हाल ही में पश्चिम बंगाल की चार, हिमाचल प्रदेश की तीन, उत्तराखंड की दो और बिहार, मध्य प्रदेश, पंजाब और तमिलनाडु की एक-एक सीट पर हुए Bypoll Election का परिणाम घोषित हुआ है।
Bypoll Election Results 2024:
लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, पंजाब, मध्यप्रदेश और तमिलनाडु राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर हुए Bypoll Election के रिजल्ट घोषित हुए। इन 13 सीटों में से 10 सीटों पर कांग्रेस नेतृत्व वाले INDIA गठबंधन ने 10 सीटों पर जीत हासिल की है। जबकि भाजपा को मात्र दो सीटों पर जीत मिली।
Bypoll Election क्या है?
Bypoll Election, जिसे विशेष चुनाव भी कहा जाता है, उन चुनावों को कहते हैं जो भारत के विधायी निकायों (जैसे कि संसद या राज्य विधानसभाओं) में खाली हुई सीटों को भरने के लिए आयोजित किए जाते हैं।
क्यों होते है Bypoll Election:
- भारत में हर 5 सालों में आम चुनाव होते हैं। इस प्रक्रिया के ज़रिए लोकसभा के लिए Members of parliament यानी MP (सांसद) या विधानसभा के लिए Members of Legislative Assembly यानी MLA (विधायक) का चुनाव होता हैं।
- इन सांसदों और विधायकों का कार्यकाल आमतौर पर 5 सालों का होता है। मगर कई बार कुछ कारणों की वजह से सांसद और विधायक अपने कार्यकाल को पूरा नहीं कर पाते हैं तो अगले आम चुनाव से पहले के लिए Bypoll Election कराए जाते है।
- अर्थात् Bypoll Election आम चुनावों के बीच होते हैं और किसी खाली सीट को भरने करने के लिए कराए जाते हैं।
सीटों के खाली (Seat Vacant) होने के प्रमुख कारण:
- मृत्यु (Death): किसी निर्वाचित सदस्य की मृत्यु हो जाती है।
- इस्तीफा (Resign): निर्वाचित सदस्य अपने पद से इस्तीफा दे देते हैं।
- निलंबन (Suspension): किसी सदस्य को पद के अयोग्य घोषित कर दिया जाता है या किसी कारणवश उन्हें पद छोड़ना पड़ता है।
- अवसरवाद (Opportunism): यदि चुना गया प्रतिनिधि अपना इस्तीफा दे दे तो उस स्तिथि में भी Bypoll Election कराए जाते है। दरअसल कई बार MLAs लोक सभा के लिए चुनाव लड़ते हैं और जीत जाते हैं, तो वे संविधान के नियमानुसार (एक व्यक्ति एक समय पर दो पदों पर नहीं रह सकता) अपनी विधान सभा की सीट छोड़ कर लोक सभा चले जाते हैं और उस सीट के लिए फिर उपचुनाव कराया जाता है।
- अन्य कारण: अन्य किसी भी कारण से सीट रिक्त हो जाती है।
अनुच्छेद 101 और 190: संसद और राज्य विधानसभाओं के सदस्यों की सीट रिक्त होने की स्थिति को परिभाषित करता है। इसमें सदस्य की मृत्यु, इस्तीफा, अयोग्यता, या अन्य कारण शामिल हैं।
Bypoll Election की समय सीमा:
- किसी भी रिक्त स्थान को भरने के लिए Bypoll Election, 6 महीने के अंदर कराया जाना चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि निर्वाचित निकाय में पर्याप्त सदस्यता बनी रहे।
- Bypoll Election केवल उन मतदाताओं के लिए खुला है जो उस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं में नामांकित हैं।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151A के अनुसार, यदि सदस्य का शेष कार्यकाल एक वर्ष या उससे अधिक है, तो चुनाव आयोग को रिक्ति की तिथि से छह महीने के भीतर संसद और राज्य विधानमंडलों में आकस्मिक रिक्तियों को भरने के लिए उप-चुनाव आयोजित करना होगा।
- यदि रिक्ति की तिथि से शेष कार्यकाल एक वर्ष से कम है तो Bypoll Election की आवश्यकता नहीं है।
Bypoll Election के नियम:
- चुनाव आयोग का निर्णय (Election Commission’s decision): चुनाव आयोग (Election Commission of India) Bypoll Election की तारीखें तय करता है और इसके संचालन की देखरेख करता है।
- आचार संहिता (Code of conduct): जैसे ही Bypoll Election की घोषणा होती है, आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो जाती है। इसका पालन सभी राजनीतिक दलों (Political parties) और उम्मीदवारों (Candidates) को करना होता है।
- नामांकन प्रक्रिया (Enrollment process): उम्मीदवारों को निर्धारित समय सीमा के भीतर अपने नामांकन पत्र दाखिल करने होते हैं।
- जाँच प्रक्रिया (Investigation process): नामांकन पत्रों की जाँच की जाती है और वैध उम्मीदवारों (valid candidates) की सूची प्रकाशित की जाती है।
- प्रचार (Publicity): उम्मीदवार और राजनीतिक दल चुनाव प्रचार करते हैं। प्रचार के दौरान, उन्हें आचार संहिता (Code of conduct) का पालन करना होता है।
- मतदान (vote): निर्धारित तिथि को मतदान कराया जाता है। यह मतदान इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के माध्यम से होता है।
- मतगणना (Counting of votes): मतदान के बाद, मतगणना की जाती है और परिणाम घोषित किए जाते हैं।
- शिकायत निवारण (Grievance redressal): चुनाव के दौरान या बाद में किसी भी प्रकार की शिकायतें चुनाव आयोग के समक्ष दर्ज कराई जा सकती हैं, और आयोग उनका निवारण करता है।
Bypoll Election में वही प्रक्रिया अपनाई जाती है जो सामान्य चुनावों में होती है, लेकिन इसमें केवल उस क्षेत्र के लिए ही चुनाव होता है जहां सीट रिक्त हुई है। चुनाव आयोग सुनिश्चित करता है कि Bypoll Election निष्पक्ष और स्वतंत्र रूप से हो।
उपचुनावों का प्रभाव (Impact of By-elections):
- राजनीतिक प्रभाव (Political influence): उपचुनावों का प्रभाव कई स्तरों पर देखा जा सकता है, जिसमें राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक पहलू शामिल हैं।
- सत्ता संतुलन पर प्रभाव (Impact on the balance of power): उपचुनावों के परिणाम सत्ताधारी पार्टी या विपक्ष के लिए सत्ता संतुलन को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि सत्ताधारी पार्टी Bypoll Election में सीटें खो देती है, तो इससे उसकी स्थिरता पर असर पड़ सकता है।
- राजनीतिक रणनीति में बदलाव (Change in political strategy): उपचुनावों के परिणाम राजनीतिक पार्टियों को अपनी रणनीति में बदलाव करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। सफल या असफल परिणामों के आधार पर, पार्टियां अपनी नीतियों और अभियानों में बदलाव कर सकती हैं।
- जनमत का संकेत (Indication of public opinion): उपचुनावों के नतीजे अक्सर सरकार की लोकप्रियता का संकेत होते हैं। जनता का मौजूदा सरकार के प्रति समर्थन या असंतोष उपचुनावों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
- सामाजिक प्रभाव (Social Impact):
- स्थानीय मुद्दों पर ध्यान (Focus on local issues): Bypoll Election अक्सर स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित होते हैं, जिससे इन मुद्दों पर राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान जाता है। इससे स्थानीय समस्याओं का समाधान जल्दी हो सकता है।
- वोटर जागरूकता (Voter awareness): Bypoll Election वोटरों को जागरूक और सक्रिय करने का एक मौका प्रदान करते हैं। इससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी बढ़ती है।
- आर्थिक प्रभाव (Economic impact):
- विकास कार्यों में तेजी (Acceleration in development works): उपचुनावों के दौरान राजनीतिक पार्टियां वोटरों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न विकास कार्यों की घोषणा कर सकती हैं। इससे संबंधित क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ सकती है।
- सरकारी खर्च में वृद्धि (Increase in government spending): उपचुनावों के दौरान सरकारी संसाधनों का उपयोग बढ़ सकता है। प्रचार, सुरक्षा, और चुनावी प्रक्रिया के संचालन के लिए अधिक खर्च किया जा सकता है।
- दीर्घकालिक प्रभाव (long term effects):
- अगले आम चुनावों पर प्रभाव (Impact on next general elections): उपचुनावों के परिणाम अगले आम चुनावों के लिए एक संकेतक हो सकते हैं। पार्टियों के लिए यह एक परीक्षण की तरह होता है कि उनकी नीतियां और नेतृत्व कितने प्रभावी हैं।
- नेतृत्व में परिवर्तन (Change in leadership): उपचुनावों के असफल परिणाम कभी-कभी राजनीतिक दलों के नेतृत्व में बदलाव का कारण बन सकते हैं। इससे नई नेतृत्व टीम को उभरने का मौका मिल सकता है।
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