चर्चा में क्यों?
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया, जिसके अंतर्गत एमसीडी में 10 एल्डरमैन (Alderman) की नियुक्ति दिल्ली के उपराज्यपाल द्वारा की जाएगी, जिसमे मंत्रिपरिषद के सलाह की कोई आवश्यकता नहीं हैं ।
उपराज्यपाल द्वारा 4 जनवरी 2023 को इस संबंध में एक फैसला जारी किया गया था, जिस पर दिल्ली सरकार की आपत्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्टे लगा दिया था। उपराज्यपाल के इस फैसले को हाल ही में कोर्ट ने बरकरार रखने का आदेश दिया हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच लंबे समय से चल रहे अधिकारों के संघर्ष को एक नया मोड़ दिया है। अन्य राजनीतिक दलों का भी मानना है कि यह फैसला उचित नही है। जिसके चलते इस विषय पर तनातनी का माहौल बना हुआ हैं।
मुख्य बिंदु:
- दिल्ली के उपराज्यपाल श्री वी. के. सक्सेना ने 4 जनवरी 2024 को दिल्ली नगर निगम से संबंधित एक फैसला सुनाया। जिसमे उन्होंने कहा कि वो निगम के रिक्त 10 एल्डरमैन पदों में DMC अधिनियम 1957 अनुसार अपनी इच्छा से एल्डरमैन (Alderman) की नियुक्ति करेंगे।
- इस फैसले को सुनकर दिल्ली की आप सरकार ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया और उन्होंने अनुच्छेद 239AA का हवाला दिया। इस तरह मामला दिल्ली हाईकोर्ट जा पहुंचा। अंत में यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट होता हुआ सुप्रीम कोर्ट जा पहुंचा।
- 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को सुरक्षित रखा था, लेकिन 2024 में कोर्ट ने एलजी की एल्डरमैन की स्वतंत्र रूप से नियुक्ति करने की शक्ति को बरकरार रखा, जैसा कि डीएमसी अधिनियम द्वारा प्रदान किया गया है।
- अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि अधिनियम एलजी को ये नियुक्तियां करने का स्पष्ट अधिकार देता है।
- अदालत ने 2023 के मामले, दिल्ली सरकार बनाम भारत संघ का भी उल्लेख किया, जिसमें यह स्थापित किया गया था कि संसद को दिल्ली के लिए राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति है।
- सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे और जिसमें न्यायमूर्ति नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला शामिल थे, ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है।
- इस फैसले में कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि उपराज्यपाल (एलजी) को एमसीडी में सदस्यों को नामित करने का अधिकार है, लेकिन यह अधिकार विधायी है, कार्यकारी नहीं।
अनुच्छेद 239AA: यह भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो विशेष रूप से दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के प्रशासन से संबंधित है। यह अनुच्छेद दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार के बीच शक्तियों के बंटवारे को परिभाषित करता है। उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह पर कार्य करता है, लेकिन कुछ मामलों में राष्ट्रपति के विचारार्थ विषय आरक्षित कर सकता है। दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957: इस अधिनियम के तहत दिल्ली नगर निगम की स्थापना की गई, जिसे शहर के प्रशासन के लिए मुख्य निकाय बनाया गया। अधिनियम में निगम की संरचना, जिसमें मेयर, स्थायी समिति, सदस्य और अन्य अधिकारी शामिल हैं, का वर्णन किया गया है। कुछ परिस्थिति में उपराज्यपाल का हस्तक्षेप हो सकता है। |
नगर निगम (Municipal Corporation) क्या हैं:
- नगर निगम भारत में एक प्रकार की स्थानीय सरकार है जो एक मिलियन से अधिक जनसंख्या वाले शहरी क्षेत्रों का प्रबंधन करती है।
- वे महानगरों के विकास के लिए जिम्मेदार हैं और शिक्षा और आवास जैसी आवश्यक सेवाएं प्रदान करते हैं।
- नगर निगम राज्यों में राज्य विधानमंडल द्वारा और केंद्र शासित प्रदेशों में संसद द्वारा स्थापित किए जाते हैं।
- भारत में पहला नगर निगम 1688 में मद्रास में स्थापित किया गया था, जिसके बाद 1726 में बॉम्बे और कलकत्ता में स्थापित किया गया था।
- नगर निगम चुनाव हर पांच साल में होते हैं, और उम्मीदवारों को अपने नामांकन पत्रों पर अपनी जाति, जनजाति या अनुसूचित वर्ग की घोषणा करनी होती है।
- कुछ सीटें महिलाओं, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित हैं।
- भारत में 100 नगर निगम हैं, जो बड़े शहरी क्षेत्रों का शासन करते हैं। सबसे बड़े नगर निगम भारत के आठ महानगरों में हैं, जो देश के प्रशासनिक और वाणिज्यिक केंद्र भी हैं।
MCD के प्रमुख कार्य और जिम्मेदारियां:
- दिल्ली नगर निगम (MCD) दिल्ली के नागरिकों को बेहतर जीवन प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करता है।
- MCD शहर में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए काम करता है। इसमें अस्पतालों का निर्माण और रखरखाव, स्वास्थ्य केंद्रों का संचालन, और स्वच्छता अभियान शामिल हैं।
- MCD शहर के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य करता है। इसमें सड़कों का निर्माण और मरम्मत, फुटपाथों का निर्माण, बाजारों का विकास, और पार्कों का रखरखाव शामिल है।
- MCD शहर में प्राथमिक शिक्षा के प्रसार के लिए काम करता है। इसके अंतर्गत प्राथमिक स्कूलों का संचालन और शिक्षकों की नियुक्ति शामिल है।
- MCD शहर को स्वच्छ रखने के लिए कई कार्य करता है। इसमें कचरा निस्तारण, सीवरेज सिस्टम का रखरखाव, और सड़कों की सफाई शामिल है।
- MCD शहर में जल आपूर्ति की व्यवस्था करता है। इसमें पानी के टैंकों का निर्माण और रखरखाव, और पानी की पाइपलाइन का विस्तार शामिल है।
- MCD शहर में यातायात व्यवस्था को सुचारू बनाने के लिए काम करता है। इसमें सड़कों का चौड़ीकरण, फ्लाईओवर का निर्माण, और यातायात सिग्नल का रखरखाव शामिल है।
- MCD शहर में कई अन्य कार्य भी करता है। इसमें श्मशान घाटों का संचालन, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करना, और भवनों का निर्माण लाइसेंस जारी करना शामिल है।
एल्डरमैन (Alderman) कौन होते हैं?
- एल्डरमैन शब्द का अर्थ होता है ‘बुजुर्ग व्यक्ति’ या ‘किसी विशेष क्षेत्र में विशेषज्ञ व्यक्ति’।
- दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 के अनुसार, दिल्ली के उपराज्यपाल निगम में 25 साल से ऊपर की उम्र के दस लोगों को मनोनीत कर सकते हैं।
- इन लोगों से यह उम्मीद की जाती है कि उनके पास नगरपालिका प्रशासन में विशेषज्ञता या अनुभव होगा। हालांकि, Alderman मेयर के चुनाव में वोट नहीं डाल सकते हैं।
- एल्डरमैन सदस्य सदन के रूप में, उनके पास एमसीडी के 12 जोनों में से प्रत्येक के लिए एक प्रतिनिधि चुनने के लिए वोट डालने का अधिकार होता है।
- निश्चित अधिकारों से जुड़े प्रतिबंधों को छोड़कर, एक एल्डरमैन (Alderman) की भूमिका एक पार्षद के समान होती है।
Alderman के कार्य: एक विस्तृत विश्लेषण
- विभिन्न समितियों में भागीदारी: एल्डरमैन नगर निगम की विभिन्न समितियों में शामिल होते हैं और नीति निर्माण में अपनी राय देते हैं।
- योजनाओं की समीक्षा: वे विभिन्न योजनाओं और परियोजनाओं की समीक्षा करते हैं और सुधार के लिए सुझाव देते हैं।
- नीतिगत निर्णय: नगर निगम की नीतियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- बजट निर्माण: नगर निगम के बजट निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वित्तीय लेखांकन: वित्तीय लेखा-जोखा पर नजर रखते हैं और सुनिश्चित करते हैं कि धन का सही उपयोग हो रहा है।
- जनता की समस्याएं: स्थानीय लोगों की समस्याओं और शिकायतों को सुनते हैं और उनके समाधान के लिए प्रयास करते हैं।
- क्षेत्र का विकास: अपने क्षेत्र के विकास और सुधार के लिए काम करते हैं।
- नगर निगम के कार्यों की निगरानी: नगर निगम के विभिन्न कार्यों और सेवाओं की निगरानी करते हैं।
भारत में उपराज्यपाल (LG) की भूमिका:
- भारत में उपराज्यपाल (LG) की भूमिका जिस केंद्र शासित प्रदेश (UT) में वे सेवा करते हैं, उसके आधार पर अलग-अलग होती है।
- अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह और लद्दाख में LG राज्य का प्रमुख और प्रशासन प्रमुख होता है। जिनकी जिम्मेदारियां और शक्तियां राज्य सरकार के समान होती हैं।
- दिल्ली, जम्मू और कश्मीर और पुदुचेरी में केंद्र शासित प्रदेशों में कुछ स्वशासन है, इसलिए LG की भूमिका मुख्य रूप से औपचारिक होती है, जो एक राज्यपाल के समान होती है।
- उदाहरण के लिए, दिल्ली के LG की जिम्मेदारियों में राज्य सरकार के अनुपस्थित रहने पर उनकी जगह लेना, इस्तीफा या महाभियोग के बाद उनका उत्तराधिकारी बनना और दिल्ली महानगर परिषद का नेतृत्व करना शामिल है।
- भारत के राष्ट्रपति पांच साल के लिए LG की नियुक्ति करते हैं, लेकिन उनके कार्यकाल को निलंबित किया जा सकता है या वे इस्तीफा दे सकते हैं।
- LG सामुदायिक कार्य भी करते हैं, जैसे कि भवन उद्घाटन में भाग लेना, सम्मेलनों को संबोधित करना और कार्यक्रमों का शुभारंभ करना।
एलजी द्वारा एल्डरमैन (Alderman) नियुक्त करने की शक्ति:
सर्वप्रथम 1993 के दिल्ली नगर निगम अधिनियम ने पहली बार उपराज्यपाल को एल्डरमैन नियुक्त करने की शक्ति प्रदान की थी। इसके बाद कुछ संशोधन होने के उपरांत दिल्ली नगर निगम अधिनियम, 1957 की धारा 3(3)(बी) के अनुसार यह स्पष्ट किया गया कि उपराज्यपाल द्वारा ऐसे किसी 10 व्यक्तियों जो 25 वर्ष से कम उम्र का नहीं हों और नगरपालिका प्रशासन में विशेष ज्ञान या अनुभव रखता हो, को मनोनीत कर सकते हैं। वर्तमान में दिल्ली उपराज्यपाल ने इसी अधिनियम के अंतर्गत नियुक्ति का फैसला लिया है ।
MCD में आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के एल्डरमैन (Alderman) नियुक्ति को लेकर दिए गए फैसले के बाद दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) में स्थायी समिति के गठन का रास्ता साफ हो गया है। लंबे समय से चले आ रहे विवादों के बाद अब एमसीडी में स्थायी समिति का गठन किया जा सकेगा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एमसीडी में स्थायी समिति के गठन से दिल्ली के विकास कार्यों में तेजी आएगी। एल्डरमैन की भागीदारी से निगम के निर्णयों में विविधता आएगी और स्थानीय लोगों के हितों की बेहतर तरीके से रक्षा हो सकेगी।
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