जो इसे उछलने (jumping) में मदद करता है, जिससे ये शिकारियों से बच सकते हैं।
कोलेम्बोला क्या है?
- कोलेम्बोला (Collembola), जिन्हें आमतौर पर स्प्रिंगटेल (Springtails) कहा जाता है, मिट्टी और सड़ी-गली पत्तियों में पाए जाने वाले छोटे, पंखहीन आर्थ्रोपोड (कीट-जैसे जीव) होते हैं।
- इनके पेट के नीचे एक ‘फुरका’ (काँटेदार कूदने वाला अंग) होता है, जो ‘रेटिनाकुलम’ नामक एक हुक से जुड़ा होता है, जो इस जीव को उछलने में मदद करता है।
- ये मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये कार्बनिक पदार्थों को सड़ाने और पोषक चक्र (Nutrient Cycling) को बनाए रखने में मदद करते हैं।
- ये जीव मिट्टी की गुणवत्ता और प्रदूषण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। इसलिए, इन्हें ‘बायो-इंडिकेटर’ (Bio-indicators) के रूप में उपयोग किया जाता है।
- ये कोमल शरीर वाले होते हैं, इनकी आँखें कम विकसित होती हैं, और इनके एंटीना (मूंछें) 4-6 खंडों वाले होते हैं, और इनके पेट में 6 खंड होते हैं।
