हाल के दिनों में IAS Puja Khedkar के मुद्दे से लेकर आज UPSC चेयरमैन के इस्तीफे तक यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) चर्चा में है आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC):
संघ लोक सेवा आयोग भारत के संविधान द्वारा स्थापित एक संवैधानिक व्यवस्था है जो भारत सरकार के लोकसेवा के पदाधिकारियों की नियुक्ति के लिए परीक्षाओं का संचालन करती है। संविधान के भाग-14 के अंतर्गत अनुच्छेद 315-323 में एक संघीय लोक सेवा आयोग और राज्यों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान है।
इतिहास (History):
- 1854 में लंदन में सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई तथा प्रतिस्पर्धात्मक परीक्षाएं 1855 में शुरू की गई।
- प्रारम्भ में भारतीय सिविल सेवा के लिए परीक्षाओं का आयोजन सिर्फ लंदन में किया जाता था। जिसके लिए अधिकतम आयु 23 वर्ष तथा न्यूनतम आयु 18 वर्ष थी।
- पाठ्यक्रम का निर्धारण इस प्रकार किया जाता था कि उसमें सर्वाधिक अंक यूरोपियन क्लासिकी के थे जिससे भारतीय उम्मीदवारों के लिए ये परीक्षाएं कठिन हो गई।
- श्री रविन्द्रनाथ टैगोर के भाई श्री सत्येन्द्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे, जिन्होंने 1864 में, सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त की। तीन वर्ष पश्चात 4 अन्य भारतीयों ने भी सफलता हासिल की।
- अगले 50 वर्षों तक, भारतीयों ने भारत में भी साथ-साथ परीक्षाएं आयोजित करने हेतु निवेदन किया परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली क्योंकि ब्रिटिश सरकार नहीं चाहती थी कि ज्यादा भारतीय इन परीक्षाओं में सफलता हासिल करें तथा भारतीय सिविल सेवा में प्रवेश करें।
- 1923 में, ब्रिटिश सरकार ने भारत में उच्च सिविल सेवाओं पर रॉयल कमीशन की स्थापना की, जिसकी अध्यक्षता लॉर्ड ली ऑफ़ फारेहम ने की।
- इस कमीशन ने 1924 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें एक लोक सेवा आयोग की स्थापना की सिफारिश की गई।
- 1 अक्टूबर 1926 को भारत में पहला लोक सेवा आयोग (Public Service Commission) सर रॉस बार्कर की अध्यक्षता में स्थापित किया गया।
- 1935 का भारत सरकार अधिनियम के तहत, लोक सेवा आयोग को संघीय लोक सेवा आयोग (Federal Public Service Commission) के रूप में पुनर्गठित किया गया।
- 1947 में स्वतंत्रता के बाद आयोग का नाम बदलकर संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) कर दिया गया।
संवैधानिक प्रावधान (Constitutional provisions):
भारतीय संविधान के भाग XIV में अनुच्छेद 315 से 323 तक संघ लोक सेवा आयोग से संबंधित प्रावधान हैं।
- अनुच्छेद- 315 : संघ और राज्यों के लिए लोक सेवा आयोग
- अनुच्छेद- 316 : सदस्यों की नियुक्ति और पदावधि
- अनुच्छेद- 317 : लोक सेवा आयोग के किसी सदस्य का हटाया जाना और निलंबित किया जाना
- अनुच्छेद- 318 : आयोग के सदस्यों और कर्मचारिवृंद की सेवा की शर्तों के बारे में विनियम बनाने की शक्ति
- अनुच्छेद- 319 : आयोग के सदस्यों द्वारा ऐसे सदस्य न रहने पर पद धारण करने के संबंध में प्रतिषेध
- अनुच्छेद- 320 : लोक सेवा आयोगों के कार्य
- अनुच्छेद- 321. लोक सेवा आयोगों के कृत्यों का विस्तार करने की शक्ति
- अनुच्छेद- 322. लोक सेवा आयोगों के व्यय
- अनुच्छेद-323. लोक सेवा आयोगों के प्रतिवेदन
संघ लोक सेवा आयोग की संरचना (Structure of Union Public Service Commission):
यूपीएससी में भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और अन्य सदस्य होते हैं। आम तौर पर, आयोग में अध्यक्ष सहित नौ से ग्यारह सदस्य होते हैं। इसके अलावा, आयोग की सदस्यता के लिए कोई योग्यता निर्धारित नहीं की गई है, बस आयोग के आधे सदस्य ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जिन्होंने भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन कम से कम दस साल तक पद संभाला हो। आयोग के कम से कम आधे सदस्य सिविल सेवक (कार्यरत या सेवानिवृत्त) हैं जिनके पास केंद्र या राज्य सेवा में कम से कम दस साल का अनुभव है।
आयोग की सेवा एक सचिवालय द्वारा की जाती है, जिसका प्रमुख एक सचिव होता है, जिसमें दो अतिरिक्त सचिव, कई संयुक्त सचिव, उप सचिव और अन्य सहायक कर्मचारी होते हैं। प्रत्येक सदस्य छह वर्ष की अवधि तक या जब तक वह पैंसठ वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेता, जो भी पहले हो, पद धारण करता है। संघ या राज्य लोक सेवा आयोग के व्यय, जिनमें आयोग के सदस्यों या कर्मचारियों को देय वेतन, भत्ते और पेंशन शामिल हैं, भारत की संचित निधि या, जैसा भी मामला हो, राज्य की संचित निधि पर भारित किए जाएंगे।
आयोग के कार्य (Functions of Union Public Service Commission):
संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत, अन्य बातों के साथ-साथ सिविल सेवाओं तथा पदों के लिए भर्ती संबंधी सभी मामलों में आयोग का परामर्श लिया जाना अनिवार्य होता है। संविधान के अनुच्छेद 320 के अंतर्गत आयोग के प्रकार्य इस प्रकार हैं:
- संघ के लिए सेवाओं में नियुक्ति हेतु परीक्षा आयोजित करना
- साक्षात्कार द्वारा चयन से सीधी भर्ती
- प्रोन्नति/ प्रतिनियुक्ति/ आमेलन (Promotion/Deputation/Absorption) द्वारा अधिकारियों की नियुक्ति
- सरकार के अधीन विभिन्न सेवाओं तथा पदों के लिए भर्ती नियम तैयार करना तथा उनमें संशोधन
- विभिन्न सिविल सेवाओं से संबंधित अनुशासनिक मामले
- भारत के राष्ट्रपति द्वारा आयोग को प्रेषित किसी भी मामले में सरकार को परामर्श देना
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