AFSPA extended in parts of Manipur Nagaland Arunachal
संदर्भ:
सैन्य बल (विशेष अधिकार) अधिनियम (AFSPA) को मणिपुर में जारी कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए शुक्रवार को पूरे राज्य में अगले छह महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। हालांकि, यह अधिनियम 13 थानों के अधिकार क्षेत्र में लागू नहीं होगा।
AFSPA क्या है?
सशस्त्र बल (विशेष अधिकार) अधिनियम, 1958 (AFSPA) भारत की संसद द्वारा पारित कानून है।
- यह सशस्त्र बलों को विशेष अधिकार और कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
- लागू क्षेत्र: केवल “विस्थापित/डिस्टर्ब्ड” क्षेत्र जहाँ स्थानीय पुलिस के नियंत्रण से बाहर सुरक्षा या विद्रोह की स्थिति होती है।
- उद्देश्य: असामान्य सुरक्षा खतरों और विद्रोह के मामलों में शांति और कानून–व्यवस्था बनाए रखना।
AFSPA के मुख्य प्रावधान:
- क्षेत्र को “डिस्टर्ब्ड” घोषित करना:
- केंद्र सरकार, राज्यपाल या केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासक किसी क्षेत्र को कम से कम 3 महीने के लिए डिस्टर्ब्ड घोषित कर सकते हैं।
- यह Disturbed Areas (Special Courts) Act, 1976 के तहत होता है।
- घातक बल का उपयोग: अधिकारियों को किसी ऐसे व्यक्ति पर गोली चलाने या बल प्रयोग करने का अधिकार है, जो कानून का उल्लंघन कर रहा हो (जैसे 5 या उससे अधिक लोगों का जमावड़ा या हथियार ले जाना), सावधानी देने के बाद।
- वॉरंट के बिना गिरफ्तारी और तलाशी:
- सुरक्षा बल किसी भी व्यक्ति को उचित शक के आधार पर गिरफ्तार कर सकते हैं।
- किसी भी स्थान की तलाशी वॉरंट के बिना ली जा सकती है।
- संरचनाओं को नष्ट करना: विद्रोहियों के ठिकानों या प्रशिक्षण शिविरों को सुरक्षा बल नष्ट कर सकते हैं।
- कानूनी सुरक्षा: AFSPA के तहत कार्रवाई करने वाले किसी भी सशस्त्र बल कर्मी पर केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति के बिना कानूनी कार्रवाई नहीं हो सकती।
AFSPA पर विवाद और बहस–
पक्ष में तर्क:
- विद्रोह और आतंकवाद से निपटने के लिए आवश्यक।
- संवेदनशील सीमा क्षेत्रों में राष्ट्रीय सुरक्षा बनाए रखने में मदद।
- सैनिकों को कानूनी सुरक्षा प्रदान करता है।
विरोध में तर्क:
- मानवाधिकार हनन: कथित अत्यधिक बल, हत्याएं, यातनाएं और यौन हिंसा।
- जवाबदेही की कमी: कानूनी सुरक्षा के कारण कर्मियों पर कार्रवाई कठिन।
- राजनीतिक और सामाजिक असंतोष: स्थानीय आबादी में नाराजगी और अलगाव।
- उपनिवेशी मूल: ब्रिटिश शासनकाल में लागू कानून का आधुनिक रूप, जिसे कठोर और पुराना कहा जाता है।
AFSPA पर समिति की सिफारिशें:
- जस्टिस जीवन रेड्डी समिति (2005):
- AFSPA को रद्द करने की सिफारिश।
- सुझाव: आवश्यक प्रावधानों को Unlawful Activities (Prevention) Act – UAPA में शामिल किया जाए।
- संतोष हेगड़े आयोग (2013):
- मणिपुर में AFSPA के दुरुपयोग की रिपोर्ट।
- उल्लेख: कई कथित “encounters” फर्जी पाए गए।
आगे का रास्ता (Way Forward):
- अस्पष्ट प्रावधानों में संशोधन कर पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना।
- मानवाधिकार हनन पर स्वतंत्र निरीक्षण के माध्यम से नियंत्रण सुनिश्चित करना।
- विद्रोह के मूल कारणों को दूर करने के लिए पूर्वोत्तर राज्यों का सामाजिक और आर्थिक विकास करना।
- सुरक्षा आवश्यकताओं और नागरिक अधिकारों की सुरक्षा के बीच संतुलित ढांचा स्थापित करना।