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पाकिस्तान ने प्रधानमंत्री मोदी को SCO बैठक के लिए आमंत्रित किया: SCO Summit

Mains GS II – महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान, एजेंसियां और मंच- उनकी संरचना

चर्चा में क्यों?

हाल ही में पाकिस्तान ने शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठक के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित कर किया है। यह आठ वर्षों में पहला मौका है जब पाकिस्तान ने किसी भारतीय नेता को आधिकारिक रूप से पाकिस्तान आने का न्योता भेजा है। इस न्योते ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में काफी चर्चा को जन्म दिया है। यह बैठक इस वर्ष 2024 अक्टूबर को आयोजित होने वाली है और इसमें SCO के सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक में पीएम मोदी के शामिल होने की संभावनाओं के साथ, यह देखने योग्य होगा कि भारत और पाकिस्तान के बीच यह नया राजनीतिक अवसर कैसे आकार लेता है।

अक्टूबर 2024 (भावी) SCO Summit के मुख्य बिंदु

  • अक्टूबर 2024 में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की महत्वपूर्ण बैठक पाकिस्तान द्वारा आयोजित की जाएगी।
  • इस बैठक का आयोजन 15-16 अक्टूबर 2024 को इस्लामाबाद में होगा।
  • इस बैठक का मुख्य उद्देश्य सदस्य देशों के बीच विभिन्न प्रकार के सहयोग को बढ़ावा देना है।
  • बैठक से पहले, मंत्रिस्तरीय और वरिष्ठ अधिकारियों की कई दौर की बैठकें आयोजित की जाएंगी।
  • इन बैठकें के माध्यम से, SCO के सदस्य देशों के बीच आपसी सहयोग और समन्वय को मजबूत किया जाएगा।
  • यह आयोजन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सभी सदस्य देशों के प्रमुखों को आमंत्रित किया गया है, जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच की कूटनीतिक स्थिति भी शामिल है।

शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO Summit) क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO Summit) एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैठक है जिसमें SCO के सदस्य देशों के प्रमुख, मंत्री और वरिष्ठ अधिकारी एकत्रित होते हैं।

  • यह सम्मेलन संगठन के उद्देश्यों को पूरा करने और महत्वपूर्ण वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक साझा मंच प्रदान करता है।
  • SCO शिखर सम्मेलन का संचालन राष्ट्राध्यक्ष परिषद (HSC) द्वारा किया जाता है, जो इसका सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय है।
  • इसका सम्मेलन साल में एक बार आयोजित किया जाता है।
  • SCO शिखर सम्मेलन में क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना (RATS) भी शामिल है, जो आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से निपटने के लिए काम करती है।
  • इस सम्मेलन का आयोजन सदस्य देशों में ही किया जाता हैं।

एससीओ (शंघाई सहयोग संगठन) सम्मेलन का प्रारूप

  • विदेश मंत्रियों की परिषद की बैठक: यह बैठक राष्ट्राध्यक्षों के शिखर सम्मेलन से एक महीने पहले आयोजित होती है। इसमें सदस्य देशों के विदेश मंत्री विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं और शिखर सम्मेलन के एजेंडा को अंतिम रूप देते हैं।
  • कार्यकारी समितियाँ और कार्य समूह: ये समितियाँ विभिन्न तकनीकी और नीति संबंधी मुद्दों पर कार्य करती हैं और शिखर सम्मेलन के लिए सिफारिशें तैयार करती हैं।
  • आयोजन स्थल का चयन: शिखर सम्मेलन का स्थान एससीओ चार्टर के अनुसार सदस्य देशों के नाम के वर्णानुक्रम के अनुसार निर्धारित होता है।
  • एजेंडा और कार्यसूची: सम्मेलन के लिए एजेंडा तय किया जाता है, जिसमें प्रमुख मुद्दों की सूची और चर्चा के बिंदु शामिल होते हैं।
  • उद्घाटन सत्र: सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत होती है, जिसमें मेज़बान देश का स्वागत भाषण और सम्मेलन के उद्देश्यों की घोषणा की जाती है।
  • मुख्य सत्र: राष्ट्राध्यक्ष, प्रधान मंत्री, और अन्य उच्च पदस्थ अधिकारी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करते हैं। इसमें आमतौर पर सुरक्षा, आर्थिक सहयोग, और क्षेत्रीय विकास पर फोकस होता है।
  • विशेष सत्र और कार्यशालाएँ: विशिष्ट मुद्दों पर अधिक गहन चर्चा के लिए विशेष सत्र और कार्यशालाएँ आयोजित की जा सकती हैं।

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) के सदस्य देशों का विस्तृत विश्लेषण

  • भारत
    • क्षेत्रफल: 32.87 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 138 करोड़
    • जीडीपी: 3.17 ट्रिलियन डॉलर
    • दुनिया की सबसे बड़ी लोकतंत्र होने के नाते, भारत SCO में एक महत्वपूर्ण सदस्य है। इसकी विशाल आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था इसे संगठन के लिए एक मूल्यवान संपत्ति बनाती है।
  • चीन
    • क्षेत्रफल: 96 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 140 करोड़
    • जीडीपी: 17.73 ट्रिलियन डॉलर
    • चीन SCO का एक संस्थापक सदस्य है और संगठन में सबसे प्रभावशाली देशों में से एक है। इसकी विशाल अर्थव्यवस्था और क्षेत्रीय प्रभाव इसे SCO के भविष्य को आकार देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • रूस
    • क्षेत्रफल: 1.71 करोड़ वर्ग किमी
    • आबादी: 14.41 करोड़
    • जीडीपी: 1.71 ट्रिलियन डॉलर
    • रूस SCO का एक अन्य संस्थापक सदस्य है और इसका भू-राजनीतिक प्रभाव संगठन में काफी महत्वपूर्ण है। यह यूरोप और एशिया के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करता है।
  • पाकिस्तान
    • क्षेत्रफल: 7.96 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 21 करोड़
    • जीडीपी: 347 बिलियन डॉलर
    • पाकिस्तान SCO का एक अपेक्षाकृत नया सदस्य है। भारत के साथ इसके जटिल संबंधों के बावजूद, यह संगठन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • कजाकिस्तान
    • क्षेत्रफल: 27.25 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 1.88 करोड़
    • जीडीपी: 190.81 बिलियन डॉलर
    • कजाकिस्तान मध्य एशिया में एक प्रमुख देश है और SCO में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके समृद्ध प्राकृतिक संसाधन इसे क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनाते हैं।
  • तजाकिस्तान
    • क्षेत्रफल: 1.41 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 95.4 लाख
    • जीडीपी: 8.75 बिलियन डॉलर
    • तजाकिस्तान मध्य एशिया का एक छोटा देश है, लेकिन SCO में इसकी एक महत्वपूर्ण भूमिका है। यह क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है।
  • उज्बेकिस्तान
    • क्षेत्रफल: 4.47 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 3.42 करोड़
    • जीडीपी: 69.24 बिलियन डॉलर
    • उज्बेकिस्तान मध्य एशिया का एक प्रमुख देश है और SCO में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसकी समृद्ध संस्कृति और इतिहास इसे क्षेत्र के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाते हैं।
  • किर्गिस्तान
    • क्षेत्रफल: 1.99 लाख वर्ग किमी
    • आबादी: 66 लाख
    • जीडीपी: 8.54 बिलियन डॉलर
    • किर्गिस्तान मध्य एशिया का एक पहाड़ी देश है और SCO में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है।

कुछ महत्वपूर्ण सम्मेलनों का उल्लेख:

  1. 14-15 जून 2001 शंघाई में पहला शिखर सम्मेलन हुआ था, जिसमें एससीओ की स्थापना की गई और संगठन की आधारशिला रखी गई।
  2. 7 जून 2002, सेंट पीटर्सबर्ग, रूस: इसमें एससीओ के चार्टर को अपनाया गया, जो संगठन की संरचना और कार्यप्रणाली को निर्धारित करता है।
  3. 17 जून 2004, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान: इस सम्मेलन में संगठन की सदस्यता नीति और बढ़ती सदस्यता की दिशा में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।
  4. 5 जुलाई 2005, अस्ताना, कजाकिस्तान: कजाकिस्तान में हुए इस सम्मेलन में एससीओ के सहयोगात्मक ढांचे को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित किया गया और विभिन्न क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा की गई।
  5. 15-16 जून 2009, एकातेरिनबर्ग, रूस: इस सम्मेलन में आतंकवाद, उग्रवाद, और क्षेत्रीय सुरक्षा के मुद्दों पर विशेष जोर दिया गया।
  6. 13 सितंबर 2013, बिश्केक, किर्गिज़स्तान: इस सम्मेलन में एससीओ की आर्थिक और सुरक्षा नीतियों को अद्यतन किया गया, और संगठन के समन्वय और सहयोग को बढ़ाने की दिशा में पहल की गई।
  7. 9-10 जुलाई 2015, ऊफ़ा, रूस: ऊफ़ा में आयोजित सम्मेलन में एससीओ के आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
  8. 23-24 जून 2016, ताशकंद, उज़्बेकिस्तान: इस सम्मेलन में एससीओ के विस्तार और नए सदस्य देशों को शामिल करने के मुद्दे पर चर्चा की गई।
  9. 9-10 जून 2018, क़िंगदाओ, चीन: चीन में आयोजित इस सम्मेलन में एससीओ की भूमंडलीकरण, विकास, और आपसी व्यापार पर विशेष ध्यान दिया गया।
  10. 4 जुलाई 2023, भारत: भारत में आयोजित यह सम्मेलन वर्चुअल मोड पर हुआ, और इसमें सदस्य देशों के बीच सहयोग और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की गई।
  11. 3,4 जुलाई 2024 हाल ही में अस्ताना, कजाकिस्तान में जलवायु परिवर्तन मुद्दे को लेकर शिखर सम्मेलन संपन्न हुआ था।

SCO (शंघाई सहयोग संगठन)

● SCO एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय संगठन है, जो मध्य एशिया में सुरक्षा, आर्थिक, और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ावा देता है।

● शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की स्थापना 15 जून 2001 को शंघाई, चीन में हुई थी। इसका गठन पूर्ववर्ती ‘शंघाई पाँच’ समूह से हुआ था, जो 1996 में स्थापित हुआ था और इसमें चीन, कज़ाखस्तान, किर्गिस्तान, रूस, और ताजिकिस्तान शामिल थे।

● SCO की स्थापना के लिए एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़ था जो ‘शंघाई घोषणा’ के नाम से जाना जाता है। इसमें संगठन के उद्देश्यों और सिद्धांतों की रूपरेखा तैयार की गई।

● 2004 में भारत, पाकिस्तान, ईरान, और मंगोलिया को SCO में पर्यवेक्षक की स्थिति दी गई।

● 2017 में भारत और पाकिस्तान को पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल किया गया, जिससे SCO की सदस्य संख्या बढ़कर आठ हो गई।

● 2023 में ईरान तथा 2024 में बेलारूस को भी शामिल किया गया।

● यह संगठन यह दुनिया के लगभग 80% क्षेत्र और 40% जनसंख्या को कवर करता है।

महत्वपूर्ण बिंदु:

मुख्यालय – बीजिंग , चीन (सचिवालय) / ताशकंद , उज्बेकिस्तान (आरएटीएस कार्यकारी समिति)

सदस्यता – बेलोरूस, चीन, भारत, ईरान, कजाखस्तान, किर्गिज़स्तान, पाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, उज़्बेकिस्तान।

राजभाषा – चीनी, रूसी

प्रधान सचिव – झांग मिंग

कार्यकारी समिति निदेशक – रुस्लान मिर्ज़ाएव

SCO

शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक का महत्व और उद्देश्य

  • सुरक्षा सहयोग: SCO का प्रमुख उद्देश्य सदस्य देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देना है। यह आतंकवाद, चरमपंथ, और अन्य सुरक्षा खतरे जैसे मुद्दों पर सामूहिक उपायों के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता सुनिश्चित करने का प्रयास करता है।
  • सुरक्षा प्रोटोकॉल: सदस्य देश सामूहिक सुरक्षा प्रोटोकॉल और आपसी समझौते के तहत सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देते हैं।
  • आर्थिक सहयोग: SCO सदस्य देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने पर जोर देता है। यह क्षेत्रीय व्यापार, निवेश, और आर्थिक एकीकरण को बढ़ावा देने का प्रयास करता है।
  • सहयोग परियोजनाएँ: संगठन विभिन्न आर्थिक परियोजनाओं और पहलों की योजना बनाता है जो क्षेत्रीय विकास को प्रोत्साहित करती हैं।
  • संस्कृतिक सहयोग: SCO सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देता है, जो सदस्य देशों के बीच आपसी समझ और संबंधों को मजबूत करता है।
  • साझा चुनौतियाँ: यह सदस्य देशों को साझा चुनौतियों का समाधान ढूंढ़ने और सामूहिक रूप से प्रयास करने में सक्षम बनाता है।
  • वैश्विक भूमिका: SCO वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है, जिससे सदस्य देशों को अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर एकसाथ काम करने का मौका मिलता है।

भारत के लिए शंघाई सहयोग संगठन के भीतर कुछ प्रमुख चुनौतियाँ

  • आतंकवाद: एससीओ के सदस्य देशों में आतंकवाद और उग्रवाद एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। भारत को पाकिस्तान के साथ अपनी सीमाओं और आतंकवाद पर लगातार निगरानी रखनी पड़ती है, जो संगठन के अन्य सदस्य देशों के साथ सहयोग को प्रभावित कर सकता है।
  • सीमा विवाद: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद एससीओ के समग्र सहयोग को प्रभावित कर सकता है। भारत को इस विवाद के समाधान के लिए उचित रणनीतियों पर ध्यान केंद्रित करना होगा।
  • राजनीतिक प्रभाव: रूस और चीन, जो एससीओ के प्रमुख सदस्य हैं, अपने राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने के प्रयास में हैं। भारत को अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए इन शक्तियों के प्रभाव को संतुलित करना होगा।

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