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ओडिशा में ‘आसमानी आफत’ से लोगों की जान बचाएंगे 20 लाख ताड़ के पेड़

मुख्य परीक्षा: GS IV- पर्यावरण सुरक्षा और आपदा प्रबंधन।

चर्चा में क्यों?

हाल ही में ओडिशा सरकार ने आसमानी आफत (Sky Disaster) से होने वाली मौतों की समस्या से निपटने के लिए 20 लाख ताड़ के पेड़ लगाने का निर्णय लिया है, जिससे ताड़ के पेड़ चर्चा में आ गए हैं। वन और कृषि विभाग मिलकर इन पेड़ों को विभिन्न क्षेत्रों में लगाएंगे। राज्य में बिजली गिरने से मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है, और यह राज्य भारत में बिजली गिरने से होने वाली मौतों की उच्च दर वाले राज्यों में से एक है। हाल ही में 300 से अधिक लोगों की जान बिजली गिरने से चली गई है, जिसे रोकने के लिए यह कदम उठाया गया है।

सरकारी पहल की जानकारी:

ओडिशा में बिजली गिरने की घटनाएं इतनी खतरनाक हो गई हैं कि राज्य सरकार ने इसे 2015 में “राज्य की विशिष्ट आपदा” घोषित कर दिया था। इसी के तहत इस योजना के लिए विशेष राहत आयुक्त कार्यालय ने 7 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इस पहल के तहत शुरुआत में जंगलों की सीमाओं पर इन पेड़ों को लगाया जाएगा, ताकि जंगल और आस-पास के क्षेत्रों को सुरक्षित किया जा सके। राज्य सरकार ने 1980 नियमावली के तहत मौजूदा ताड़ के पेड़ों की कटाई पर भी प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखा जा सके ।

गत वर्षो का सरकारी आंकड़ा:

पिछले 11 वर्षों में, बिजली गिरने से 3,790 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें से 791 मौतें पिछले तीन वर्षों में हुई हैं। इस समस्या की गंभीरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 2 सितंबर 2022 को मात्र दो घंटे में ही 61,000 बार बिजली ओडिशा की धरती पर गिरी, जिसमें 12 लोगों की जान चली गई।

वित्त वर्ष 2021-22 में 282, 2022-23 में 297, और 2023-24 में 212 लोगों की मौत बिजली गिरने से हुई।

आकाशीय बिजली “आसमानी आफत” (Sky Disaster) की जानकारी:

  • आकाशीय बिजली एक प्राकृतिक विद्युत घटना है जो तब होती है जब वायुमंडल में सकारात्मक और नकारात्मक चार्ज के बीच बिजली का तीव्र प्रवाह होता है। यह बिजली का विस्फोटक डिस्चार्ज होता है जो आमतौर पर गरज-चमक वाले बादलों के बीच या बादल और जमीन के बीच होता है। जब बिजली जमीन से टकराती है, तो इसे “बादल से जमीन पर गिरने वाली बिजली” कहा जाता है, और यह बहुत खतरनाक हो सकती है।
  • यह प्रक्रिया कुछ इस प्रकार होती है: जब बादलों के अंदर गर्म हवा तेजी से ऊपर उठती है और ठंडी हवा नीचे गिरती है, तो इनसे बनने वाले घर्षण से चार्ज उत्पन्न होते हैं। बादलों के ऊपरी हिस्से में सकारात्मक और निचले हिस्से में नकारात्मक चार्ज का निर्माण होता है। जब इन चार्जों के बीच वोल्टेज का अंतर बहुत अधिक हो जाता है, तो बिजली की चमकदार धारा उत्पन्न होती है, जिसे हम बिजली गिरना कहते हैं।

ओडिशा में आकाशीय बिजली का खतरा अधिक क्यों है?

  • ओडिशा में आकाशीय बिजली का खतरा अधिक होने के पीछे कई भौगोलिक और मौसमीय कारण हैं।
  • राज्य की भौगोलिक स्थिति, जहां यह बंगाल की खाड़ी के पास स्थित है, उसे उष्णकटिबंधीय चक्रवातों और मानसूनी गतिविधियों के लिए अतिसंवेदनशील बनाती है। इस क्षेत्र में मानसून के दौरान नमी की अधिकता, गर्मी, और वायुमंडलीय अस्थिरता एक साथ मिलकर बिजली गिरने की घटनाओं को बढ़ावा देती हैं।
  • ओडिशा का मौसम विशेष रूप से गर्मियों और मानसून के महीनों में अस्थिर रहता है, जिससे वायुमंडल में तेजी से ऊष्मा और नमी का संचय होता है। यह स्थिति गरज-चमक और आकाशीय बिजली की घटनाओं के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करती है। इसके अलावा, राज्य का बड़ा वन क्षेत्र और पहाड़ी भूभाग भी वायुमंडलीय अस्थिरता को बढ़ाते हैं, जिससे आकाशीय बिजली की घटनाओं की संभावना और बढ़ जाती है।
  • इन प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ ताड़ के पेड़ों की कटाई और शहरीकरण के कारण भी बिजली गिरने की घटनाएं बढ़ रही हैं।

 ताड़ के पेड़ लगाने का वैज्ञानिक आधार:

  • ताड़ के पेड़ लगाने का वैज्ञानिक आधार उनकी प्राकृतिक संरचना और बिजली को आकर्षित करने तथा उसे सुरक्षित रूप से जमीन तक पहुंचाने की क्षमता पर आधारित है।
  • ताड़ के पेड़ अपनी लंबाई, सीधी संरचना, और गहरी जड़ों के कारण आकाशीय बिजली के लिए एक प्राकृतिक “लाइटनिंग रॉड” का काम करते हैं।
  • जब बिजली गिरती है, तो यह ऊंचे और लंबे पेड़ों, विशेष रूप से ताड़ के पेड़ों, को आकर्षित करती है। ताड़ के पेड़ बिजली को अपनी लंबी तने के माध्यम से जमीन तक पहुंचाते हैं।
  • इनकी गहरी जड़ें बिजली को धरती के अंदर गहराई तक फैला देती हैं, जिससे बिजली के प्रभाव को कम किया जा सकता है और यह सुरक्षित रूप से जमीन में समाहित हो जाती है।
  • इस प्रकार, ताड़ के पेड़ बिजली गिरने से जुड़े जोखिमों को कम करने में मदद करते हैं।

ताड़ के पेड़ (Coconut palm)

  1. यह एक महत्वपूर्ण और बहुपरकारी वृक्ष हैं, जो उष्णकटिबंधीय और उपउष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में उगते हैं।
  2. यह एकबीजपत्री फूल वाले पौधों के समूह में आते है।
  3. ताड़ के पेड़ गर्म और आर्द्र जलवायु वाले क्षेत्रों में उगते हैं, जैसे कि भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया, कैरिबियन।
  4. ताड़ के पेड़ समुद्री जलवायु में अच्छी तरह से उगते हैं और शुष्क मौसम को भी सहन कर सकते हैं।
  5. ताड़ के पेड़ का तना लंबा, सीधा, और बिना शाखाओं के होता है। यह तना अक्सर 15 से 30 मीटर (50 से 100 फीट) तक ऊँचा हो सकता है।
  6. ताड़ के पेड़ की पत्तियाँ बहुत बड़ी और लंबी होती हैं, जो एक फानल (feather-like) संरचना में व्यवस्थित होती हैं।

इस पहल की चुनौतियां (Challenges)

  • ताड़ के पेड़ों को पूरी तरह से विकसित होकर बिजली को प्रभावी ढंग से आकर्षित करने में लगभग 20 साल का समय लगता है। यह लंबा समय अवधि है, और इस दौरान बिजली गिरने की घटनाओं का खतरा बना रह सकता है।
  • इतनी बड़ी संख्या में ताड़ के पेड़ लगाने और उनकी देखभाल करने के लिए पर्याप्त संसाधनों और प्रयासों की जरूरत होती है।
  • इतने बड़े पैमाने पर ताड़ के पेड़ लगाने के लिए स्थानीय समुदायों का सहयोग और समर्थन जरूरी है।

NDMA द्वारा जारी दिशा-निर्देश (Guidlines):

  • यदि आप गरज सुनने के 30 सेकंड के भीतर बिजली की चमक देखते हैं, तो इसका मतलब है कि आप आकाशीय बिजली के खतरे में हैं। यह संकेत है कि आपको सुरक्षित स्थान की ओर तुरंत जाना चाहिए।
  • खुले में रहते समय बिजली गिरने से बचने के लिए तुरंत ढकने वाली जगह (जैसे घर, वाहन) में प्रवेश करें।
  • घर के अंदर रहते समय, खिड़कियां और दरवाजे बंद रखें।
  • घर के भीतर किसी धातु के निर्माण या पानी से जुड़े वस्तुओं से दूर रहें।

NDMA (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण)

● भारत सरकार की एक प्रमुख संस्था है, जिसका उद्देश्य आपदाओं से प्रभावी ढंग से निपटना और आपदा प्रबंधन प्रणाली को सुधारना है।

● NDMA की स्थापना 2005 में आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत की गई थी।

● NDMA का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।

● NDMA आपदा प्रबंधन के लिए नीतियों और दिशा-निर्देशों को तैयार करती है और उन्हें लागू करने में मदद करती है।

● NDMA आपदाओं के पूर्व तैयारी, प्रशिक्षण और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करती है।

● आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में अनुसंधान और डेटा संग्रह करके NDMA रणनीतियों को बेहतर बनाने के लिए काम करती है।

PYQ

प्रश्न: भारत में आकाशीय बिजली गिरने के कारणों और प्रभावों की व्याख्या करें। इस प्रकार के खतरे से निपटने के लिए देश में कौन-कौन सी प्रबंधन तकनीकें उपलब्ध क्या हैं? टिप्पणी कीजिए | (15 अंक, 250 शब्द)

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