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अमृत भारत स्टेशन योजना (Amrit Bharat Station Scheme) | UPSC Preparation

Amrit Bharat Station Scheme

Amrit Bharat Station Scheme

संदर्भ:

हाल ही में सरकार ने संसद में बताया है कि अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS) के तहत दिसंबर 2025 तक 160 स्टेशनों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, जबकि 1300 से अधिक स्टेशनों की पहचान विकास के लिए की जा चुकी है। यह पहल रेलवे को आर्थिक विकास, क्षेत्रीय पहचान, पर्यावरणीय स्थिरता और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी का केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS) क्या हैं?

    • परिचय: अमृत भारत स्टेशन योजना (ABSS) भारतीय रेलवे स्टेशनों के आधुनिकीकरण और कायाकल्प के लिए एक दीर्घकालिक, चरणबद्ध योजना है। इसकी शुरुआत दिसंबर 2022 में भारतीय रेलवे द्वारा की गई। इस योजना के माध्यम से देश भर के स्टेशनों को अत्याधुनिक, सुलभ और सांस्कृतिक रूप से सशक्त परिवहन केंद्रों में बदला जा रहा है।
  • कार्यान्वयन: प्रत्येक स्टेशन की आवश्यकताओं का विस्तृत मूल्यांकन कर दीर्घकालिक मास्टर प्लान तैयार किया जाता है। इस योजना के अनुसार चरणबद्ध तरीके से बुनियादी ढांचे को उन्नत किया जाता है।

अमृत भारत स्टेशन योजना की विशेषताएं:

  • आधुनिकता और सुगम पहुंच:यह योजना स्टेशनों को यात्री-अनुकूल और स्वच्छ बनाने पर केंद्रित है, जिसके अंतर्गत साइनेज सुधार, लिफ्ट-एस्केलेटर, दिव्यांग-अनुकूल ढांचा, चिन्हित पैदल मार्ग, पार्किंग सुविधा और चौड़ी सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। 

  • स्थानीय संस्कृति का समावेश: ABSS प्रत्येक स्टेशन को उसके शहर की पहचान का दर्पण बनाने पर बल देती है। डिज़ाइन में मधुबनी चित्रकला, काकतीय स्थापत्य, राजस्थानी शैली जैसी क्षेत्रीय कला और शिल्प को सम्मिलित किया जा रहा है।

  • व्यापक सुविधाओं का विकास: स्टेशनों पर रूफ प्लाज़ा, फूड कोर्ट, सुंदर अग्रभाग, बच्चों के खेलने के क्षेत्र, कियोस्क, कार्यकारी लाउंज, और मुफ्त वाई-फाई जैसी सुविधाएँ जोड़ी जा रही हैं। यह स्टेशन क्षेत्र को आर्थिक गतिविधियों के नए केंद्र में बदल रहा है।

  • सतत और पर्यावरण-अनुकूल विकास: यह योजना ग्रीन बिल्डिंग मानकों, LED लाइटिंग, जैव-शौचालय, और ऊर्जा-कुशल संरचनाओं के उपयोग पर आधारित है। भारतीय रेलवे का लक्ष्य 2030 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करना है, इसलिए ABSS को हरित नीतियों के साथ संरेखित किया गया है, और जहाँ संभव हो, गिट्टी-रहित ट्रैक भी अपनाए जा रहे हैं।

  • एकीकृत और मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी: स्टेशनों को शहरी परिवहन, बस स्टैंड, मेट्रो, टैक्सी सेवाओं और पैदल मार्गों के साथ बेहतर रूप से जोड़ा जा रहा है, ताकि यात्रियों को स्टेशन तक और स्टेशन से सुगम आवागमन मिल सके। यह व्यवस्था शहरों में आने-जाने की दक्षता बढ़ाती है और यातायात प्रबंधन को सुदृढ़ बनाती है।

इस योजना के लाभ:

  • यात्री सुविधाओं में बड़ा सुधार: पुनर्विकसित स्टेशनों पर आधुनिक प्रतीक्षालय, सुव्यवस्थित बैठने की जगह, स्वच्छ शौचालय, एस्केलेटर, वाई-फाई और अच्छी प्रकाश व्यवस्था उपलब्ध होने से यात्रियों के अनुभव में गुणात्मक सुधार आया है।

  • स्थानीय सहभागिता और आर्थिक विकास: स्टेशन पुनर्विकास में स्थानीय समुदाय के सुझावों और ‘एक स्टेशन, एक उत्पाद’ जैसी योजनाओं के माध्यम से स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे रोजगार और व्यापार को नई दिशा मिल रही है।

  • पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा दक्षता: 70,000 से अधिक कोचों में LED लाइटिंग, ट्रेनों में जैव-शौचालय, और स्टेशन परिसर में ऊर्जा-कुशल प्रणालियाँ पर्यावरण संरक्षण में योगदान देती हैं और रेलवे के कार्बन फुटप्रिंट को कम करती हैं।

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