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अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस 2024

चर्चा में क्यों? 

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Tribal Day) हर साल 9 अगस्त को मनाया जाता है। यह दिन दुनिया भर के आदिवासियों के अधिकारों, संस्कृति और योगदान को उजागर करने के लिए समर्पित है। 

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस 2024 हमें इस बात के लिए प्रेरित करता है कि हम आदिवासी समुदायों के अधिकारों और कल्याण के लिए काम करें। हमें उनकी संस्कृति का सम्मान करना चाहिए और उनके अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Tribal Day) : 

यह दिवस हर वर्ष 9 अगस्त को आदिवासियों की आवाज को मजबूत बनाने की एक पहल है। यह दिन न केवल उनकी सांस्कृतिक विविधता को उजागर करता है, बल्कि उनके अधिकारों, चुनौतियों और योगदान को भी रेखांकित करता है। आज भी, जब दुनिया तेजी से बदल रही है, आदिवासी समुदाय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। भूमि हरण, सांस्कृतिक अतिक्रमण और सामाजिक उत्पीड़न जैसी समस्याएं अभी भी व्यापक हैं। अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस हमें इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने और आदिवासी समुदायों के लिए एक अधिक न्यायपूर्ण और समतापूर्ण दुनिया बनाने के लिए काम करने का अवसर प्रदान करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Tribal Day) सिर्फ एक दिन नहीं है, बल्कि यह एक विचार है। यह विचार हमें याद दिलाता है कि हम सभी एक ही धरती पर रहते हैं और हमें एक-दूसरे की संस्कृतियों और परंपराओं का सम्मान करना चाहिए। यह दिवस हमें आदिवासी समुदायों के साथ खड़े होने और उनके अधिकारों के लिए लड़ने का आह्वान करता है।

कैसे शुरू हुआ यह International Tribal Day?

जब पूरे विश्व भर में आदिवासी समुदायों के खिलाफ अन्याय हो रहे थे तो इसे लेकर संयुक्त राष्ट्र में सुनवाई की जाने लगी। जहां लोगो को इस बात का पता चला कि आज भी दुनिया में कुछ ऐसे तबके के लोग हैं जिनका पूर्ण शोषण हो रहा है और किसी भी सरकार का उस विशेष समुदाय पर ध्यान नहीं है। तब इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हुए 23 दिसंबर 1994 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया और प्रतिवर्ष 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस के रूप में घोषित किया।

इस विशेष तिथि को चुनने के पीछे एक खास वजह है। 9 अगस्त, 1982 को जिनेवा, स्विट्जरलैंड में आदिवासी आबादी पर राष्ट्र कार्य समूह की पहली बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक ने आदिवासी मुद्दों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा को प्रोत्साहित किया।

संयुक्त राष्ट्र के निर्णय के बाद, पहला अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Tribal Day) 9 अगस्त, 1995 को मनाया गया। तब से, यह दिन दुनिया भर में आदिवासी समुदायों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता रहा है।

संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly): 

  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा विश्व का सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय मंच है, जहाँ दुनिया के सभी देशों के प्रतिनिधि एक साथ आते हैं। 
  2. यह संयुक्त राष्ट्र का एक प्रमुख अंग है और यह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुसार संयुक्त राष्ट्र का सबसे प्रतिनिधि अंग है। 
  3. महासभा में संयुक्त राष्ट्र के सभी 193 सदस्य देशों के प्रतिनिधि होते हैं।
  4.  महासभा में प्रत्येक सदस्य देश के पास एक वोट होता है, जिसका अर्थ है कि सभी देशों की आवाज को समान महत्व दिया जाता है।
  5.  महासभा विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा करती है, जैसे कि शांति और सुरक्षा, मानवाधिकार, आर्थिक विकास, और पर्यावरण।

 United Nations General Assembly

अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस का उद्देश्य: 

  1. जागरूकता बढ़ाना: सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, यह दिवस लोगों को आदिवासियों की संस्कृति, इतिहास और चुनौतियों के बारे में जागरूक करने का प्रयास करता है। कई बार, आदिवासी समुदायों को मुख्यधारा के समाज से अलग-थलग कर दिया जाता है, जिससे उनके बारे में बहुत कम जानकारी होती है। यह दिवस इस अंतर को पाटने में मदद करता है।
  2. अधिकारों की रक्षा: आदिवासी समुदाय अक्सर अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं। उन्हें अपनी भूमि, संसाधनों और सांस्कृतिक पहचान से वंचित किया जाता है। यह दिवस आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा करने और उन्हें सुनिश्चित करने के लिए एक मंच प्रदान करता है कि उनके साथ न्याय हो।
  3. सांस्कृतिक विविधता का सम्मान: आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और परंपराएं होती हैं। यह दिवस इस सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करता है और हमें याद दिलाता है कि यह मानवता की एक अमूल्य संपत्ति है।
  4. सामाजिक न्याय: यह दिवस आदिवासी समुदायों के लिए सामाजिक न्याय और समानता की मांग करता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आदिवासी समुदायों को समान अवसर मिलें, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार, इस दिवस का आयोजन किया जाता है।
  5. सहयोग को बढ़ावा देना: यह दिवस आदिवासी समुदायों और सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और अन्य हितधारकों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि आदिवासी समुदायों के विकास के लिए एक साथ काम किया जाए, यह दिवस महत्वपूर्ण है।
  6. भाषाओं का संरक्षण: आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट भाषाएं होती हैं, जो मानव इतिहास और संस्कृति का एक अमूल्य खजाना हैं। अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस (International Tribal Day) हमें इन भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्रेरित करता है।
  7. पर्यावरण संरक्षण: कई आदिवासी समुदाय प्रकृति के साथ गहराई से जुड़े हुए हैं और वे पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह दिवस हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक होने और आदिवासी समुदायों के पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं से सीखने के लिए प्रेरित करता है।
  8. शून्य भूख लक्ष्य में योगदान: कई आदिवासी समुदाय कृषि और पशुपालन पर निर्भर करते हैं। वे खाद्य सुरक्षा और पोषण में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। International Tribal Day हमें शून्य भूख के लक्ष्य को प्राप्त करने में उनके योगदान को मान्यता देने का अवसर देता है।

दुनिया और भारत में आदिवासी समूहों की संख्या:

दुनिया भर में आदिवासी आबादी का सटीक आंकड़ा बताना मुश्किल है क्योंकि कई बार आदिवासियों की पहचान और गणना में चुनौतियां होती हैं। विभिन्न स्रोतों के अनुसार, विश्व में आदिवासियों की संख्या 250 मिलियन से 600 मिलियन के बीच अनुमानित है। यह एक बहुत बड़ी संख्या है जो दुनिया की कुल आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

भारत में आदिवासी आबादी की संख्या भी काफी अधिक है। देश में 10 करोड़ से अधिक आदिवासी रहते हैं। ये आदिवासी देश के विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं और उनकी अपनी अलग-अलग भाषाएं, संस्कृतियां और परंपराएं हैं। हालांकि, इनमें से लगभग 28 लाख आदिवासी अभी भी विकास की मुख्यधारा से दूर हैं। इसका मतलब है कि उन्हें मूलभूत सुविधाएं जैसे कि स्वच्छ पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।

  •  भारत में आदिवासी समुदायों की विविधता अद्भुत है। देश में 705 से अधिक औपचारिक रूप से पहचाने गए जातीय समूह हैं। इनमें से लगभग 75 को विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो अतिरिक्त संरक्षण के हकदार हैं।
  •  भारत के सबसे बड़े जनजातीय समूह गोंड हैं। ये आदिवासी देश के विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं और उनकी अपनी विशिष्ट संस्कृति, भाषा और परंपराएं हैं। ओडिशा राज्य में आदिवासी समुदायों की संख्या सबसे अधिक है, जहां लगभग 62 विभिन्न जनजातियां पाई जाती हैं।
  •  भारत का केंद्रीय जनजातीय बेल्ट, जिसमें पूर्वोत्तर राज्य और राजस्थान से पश्चिम बंगाल तक के क्षेत्र शामिल हैं, देश की सबसे बड़ी आदिवासी आबादी वाला क्षेत्र है। इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों ने सदियों से अपनी अनूठी जीवन शैली और संस्कृति को बनाए रखा है।

आदिवासी समुदायों के लिए वैश्विक प्रयास: 

  • आदिवासी मुद्दों पर स्थायी संयुक्त राष्ट्र फोरम: संयुक्त राष्ट्र ने स्वदेशी मुद्दों पर एक स्थायी फोरम की स्थापना की है। इस फोरम का उद्देश्य स्वदेशी लोगों और सदस्य राज्यों के बीच बातचीत को बढ़ावा देना है। यह फोरम आदिवासी लोगों के मुद्दों पर चर्चा करने, नीतिगत सिफारिशें करने और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
  • स्वदेशी (आदिवासी) भाषा: संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2022 से 2032 तक की अवधि को ‘स्वदेशी भाषाओं का दशक’ घोषित किया गया है। इस दशक का उद्देश्य दुनिया भर में स्वदेशी भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन को बढ़ावा देना है। स्वदेशी भाषाएं, आदिवासी संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इन भाषाओं के लुप्त होने का मतलब है कि एक समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी लुप्त होना। इस दशक के माध्यम से, संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य है कि स्वदेशी भाषाओं को बोलने वाले समुदायों को अपनी भाषाओं का उपयोग करने और सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
  1. संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2007 में स्वदेशी लोगों के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र घोषणा (UNDRIP) को अपनाया गया था। यह दस्तावेज़ स्वदेशी लोगों के अधिकारों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करता है, जिसमें उनकी भूमि, संसाधन, संस्कृति और स्वशासन का अधिकार शामिल है। UNDRIP, स्वदेशी लोगों के अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय मानक है।

आदिवासी समुदाय के लिए भारत सरकार के प्रयास:

  1. विशेष विकास कार्यक्रम: आदिवासी बहुल क्षेत्रों के विकास के लिए कई विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण, सिंचाई और अन्य बुनियादी सुविधाओं का विकास शामिल है।
  2. अनुसूचित जनजाति (अनुसूचित जनजाति) आयोग: आदिवासियों के हितों की रक्षा के लिए एक स्वतंत्र संवैधानिक निकाय, अनुसूचित जनजाति आयोग का गठन किया गया है।
  3. वन अधिकार अधिनियम: इस अधिनियम के तहत, आदिवासियों को अपनी पारंपरिक भूमि पर अधिकार दिए गए हैं।
  4. शिक्षा: आदिवासी बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें छात्रवृत्ति, आवासीय स्कूल और विशेष शिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं।
  5. सहकारी समितियां: आदिवासियों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए सहकारी समितियां बनाई जा रही हैं।

International Tribal Day 2024 का विषय: 

विषय: ‘स्वैच्छिक अलगाव और प्रारंभिक संपर्क में आदिवासी लोगों के अधिकारों की रक्षा’। 

  •  यह विषय दुनिया भर के उन आदिवासी समुदायों पर प्रकाश डालता है जो अपनी स्वतंत्रता और अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए बाहरी दुनिया से दूर रहना पसंद करते हैं।
  •  ये आदिवासी समुदाय, मुख्यतः दूरदराज के जंगलों में निवास करते हैं, जहां वे शिकार और संग्रहण पर निर्भर रहते हैं। उनकी जीवनशैली और संस्कृति सदियों से प्रकृति के साथ गहराई से जुड़ी हुई है। वे न केवल अपनी संस्कृति को बचाए रखते हैं बल्कि जंगलों और पर्यावरण के संरक्षक भी हैं।
  •  इस वर्ष का विषय इस बात पर जोर देता है कि इन आदिवासियों को अपनी पसंद के अनुसार रहने का अधिकार है। उन्हें अपनी भूमि, संसाधनों और संस्कृति को संरक्षित करने का अधिकार है। साथ ही, यह भी आवश्यक है कि हम उनकी संस्कृति और ज्ञान से सीखें और उनकी रक्षा के लिए प्रयास करें।

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1 thought on “अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस 2024”

  1. जीतलाल किस्कु

    मैं झारखंड से संथाल जनजाति से विलोम करते हैं राज्य के सबसे अधिक जनजाति है, हमारे दादा परदादा से पुछे हमलोग जंगल तरफ कियों रहते हैं हमारे समय में आथिर्क समस्या थे हमे भोजन के लिए कोई जीव जंतुओं शिकार करके अपना भोजन भारन पोषण करते थे जंगलों में बहुत तरह फल भी होतें है बस कभी कभी आपना भोजन उससे कर लेते थे बस इसी तरह ओर भी जनजाति निवास करने लगे लेकिन अब वर्तमान में क्रषि कार्या में आधिक काम करते हैं

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