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भारत सरकार ने “भारत जीरो एमिशन ट्रकिंग (ZET) नीति परामर्श” सलाहकार दस्तावेज़ लॉन्च किया।

भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) प्रो. अजय कुमार सूद ने आज (21 अगस्त, 2024) नई दिल्ली के विज्ञान भवन एनेक्सी में “भारत जीरो एमिशन ट्रकिंग (ZET) नीति परामर्श” नामक सलाहकार दस्तावेज़ लॉन्च किया।

  • इसमें जीरो एमिशन ट्रक्स (ZET) के महत्व पर जोर दिया।
  • जेडईटी के व्यापक अपनाने के लिए भारत में एक सक्षम तकनीकी-सामाजिक-आर्थिक परितंत्र की आवश्यकता है।
  • इसके लिए तकनीकी विशेषज्ञता और सुव्यवस्थित नीति हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी।

जीरो एमिशन ट्रकिंग (ZET) क्या हैं?

जीरो एमिशन ट्रकिंग का मतलब है ऐसे ट्रकों का उपयोग करना जो पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, यानी कि ये ट्रक किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं करते। इस प्रकार की ट्रकिंग में मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन-पॉवर्ड ट्रकों का उपयोग किया जाता है।

जीरो एमिशन ट्रकिंग (ZET) के लाभ:

1.      पर्यावरण की सुरक्षा (Protection of the environment): ये ट्रक वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों और अन्य प्रदूषकों का उत्सर्जन नहीं करते, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।

2.      कम ऑपरेशनल लागत (Low operational cost): इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन ट्रकों की ऊर्जा लागत डीजल ट्रकों की तुलना में कम होती है। इसके अलावा, इन ट्रकों की मरम्मत और रखरखाव की लागत भी कम होती है।

3.      शांत और सुगम ड्राइविंग (Quiet and smooth driving): इलेक्ट्रिक ट्रक अक्सर बहुत शांत होते हैं, जिससे शहरी क्षेत्रों में शोर प्रदूषण कम होता है।

4.      सरकारी प्रोत्साहन (government incentives): कई देशों और राज्यों में जीरो एमिशन ट्रकों को खरीदने के लिए सब्सिडी और प्रोत्साहन प्रदान किए जाते हैं।

विद्युतीकरण की आवश्यकता पर चर्चा

  • ट्रकों के विद्युतीकरण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
  • 2050 तक 100% जेडईटी बिक्री लक्ष्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की, जो भारत के नेट जीरो 2070 लक्ष्य को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण है।

ZET नीति सलाहकार दस्तावेज का स्वरूप :

  • भारत जेडईटी नीति सलाहकार दस्तावेज को एक गतिशील दस्तावेज के रूप में तैयार किया गया है।
  • इसमें जेडईटी को अपनाने में तेजी लाने के लिए 30 नीतिगत हस्तक्षेपों का एक व्यापक सेट शामिल है।
  • ये हस्तक्षेप पांच प्रमुख क्षेत्रों में विभाजित हैं:
    1. प्रोत्साहन,
    2. विनियमन,
    3. बुनियादी ढांचा,
    4. व्यवसाय और वित्तपोषण, तथा
    5. हितधारक-केंद्रित पहल।
  • प्रत्येक हस्तक्षेप में कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार नोडल एजेंसी, प्रमुख हितधारकों की सूची, और नीति निर्माण की कार्यप्रणाली की पहचान की गई है।

नीति सलाहकार पैनल (PAP) और दस्तावेज की तैयारी:

  • इस सलाहकार दस्तावेज़ का निर्माण पीएसए कार्यालय द्वारा गठित नीति सलाहकार पैनल (पीएपी) द्वारा संचालित किया गया।
  • पीएपी की अध्यक्ष डॉ प्रीति बंजल हैं, और उपाध्यक्ष प्रोफेसर कार्तिक आत्मनाथन हैं।
  • पैनल में विभिन्न प्रमुख संस्थाओं के प्रतिनिधि शामिल हैं, जैसे कि ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया, अशोक लीलैंड लिमिटेड, टाटा मोटर्स लिमिटेड, डब्ल्यूआरआई इंडिया, और अन्य प्रमुख संगठन।

निष्कर्ष:

इस दस्तावेज़ की समीक्षा के माध्यम से जेडईटी की नीति हस्तक्षेपों को लागू करने के लिए आवश्यक तकनीकी और नीति मार्गदर्शन पर जोर दिया गया, जो भारत की ऊर्जा सुरक्षा और डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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