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SEBI ने अनिल अंबानी को प्रतिभूति बाजार से पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया

चर्चा मे क्यों ?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (Securities and Exchange Board of India) ने शुक्रवार को  अनिल अंबानी, उनकी कंपनी के 3 प्रमुख अधिकारियों और उनसे जुड़े 23 कंपनियों पर पांच वर्षों के लिए शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने पर प्रतिबंध लगा दिया।

SEBI ने अनिल अंबानी पर फंड की हेराफेरी के मामले को लेकर पांच साल के लिए शेयर बाजार से बैन किया है। साथ ही उन पर 25 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा, वे किसी भी लिस्टेड कंपनी में डायरेक्टर पद पर भी नहीं रह सकते।

  • सेबी ने रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) के पूर्व अधिकारियों समेत 24 अन्य लोगों को भी शेयर बाजार से बैन किया। और इन सभी पर भी अलग-अलग जुर्माना लगाया गया है।
  • रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL) कंपनी पर 6 महीने का बैन और 6 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
  • फरवरी 2022 में, बाजार निगरानी एजेंसी सेबी ने एक अंतरिम आदेश जारी किया था और रिलायंस होम फाइनेंस (RHFL), अनिल अंबानी और तीन अन्य व्यक्तियों (अमित बापना, रवींद्र सुधाकर और पिंकेश आर शाह) को जब तक और आदेश नहीं आता, तब तक शेयर बाजार से बैन कर दिया। उन पर कंपनी से फंड चुराने का आरोप था।
  • बाजार नियामक (market regulator) का यह अंतिम आदेश उन आरोपों की गहन जांच के बाद जारी किया गया है, जिसमें शामिल संस्थाओं के बीच लोन अनुमोदनों (loan approvals), धन के दुरुपयोग (misappropriation of funds), और नियमों के अनुपालन में महत्वपूर्ण अनियमितताएँ शामिल हैं।

नियामक ने अनिल अंबानी पर दो आरोप लगाए (The regulator has levelled two charges against Anil Ambani):

  1. कंपनी के बड़े धनराशि को दूसरी जगह उपयोग करना (Diversion of large amounts of the company’s funds)– कंपनी और उसके हितधारकों के नुकसान के लिए।
  2. शेयरधारकों से जानकारी छुपाना (Hiding information from shareholders)- कंपनी के वित्तीय खातों में हेरफेर कर।

RHFL के शेयरों में भारी गिरावट, निवेशकों को बड़ा नुकसान (RHFL shares fall sharply, investors suffer huge losses):

  • मार्च 2018 में RHFL के शेयर की कीमत लगभग ₹59.60 थी। लेकिन मार्च 2020 तक, जब धोखाधड़ी की सच्चाई सामने आई और कंपनी के संसाधन (resources) खत्म हो गए, तो शेयर की कीमत गिरकर मात्र ₹0.75 रह गई।
  • आज भी, 9 लाख से अधिक शेयरधारक RHFL में निवेशित हैं और भारी नुकसान का सामना कर रहे हैं।

SEBI का अनिल अंबानी पर बड़ा आदेश (SEBI’s big order on Anil Ambani):

  • निर्देशों की अनदेखी (Ignoring instructions): बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने कॉर्पोरेट लोन की नियमित समीक्षा और कुछ लोन को बंद करने के आदेश दिए थे, लेकिन कंपनी के प्रबंधन ने इन निर्देशों की अनदेखी की।
  • जुर्माना (Penalty): अनिल अंबानी पर 25 करोड़ रुपए, अमित बापना पर 27 करोड़ रुपए, रवींद्र सुधालकर पर 26 करोड़ रुपए, और पिंकेश आर शाह पर 21 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है।
  • अन्य कंपनियों पर जुर्माना (Penalty on other companies): रिलायंस यूनिकॉर्न एंटरप्राइजेज, रिलायंस एक्सचेंज नेक्स्ट और अन्य कंपनियों पर फंड की हेराफेरी में शामिल होने के कारण 25-25 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया गया है। कुल जुर्माने की राशि लगभग 624 करोड़ रुपये है।

SEBI की रिपोर्ट के महत्वपूर्ण बिंदु | Key Points from SEBI Report

  • धोखाधड़ी योजना की पुष्टि (Confirmation of Fraudulent Scheme): SEBI ने यह पुष्टि की है कि एक धोखाधड़ी योजना चल रही थी, जिसे नोटिसी नंबर 2 (अनिल अंबानी) ने व्यवस्थित किया और RHFL के प्रमुख प्रबंधकीय कर्मचारियों (KMPs) द्वारा चलाया गया।
  • धन का दुरुपयोग (Diversion of Funds): फंड को ‘लोन’ के रूप में संरचित कर अयोग्य उधारकर्ताओं को वितरित किया गया, जो प्रमोटर से जुड़े थे।
  • RHFL के वित्तीय नुकसान (Financial Loss to RHFL): धोखाधड़ी वाले लोन, जो सामान्य उद्देश्य कार्यशील पूंजी लोन के रूप में वितरित किए गए थे, RHFL की वित्तीय स्थिति को महत्वपूर्ण रूप से नुकसान पहुंचाया।
  • NPA का मामला (NPA Issue): अधिकांश GPCL उधारकर्ताओं के खाते NPAs (Non-Performing Assets) में बदल गए, जिसके कारण RHFL ने अपने भुगतान दायित्वों में चूक की और कंपनी का समाधान RBI फ्रेमवर्क के तहत किया गया।
  • कंपनी के प्रमोटर से जुड़ाव (Link to Promoter Group): सभी GPCL उधारकर्ता और फंड ट्रांसफर करने वाली संस्थाएँ प्रमोटर समूह से किसी न किसी रूप में जुड़ी थीं।
  • अनिल अंबानी की भूमिका (Role of Anil Ambani): अनिल अंबानी ने ‘ADA ग्रुप के चेयरपर्सन’ के रूप में अपने पद और RHFL की होल्डिंग कंपनी में अपनी महत्वपूर्ण अप्रत्यक्ष हिस्सेदारी का उपयोग करके इस धोखाधड़ी को व्यवस्थित किया।
  • GPCL लोन की स्थिति (Status of GPCL Loans): GPCL लोन की कुल राशि, INR 6931.31 करोड़, को NPA के रूप में वर्गीकृत किया गया है। ये लोन वर्तमान परिसंपत्तियों के खिलाफ सुरक्षित किए गए थे, जो नगण्य थीं।

SEBI की कुछ अन्य महत्वपूर्ण खुलासे (Some other important disclosures by SEBI):

  • SEBI की जांच में पाया गया कि 62 ऋण आवेदनों को उसी दिन मंजूरी दी गई, जब आवेदन किया गया, जिनकी कुल राशि ₹5,552.67 करोड़ थी। इसी तरह, 27 ऋण आवेदनों की राशि ₹1,940.58 करोड़ को भी उसी दिन उधारकर्ताओं को वितरित कर दिया गया।
  • इसके अलावा, ₹5,850.19 करोड़ के ऋणों के लिए प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ियां पाई गईं, जैसे फील्ड जांच में छूट देना, डिफॉल्ट की संभावना की अनदेखी करना, पात्रता मानदंडों का पालन न करना, सुरक्षा की कोई व्यवस्था न करना, ग्राहक रेटिंग न करना, और एस्क्रो अकाउंट न खोलना आदि।
  • जांच में यह भी खुलासा हुआ कि अधिकांश ऋण आवेदन पत्र खाली थे और केवल अंतिम पृष्ठ पर अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं ने हस्ताक्षर किए थे।
  • 11 फरवरी 2019 को RHFL बोर्ड ने कंपनी को GPC ऋणों का वितरण रोकने का स्पष्ट निर्देश दिया था, लेकिन इसके बावजूद अनिल अंबानी के अनुमोदन से कंपनी ने हजारों करोड़ रुपये का वितरण जारी रखा।

SEBI के बैन के बाद रिलायंस कंपनियों के शेयर में बड़ी गिरावट (Big fall in shares of Reliance companies after SEBI ban):

SEBI के आदेश के बाद अनिल अंबानी की कंपनियों के शेयरों में भारी गिरावट देखने को मिली है। रिलायंस इंफ्रा (Reliance Infra) के शेयर करीब 14% तक गिर गए हैं, जबकि रिलायंस होम फाइनेंस (Reliance Home Finance) में 5.12% और रिलायंस पावर (Reliance Power) में 5.01% की कमी आई है।

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड):

  • स्थापना (Establishment): SEBI एक कानूनी संस्था है, जिसे 12 अप्रैल, 1992 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत स्थापित किया गया।
  • मुख्य कार्य (Main Functions): SEBI का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और प्रतिभूति बाजार को बढ़ावा देना और नियंत्रित करना है।

SEBI की संरचना (Structure of SEBI):

  • SEBI बोर्ड: SEBI बोर्ड में एक अध्यक्ष और अन्य पूर्णकालिक और अंशकालिक सदस्य होते हैं।
  • कमेटियाँ (Committees): SEBI जरूरत के अनुसार विभिन्न समितियाँ नियुक्त करता है, जो समय के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ध्यान देती हैं।
  • इसके अलावा, सेबी (SEBI) के निर्णय से असंतुष्ट संस्थाओं के हितों की रक्षा के लिए एक प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (Securities Appellate Tribunal- SAT) का गठन किया गया है।

सिक्योरिटीज अपीलेट ट्रिब्यूनल Securities Appellate Tribunal (SAT):

  • संरचना (Structure): SAT में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होते हैं।
  • अधिकार (Powers): SAT को सिविल कोर्ट के समान अधिकार प्राप्त हैं।
  • अपील (Appeal): यदि कोई व्यक्ति SAT के निर्णय या आदेश से असंतुष्ट है, तो वह Supreme Court में अपील कर सकता है।

SEBI की शक्तियाँ और कार्य (Powers and Functions of SEBI):

  • नियंत्रण और निगरानी (Control and Surveillance): प्रतिभूति बाजारों की निगरानी और नियंत्रण करना ताकि निवेशकों के हितों की रक्षा हो सके।
  • नियम और दिशा-निर्देश बनाना (Making rules and guidelines): प्रतिभूति बाजार के लिए नियम और दिशा-निर्देश बनाना और उन्हें लागू करना।
  • लाइसेंस और पंजीकरण (Licensing and registration): प्रतिभूति बाजार में काम करने वाले दलालों, कंपनियों और अन्य संगठनों को लाइसेंस और पंजीकरण प्रदान करना।
  • धोखाधड़ी और अनियमितताओं की जांच (Investigation of frauds and irregularities): धोखाधड़ी और अनियमितताओं की जांच करना और आवश्यक कानूनी कार्रवाई करना।
  • निवेशक शिक्षा और जागरूकता (Investor education and awareness): निवेशकों को शिक्षा और जागरूकता प्रदान करना ताकि वे informed निर्णय ले सकें।
  • निवेशक शिकायतों का निवारण (Redressal of investor complaints): निवेशकों की शिकायतों का समाधान करना और उनके हितों की रक्षा करना।
  • कंपनियों की निगरानी (Surveillance of companies): कंपनियों की वित्तीय रिपोर्ट और डिस्क्लोजर की निगरानी करना और सुनिश्चित करना कि वे नियमों का पालन कर रही हैं।
  • मार्केट संरचना को सुधारना (Improving market structure): प्रतिभूति बाजार की संरचना में सुधार लाना और विकास को बढ़ावा देना।

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