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डीहॉर्निंग प्रक्रिया गैंडों के संरक्षण में सहायक (Dehorning process helps in conservation of rhinos) | UPSC

Dehorning process helps in conservation of rhinos

Dehorning process helps in conservation of rhinos

संदर्भ:

साइंस पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के अनुसार, गैंडों के सींग काटने (डीहॉर्निंग) से दक्षिण अफ्रीका के अभयारण्यों में अवैध शिकार में भारी गिरावट आई है, यह पारंपरिक कानून प्रवर्तन तरीकों की तुलना में कहीं ज़्यादा प्रभावी साबित हुआ है।

अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:

  • अवैध शिकार में भारी गिरावट: दक्षिण अफ्रीका के 11 अभयारण्यों के सात साल (2017-2023) के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चला कि गैंडों के सींग काटने (Dehorning) से अवैध शिकार में लगभग 78% की कमी आई है।
  • व्यक्तिगत जोखिम में कमी: एक बिना सींग वाले गैंडे के शिकार होने का जोखिम, सींग वाले गैंडे की तुलना में 95% तक कम पाया गया।
  • लागत प्रभावी (Cost-Effective): अध्ययन के अनुसार, संरक्षण के कुल बजट का केवल 1.2% सींग काटने पर खर्च किया गया, जबकि शेष भारी भरकम बजट (लगभग $74 मिलियन) पारंपरिक सुरक्षा उपायों जैसे रेंजर्स और कैमरों पर खर्च हुआ था।
  • पारंपरिक तरीकों की सीमित प्रभावशीलता: शोधकर्ताओं ने पाया कि रेंजर्स, खोजी कुत्तों, बाड़ और सर्विलांस कैमरों जैसे पारंपरिक सुरक्षा उपायों से गिरफ्तारियां तो बढ़ीं, लेकिन वे अवैध शिकार की दरों को कम करने में सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण साबित नहीं हुए।
  • इनाम में कमी (Reducing the Reward): अवैध शिकार में कमी का मुख्य कारण यह है कि सींग हटा देने से शिकारियों के लिए मिलने वाला आर्थिक लाभ (इनाम) खत्म हो जाता है, जिससे वे जोखिम लेने से बचते हैं।

डीहॉर्निंग (Dehorning) क्या है?

  • डीहॉर्निंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें जीवित गैंडे (Rhino) के सींग को पेशेवर विशेषज्ञों द्वारा जानबूझकर काट दिया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य गैंडे का संरक्षण करना है।
  • गैंडे का सींग पूरी तरह से कैरैटिन (Keratin) नामक प्रोटीन से बना होता है। यह वही पदार्थ है जिससे मनुष्यों के नाखून और बाल बनते हैं।
  • डीहॉर्निंग एक वैज्ञानिक और सावधानीपूर्वक की जाने वाली प्रक्रिया है। इसमें सबसे पहले गैंडे को ट्रैंकुलाइज़र गन (Tranquilizer gun) के माध्यम से बेहोश किया जाता है। फिर पशु चिकित्सक या अनुभवी अधिकारी ‘इलेक्ट्रिक सॉ’ (Electric saw) का उपयोग करके सींग को काटते हैं।

गैंडे के सींग (Rhino Horn) का महत्व:

  • पारंपरिक चिकित्सा: एशियाई देशों, विशेष रूप से चीन और वियतनाम में सदियों से यह मान्यता रही है कि गैंडे के सींग में चमत्कारिक औषधीय गुण होते हैं। इसे शरीर से जहर निकालने वाला पदार्थ माना जाता है।
  • प्रतिष्ठा: वियतनाम जैसे देशों में हाल के वर्षों में गैंडे का सींग अमीरों के बीच ‘स्टेटस सिंबल’ बन गया है। इसे व्यापारिक सौदों में महंगे उपहार के रूप में दिया जाता है।
  • कलाकृतियां: प्राचीन काल से ही गैंडे के सींगों का उपयोग नक्काशीदार कप, कटोरे और बेल्ट के बकल बनाने के लिए किया जाता रहा है। यमन में पारंपरिक खंजर के हत्थे (Handles) बनाने के लिए गैंडे के सींग की भारी मांग रही है।
  • दुर्लभता: CITES (Convention on International Trade in Endangered Species) के तहत इसके अंतरराष्ट्रीय व्यापार पर पूर्ण प्रतिबंध है। चूंकि गैंडे विलुप्त होने की कगार पर हैं, इसलिए काले बाजार के निवेशक इसे ‘डिजिटल गोल्ड’ की तरह देखते हैं। 

विशेष: भारत में ‘एक सींग वाला महान भारतीय गैंडा’ वन्यजीव संरक्षण की सफलता का वैश्विक प्रतीक है, जिसकी 70% से अधिक आबादी अकेले असम के काजीरंगा नेशनल पार्क में निवास करती है। यह जीव मुख्य रूप से असम, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों (जैसे दुधवा) में पाया जाता है। वर्तमान में इसकी संरक्षण स्थिति IUCN रेड लिस्ट में ‘सुभेद्य’ (Vulnerable) और भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-I के अंतर्गत है। भारत सरकार ने इसके संरक्षण के लिए ‘इंडियन राइनो विज़न 2020’, ‘राष्ट्रीय गैंडा संरक्षण रणनीति’ शुरू किया है। भारत ‘स्पेशल राइनो प्रोटेक्शन फोर्स’ (SRPF), ड्रोन निगरानी और सख्त कानून प्रवर्तन के माध्यम से इसके अवैध शिकार पर अंकुश लगाता है।

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