हाल ही में सुपरसोनिक मिसाइल-असिस्टेड रिलीज़ ऑफ़ टॉरपीडो (SMART) प्रणाली का 01 मई, 2024 को डॉ एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप, ओडिशा से सफलतापूर्वक उड़ान परीक्षण किया गया।
यह प्रणाली पैराशूट-आधारित रिलीज प्रणाली के साथ पेलोड के रूप में उन्नत हल्के वजन वाले टारपीडो को ले जाती है। मिसाइल को ग्राउंड मोबाइल लॉन्चर से लॉन्च किया गया था। इस परीक्षण में सममित पृथक्करण, इजेक्शन और वेग नियंत्रण जैसे कई अत्याधुनिक तंत्रों को मान्य किया गया है।
सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो (SMART):
- Supersonic Missile Assisted Release of Torpedo (SMART) एक अगली पीढ़ी की मिसाइल-आधारित हल्के वजन वाली टारपीडो डिलीवरी प्रणाली है, जिसे भारतीय नौसेना की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमता को हल्के टारपीडो की पारंपरिक सीमा से कहीं अधिक बढ़ाने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है।
- यह एंटी-सबमरीन वारफेयर संचालन हेतु ‘लाइट एंटी-सबमरीन टॉरपीडो सिस्टम’ की मिसाइल असिस्टेड रिलीज़ टॉरपीडो है। यह एक कनस्तर आधारित मिसाइल प्रणाली है।
- यह प्रणाली अगली पीढ़ी की मिसाइल आधारित स्टैंड ऑफ टॉरपीडो डिलीवरी प्रणाली है।
- यह प्रणाली टॉरपीडो की पारंपरिक सीमा से कही अधिक एंटी-सबमरीन युद्ध क्षमता बढ़ाने के लिये डिज़ाइन की गई है।
कार्यप्रणाली:
- जब एक युद्धपोत या ट्रक-आधारित तटीय बैटरी से लॉन्च किया जाता है तो स्मार्ट एक नियमित सुपरसोनिक मिसाइल की तरह उड़ान भरता है।
- यह कम ऊँचाई पर हवा में अपनी अधिकांश उड़ान को युद्धपोत या एक हवाई पनडुब्बी लक्ष्य पहचान प्रणाली से दो-तरफा डेटा लिंक के साथ कवर करता है और अपने उड़ान पथ को बीच में सही करने के लिये शत्रु पनडुब्बी की सटीक स्थिति की सूचना प्राप्त करता है।
- जैसे ही यह जलमग्न पनडुब्बी के काफी करीब पहुँचेगा, मिसाइल जल में टारपीडो प्रणाली को बाहर निकाल देगी और ऑटोमेटेड टारपीडो पनडुब्बी को बाहर निकालने के लिये अपने लक्ष्य की ओर बढ़ना शुरू कर देगी।
- वरुणास्त्र पहला स्वदेशी हेवीवेट जहाज है जो पनडुब्बी रोधी इलेक्ट्रिक टॉरपीडो से लॉन्च किया गया है।
टॉरपीडो क्या होता हैं? (What is a Torpedo?)
टॉरपीडो एक सिगार के आकार का स्व-चालित जल के नीचे का हथियार है, जिसे पनडुब्बी, सतह के जहाज़ या हवाई जहाज़ से लॉन्च किया जाता है और सतह के जहाजों और पनडुब्बियों में विस्फोट के लिये डिज़ाइन किया गया है अर्थात् टॉरपीडो एक स्वचालित विस्फोटक प्रक्षेपास्त्र होता है जिसे जलयान से पानी के अंदर या सतह पर दागा जाता है। यह पानी के अंदर ही अपना रास्ता तय करता है और लक्ष्य से टकराने या उसके पास आने पर विस्फोट हो जाता है।
टॉरपीडो के मुख्य भाग (Main parts of Torpedo):
- विस्फोटक: यह टॉरपीडो का मुख्य भाग होता है और इसमें भारी मात्रा में विस्फोटक पदार्थ भरे होते हैं।
- इंजन: यह टॉरपीडो को पानी के अंदर गति प्रदान करता है।
- प्रणोदन प्रणाली: यह टॉरपीडो को दिशा प्रदान करती है और उसे लक्ष्य की ओर ले जाती है।
- मार्गदर्शन प्रणाली: यह टॉरपीडो को लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करती है।
- वारहेड: यह विस्फोटक से भरा होता है और लक्ष्य से टकराने पर विस्फोट होता है।
- बैटरी: यह टॉरपीडो के सभी विद्युत उपकरणों को शक्ति प्रदान करती है।
टॉरपीडो के प्रकार (Types of Torpedoes):
- पनडुब्बी से लॉन्च किए जाने वाले टॉरपीडो: इन टॉरपीडो को पनडुब्बियों से पानी के अंदर दागा जाता है।
- जहाज से लॉन्च किए जाने वाले टॉरपीडो: इन टॉरपीडो को जहाजों से पानी की सतह से दागा जाता है।
- हवाई जहाज से लॉन्च किए जाने वाले टॉरपीडो: इन टॉरपीडो को हवाई जहाजों से पानी की सतह से दागा जाता है।
टॉरपीडो का उपयोग (use of torpedoes):
- युद्धपोतों को नष्ट करने के लिए: टॉरपीडो का मुख्य उपयोग युद्धपोतों को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
- तटीय प्रतिष्ठानों को नष्ट करने के लिए: टॉरपीडो का उपयोग तटीय प्रतिष्ठानों, जैसे कि बंदरगाहों और तेल रिफाइनरियों को नष्ट करने के लिए भी किया जा सकता है।
- पनडुब्बियों का पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए: कुछ टॉरपीडो को विशेष रूप से पनडुब्बियों का पता लगाने और उन पर हमला करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
टॉरपीडो का इतिहास (History of Torpedo):
- 1800 के दशक के शुरुआती दिनों में टॉरपीडो का विकास किया गया था।
- पहले टॉरपीडो का उपयोग अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान किया गया था।
- द्वितीय विश्व युद्ध में टॉरपीडो का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था।
- आज टॉरपीडो का उपयोग आधुनिक नौसेनाओं द्वारा किया जाता है।
भारत में टॉरपीडो:
- भारत अपनी नौसेना के लिए टॉरपीडो का विकास और उत्पादन करता है।
- वरुणास्त्र पहला स्वदेशी हैवीवेट जहाज़ है, जिससे पनडुब्बी रोधी इलेक्ट्रिक टारपीडो लॉन्च किया गया है।
वरुणास्त्र के बारे में (about varunastra):
- यहस्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित हेवीवेट, जहाज से प्रक्षेपित पनडुब्बी रोधी टारपीडो है।
- इसे रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के तहत विशाखापत्तनम में नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशालाद्वारा डिजाइन और विकसित किया गया था।
- यह सभी नौसैनिक जहाजों पर लगे पुराने टॉरपीडो की जगह लेगा जो भारी वजन वाले टॉरपीडो को फायर कर सकता है।
- इसका नाम महासागरों के हिंदू देवता, वरुण द्वारा बनाए गए एक पौराणिक हथियार के नाम पर रखा गया है।
- वरुणास्त्र टॉरपीडो केजहाज से लॉन्च किए गए संस्करण को औपचारिक रूप से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर द्वारा भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था और 26 जून 2016 को सुरक्षा सलाहकार सत्यम कुमार द्वारा डिजाइन किया गया था।
वरुणास्त्र की विशेष विशेषताएं:
- वरुणास्त्र टारपीडो250 किलोवाट की कई सिल्वर ऑक्साइड जिंक (एजीओजेडएन) बैटरियों के साथ एक विद्युत प्रणोदन प्रणाली द्वारा संचालित है।
- यह 74 किमी/घंटा से अधिक की गति प्राप्त कर सकता है, इसका वजन लगभग 5 टन है और यह250 किलोग्राम पारंपरिक हथियार ले जा सकता है।
- इस टॉरपीडो में95 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री है।
- यह दुनिया का एकमात्र टॉरपीडो है जिसमें जीपीएस-आधारित पता लगाने की सुविधा है।
- यह एक विद्युत चालित पनडुब्बी रोधी टारपीडो हैजो गहरे और उथले पानी दोनों में शांत पनडुब्बियों को निशाना बनाने में सक्षम है।
टॉरपीडो के बारे में (About Torpedo):
- टॉरपीडोस्व-चालित, पानी के नीचे प्रक्षेप्य हैं जिन्हें जहाजों और विमानों से लॉन्च किया जा सकता है।
- इन्हेंकिसी लक्ष्य के संपर्क में आने पर या उसके करीब विस्फोट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- भारतीय नौसेना अपने टॉरपीडो को समुद्री गश्ती विमानों, हेलीकॉप्टरों और सतह/उपसतह प्लेटफार्मों से तैनात करती है।
भारत के अन्य स्वदेशी टॉरपीडो:
शायना:
- यहभारत का पहला स्वदेशी उन्नत हल्का पनडुब्बी रोधी टॉरपीडो है।
- नौ फीट लंबे शायना टारपीडो को2012 में भारतीय नौसेना के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की नौसेना विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया गया था।
- इसे विशिष्ट जहाजों, पनडुब्बियों और हेलीकॉप्टरोंद्वारा लॉन्च करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो भारतीय नौसेना की संपत्ति का हिस्सा हैं।
भारत में पनडुब्बियाँ (submarines in india):
- भारत 16 पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों कासंचालन करता है जिन्हें एसएसके के रूप में वर्गीकृत किया गया है और एक परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बी को एसएसबीएन के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- एसएसके में सेचार शिशुमार क्लास हैं , जिन्हें 1980 के दशक में जर्मनों के सहयोग से भारत में खरीदा और बनाया गया था।
- आठ किलो क्लास या सिंधुघोष क्लास हैंजिन्हें 1984 और 2000 के बीच रूस (तत्कालीन यूएसएसआर सहित) से खरीदा गया था ।
- तीनकलवरी श्रेणी की स्कॉर्पीन पनडुब्बियां हैं , जिन्हें फ्रांस के नौसेना समूह, जिसे पहले डीसीएनएस कहा जाता था, के साथ साझेदारी में भारत के मझगांव डॉक पर बनाया गया था।
- पनडुब्बीसे प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइलें (एसएलबीएम), जिन्हें कभी-कभी मिसाइलों का ‘के’ परिवार कहा जाता है, को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया गया है।
- आईएनएस अरिहंत नेअक्टूबर 2022 में परमाणु सक्षम पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (एसएलबीएम) को सफलतापूर्वक लॉन्च किया।
- आईएनएस अरिहंत, जिसे2009 में लॉन्च किया गया था और 2016 में कमीशन किया गया था, भारत की पहली स्वदेशी परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल सक्षम पनडुब्बी है, जो गुप्त उन्नत प्रौद्योगिकी वेसल (एटीवी) परियोजना के तहत बनाई गई है, जिसे 1990 के दशक में शुरू किया गया था।
- बताया जाता है कि अरिहंत श्रेणी कीदूसरी पनडुब्बी एसएसबीएन अरिघाट को 2017 में लॉन्च किया गया था और कहा जा रहा है कि फिलहाल इसका समुद्री परीक्षण चल रहा है।
डीज़ल इलेक्ट्रिक पनडुब्बियाँ (SSK):
परमाणु शक्ति आक्रामक पनडुब्बी (SSN):
परमाणु शक्ति बैलिस्टिक मिसाइलयुक्त पनडुब्बी (SSBN):
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भारत में पनडुब्बी कार्यक्रम:
1999 में शुरू की गई स्वदेशी पनडुब्बी निर्माण की 30-वर्षीय योजना (2000-30) में एक विदेशी मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) के साथ साझेदारी में भारत में छह पनडुब्बियों की दो उत्पादन लाइनों की परिकल्पना की गई थी।
- इन परियोजनाओं कोP-75 और P-75I कहा गया।
- पी-75 के लिए फ्रांस के डीसीएनएस के साथ 2005 में ही एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।
- P-75 ने अब तक तीन कलवरी क्लास स्कॉर्पीन पनडुब्बियों की आपूर्ति की है, लेकिन P-75I परियोजना शुरू नहीं हुई है।
सुपरसोनिक मिसाइल असिस्टेड टॉरपीडो (SMART) का महत्त्व:
- यह भारतीय नौसेना की रणनीतिक क्षमता को और अधिक मज़बूती प्रदान करेगी।
- यह पनडुब्बी रोधी युद्ध में स्टैंड ऑफ क्षमता की दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि है।
- वर्ष 2003 में स्वीकृत प्रोजेक्ट 28, वर्तमान में भारतीय नौसेना के साथ सेवारत पनडुब्बी रोधी युद्धपोतों का एक वर्ग है। इसमें आईएनएस कमोर्ता, आईएनएस कदमत, आईएनएस किल्टन और आईएनएस कवरत्ती शामिल हैं।
- प्रोजेक्ट 75 भारतीय नौसेना का एक कार्यक्रम है जिसमें छह स्कॉर्पीन-क्लास अटैक पनडुब्बियों (कलवरी, खांदेरी, करंज, वेला, वागीर और वाग्शीर) का निर्माण शामिल है।
- प्रोजेक्ट 75 इंडिया में अत्याधुनिक एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन सिस्टम से लैस पनडुब्बियों के स्वदेशी निर्माण की परिकल्पना की गई है, जिसकी अनुमानित लागत 43,000 करोड़ रुपए है।
PYQ’s
Q. वरुणास्त्र क्या है?
(a) एक टारपीडो
(b) वर्षा जल संचयन की एक नवीन तकनीक
(c) हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल
(d) कृत्रिम बारिश कराने के लिए एक तंत्र तैयार किया गया
उत्तर: (a) एक टारपीडो
Q. “वरुणास्त्र” टारपीडो को भारतीय नौसेना द्वारा अपने शस्त्रागार में शामिल किये जाने के निर्णय से जल के अंदर इसकी प्रहार क्षमता में बढ़ोतरी होगी। इस टारपीडो के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन गलत है?
(a) यह भारत को केवल आठ देशों के समूह में करेगा जो हैवीवेट टॉरपीडो के निर्माण की क्षमता रखते हैं।
(b) यह एक पनडुब्बी रोधी इलेक्ट्रिक टारपीडो है जो रिमोट-नियंत्रित मार्गदर्शन प्रणालियों से लैस है।
(c) इसे भारत और फ्रांस के संयुक्त उद्यम के तहत विकसित किया गया है।
(d) इसमें लगी हथियार प्रणाली अपनी ही बुद्धि का इस्तेमाल कर लक्ष्य का पता लगाने में सक्षम है।
उत्तर: (c) इसे भारत और फ्रांस के संयुक्त उद्यम के तहत विकसित किया गया है।
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