Air Quality Index

संदर्भ:
दिल्ली की वायु गुणवत्ता इस समय अधिकतर क्षेत्रों में ‘Very Poor’ (बहुत खराब) से लेकर ‘Severe’ या ‘Hazardous’ (गंभीर/खतरनाक) श्रेणी में दर्ज की जा रही है। समग्र Air Quality Index (AQI) लगभग 309 है, जबकि कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर स्तर 400 से अधिक दर्ज किया गया है, जो ‘Hazardous’ (खतरनाक) श्रेणी में आता है।
स्वास्थ्य परामर्श:
- वर्तमान वायु गुणवत्ता सभी के लिए गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर रही है। विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि स्थिति में सुधार होने तक बाहरी गतिविधियों को सीमित करें या पूरी तरह से टालें।
- संवेदनशील समूह जैसे बच्चे, बुजुर्ग और सांस से जुड़ी बीमारियों से पीड़ित लोग विशेष रूप से जोखिम में हैं। उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए या संभव हो तो शहर छोड़ने पर विचार करना चाहिए।
वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index – AQI):
परिभाषा: वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक संख्यात्मक पैमाना है जिसका उपयोग सरकारी एजेंसियाँ जनता को दैनिक वायु प्रदूषण के स्तर और उससे होने वाले स्वास्थ्य प्रभावों की जानकारी देने के लिए करती हैं। यह विभिन्न प्रदूषकों के जटिल आंकड़ों को एक आसान संख्या, विवरण और रंग कोड में बदल देता है ताकि लोग आसानी से समझ सकें।
यह कैसे काम करता है: AQI का मान वायु में मौजूद प्रमुख प्रदूषकों की एक निश्चित अवधि में मापी गई सांद्रता (concentration) के आधार पर तय किया जाता है। अधिकतर देशों में यह सूचकांक निम्नलिखित मुख्य प्रदूषकों पर आधारित होता है—
- ग्राउंड-लेवल ओज़ोन (O₃)
- कणीय प्रदूषण जिसमें PM₂.₅ और PM₁₀ शामिल हैं
- कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
- सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂)
- नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO₂)
- (भारत में अतिरिक्त रूप से) अमोनिया (NH₃) और सीसा (Lead – Pb)
हर निगरानी केंद्र पर इन सभी प्रदूषकों में से जिसका AQI मान सबसे अधिक होता है, उसे उस स्थान का AQI माना जाता है। जितना अधिक AQI मान होगा, वायु प्रदूषण का स्तर उतना ही अधिक और स्वास्थ्य के लिए उतना ही हानिकारक माना जाता है।
दिल्ली में गंभीर वायु प्रदूषण के कारण
दिल्ली का वायु प्रदूषण कई कारणों का मिश्रण है — लगातार स्थानीय उत्सर्जन (local emissions), मौसमी घटनाएँ, और मौसम व भौगोलिक स्थितियाँ जो मिलकर शहर के ऊपर दूषित हवा को फंसा देती हैं।
वायु गुणवत्ता खराब होने के प्रमुख कारण:
- स्थानीय प्रदूषण के अनेक स्रोत: दिल्ली में सालभर प्रदूषण के कई स्थायी स्रोत हैं —
- बड़ी संख्या में चलने वाले वाहन,
- निर्माण स्थलों से उठने वाली धूल,
- औद्योगिक गतिविधियाँ,
- कूड़े और ठोस ईंधन (solid fuel) का जलाना,
- कुछ घरों में हीटिंग के लिए कोयला या लकड़ी का उपयोग।
- पराली जलाने का मौसम: हर सालअक्टूबर से नवंबरके बीच पास के राज्यों (मुख्यतः पंजाब, हरियाणा आदि) के किसान फसल कटाई के बाद बची हुई पराली जलाते हैं ताकि खेत जल्दी साफ हो सकें। इनसे उठने वाला धुआँ हवा के साथ दिल्ली की ओर पहुँचता है, जिससे प्रदूषण स्तर अचानक बहुत बढ़ जाता है।
- खराब मौसम (सर्दियों की स्मॉग):
सर्दियों में हवा ठंडी और स्थिर हो जाती है। ऊपर की परत में मौजूद गर्म हवा एकढक्कन (lid) की तरह काम करती है और नीचे की ठंडी हवा में प्रदूषक फंस जाते हैं। इससेगाढ़ी, जहरीली स्मॉग बन जाती है। - भौगोलिक स्थिति का प्रभाव: दिल्ली एकभूमिबद्ध मैदानमें स्थित है। इसके पास हिमालय पर्वत श्रृंखला है, जो ठंडी हवा और प्रदूषकों को उत्तर दिशा की ओर जाने से रोकती है।
इससे दूषित हवा क्षेत्र में फंसी रहती है और समस्या और बढ़ जाती है।

