Akash-NG
संदर्भ:
हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा नई पीढ़ी की आकाश मिसाइल (Akash-NG) का उपयोगकर्ता मूल्यांकन परीक्षण (User Evaluation Trials – UET) सफलतापुर्वक किया गया, जो भारतीय रक्षा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए एक युगांतरकारी उपलब्धि है।
आकाश-एनजी (Akash-NG) क्या है?
आकाश-एनजी एक अत्याधुनिक सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (Surface-to-Air Missile – SAM) है। इसे मुख्य रूप से भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए विकसित किया गया है ताकि कम रडार क्रॉस-सेक्शन वाले फुर्तीले और खतरनाक हवाई खतरों (जैसे लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल और ड्रोन) को नष्ट किया जा सके।
- इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा किया गया जबकि इसका उत्पादन भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) द्वारा किया गया।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएं:
- मारक क्षमता (Range): इसकी मारक क्षमता लगभग 60 से 80 किलोमीटर है, जो पुराने आकाश संस्करणों (25-30 किमी) की तुलना में बहुत अधिक है।
- वजन: इसका वजन मूल संस्करण के 720 किलोग्राम की तुलना में लगभग 350 किलोग्राम है।
- प्रणोदन प्रणाली (Propulsion): इसमें डुअल-पल्स सॉलिड रॉकेट मोटर का उपयोग किया गया है। यह तकनीक मिसाइल को उड़ान के अंतिम चरण में भी उच्च गति और चपलता प्रदान करती है।
- सीकर तकनीक (Seeker): यह स्वदेशी रेडियो फ्रीक्वेंसी (RF) सीकर से लैस है, जो दुश्मन के लक्ष्य को सटीकता से ट्रैक करने और उसे बीच हवा में ही नष्ट करने में सक्षम है।
- कनस्तरीकृत प्रणाली (Canisterized System): मिसाइल को एक कनस्तर (Canister) में रखा जाता है, जिससे इसका परिवहन आसान होता है और रखरखाव की आवश्यकता कम हो जाती है।
- C2 सिस्टम: इसमें कंट्रोल और कम्युनिकेशन (सी2) सिस्टम शामिल हैं, जो मिसाइल की ‘रिएक्शन टाइम’ को कम करता है।
- भेदन क्षमता: इसमें एक साथ 10 लक्ष्यों को निशाना बनाने की क्षमता विकसित की गई है। जिससे यह प्रति 10 सेकंड में एक मिसाइल दाग सकता है।
महत्व:
- मल्टी-लेयर्ड एयर डिफेंस: आकाश-एनजी भारत की बहुस्तरीय हवाई रक्षा प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह LRSAM (Long Range) और MRSAM (Medium Range) के बीच की कड़ी को मजबूत करती है।
- सीमा सुरक्षा: चीन और पाकिस्तान के साथ बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए, यह प्रणाली ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों और मैदानी इलाकों दोनों में प्रभावी है।
- स्वदेशीकरण: इसका विकास DRDO की प्रयोगशालाओं और भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) व भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) जैसे सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा किया गया है।

