Apni Pathshala

सिद्ध औषधियों से किशोरियों में एनीमिया का सफल उपचार

Download Today Current Affairs PDF

हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में इंडियन जर्नल ऑफ ट्रेडिशनल नॉलेज (IJTK) के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि सिद्ध दवाओं के मिश्रण का उपयोग किशोरियों में एनीमिया के उपचार में प्रभावी साबित हो रहा है। इस पहल का उद्देश्य एनीमिया के इलाज के लिए सिद्ध औषधियों के उपयोग को मुख्यधारा में लाना है।

एनीमिया के बारे में:

एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम हो जाती है या इन कोशिकाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कम हो जाती है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो रक्त में ऑक्सीजन को शरीर के विभिन्न भागों तक पहुँचाता है। जब हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होती है, तो शरीर के अंगों को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है, जिसके कारण कई तरह की समस्याएं हो सकती हैं।

एनीमिया के प्रकार:

  1. आयरन डेफिशिएंसी एनीमिया: यह सबसे आम प्रकार का एनीमिया है और शरीर में आयरन की कमी के कारण होता है। आयरन हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करता है, इसलिए इसकी कमी से हीमोग्लोबिन की कमी होती है।
  2. विटामिन डेफिशिएंसी एनीमिया: यह विटामिन बी12 और फोलेट की कमी के कारण होता है, जो लाल रक्त कणिकाओं के उत्पादन में सहायता करते हैं।
  3. अप्लास्टिक एनीमिया: यह दुर्लभ प्रकार का एनीमिया तब होता है जब शरीर पर्याप्त लाल रक्त कणिकाएं नहीं बना पाता। यह स्थिति अस्थि-मज्जा की समस्या के कारण उत्पन्न होती है।
  4. सिकल सेल एनीमिया: यह अनुवांशिक प्रकार का एनीमिया है, जिसमें असामान्य आकार की RBC बनती हैं, जो आसानी से टूट जाती हैं और ऑक्सीजन का परिवहन सही तरीके से नहीं कर पातीं।
  5. हेमोलिटिक एनीमिया: इसमें लाल रक्त कणिकाएं जल्दी टूटने लगती हैं और शरीर उन्हें पर्याप्त मात्रा में पुन: उत्पन्न नहीं कर पाता।
  6. एनीमिया के कारण:

    एनीमिया कई कारणों से हो सकता है, जिनमें शामिल हैं:

    • आयरन की कमी: आयरन हीमोग्लोबिन बनाने के लिए आवश्यक होता है। आयरन की कमी से एनीमिया सबसे आम प्रकार का एनीमिया है।
    • विटामिन बी12 या फोलेट की कमी: ये विटामिन भी हीमोग्लोबिन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • अस्थि मज्जा की समस्याएं: अस्थि मज्जा लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करती है। अस्थि मज्जा की बीमारियों के कारण लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो सकता है।
    • रक्त का अत्यधिक नुकसान: चोट, सर्जरी या अल्सर के कारण रक्त का अत्यधिक नुकसान होने से एनीमिया हो सकता है।
    • लाल रक्त कोशिकाओं का तेजी से नष्ट होना: कुछ बीमारियों या दवाओं के कारण लाल रक्त कोशिकाएं तेजी से नष्ट हो सकती हैं।
    • वंशानुगत रोग: कुछ प्रकार के एनीमिया वंशानुगत होते हैं, जैसे सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया।

    एनीमिया के लक्षण:

    एनीमिया के लक्षण व्यक्ति से व्यक्ति में भिन्न हो सकते हैं और एनीमिया की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। कुछ सामान्य लक्षणों में शामिल हैं:

    • थकान
    • कमजोरी
    • चक्कर आना
    • सांस लेने में तकलीफ
    • त्वचा का पीला पड़ना
    • दिल की धड़कन बढ़ जाना
    • सिरदर्द

    शोधकर्ताओं और संस्थानों की भूमिका:

    • इस अध्ययन में राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान (NIS), आयुष मंत्रालय, जेवियर रिसर्च फाउंडेशन, तमिलनाडु, और वेलुमैलु सिद्ध मेडिकल कॉलेज और अस्पताल, तमिलनाडु के प्रतिष्ठित शोधकर्ता शामिल थे।
    • उन्होंने एबीएमएन (अण्णापेतिसेंतूरम, बावना कटुक्कय, माटुलाई मणप्पक्कु, और नेल्लिकके लेकियम) नामक सिद्ध दवाओं के मिश्रण से किशोर लड़कियों में हीमोग्लोबिन, पीसीवी, एमसीवी और एमसीएच जैसे महत्वपूर्ण मानकों में सुधार पाया।

    एनीमिया उपचार के लिए 45-दिवसीय सिद्ध कार्यक्रम:

    • इस अध्ययन में 2,648 किशोरियों को शामिल किया गया, जिसमें से 2,300 लड़कियों ने 45-दिवसीय मानक सिद्ध उपचार कार्यक्रम पूरा किया।
    • कार्यक्रम से पहले, सभी प्रतिभागियों को कृमि संक्रमण से मुक्त किया गया और फिर उन्हें एबीएमएन मिश्रण दिया गया।

    एनीमिया के लक्षणों में सुधार:

    • शोधकर्ताओं ने कार्यक्रम के दौरान और बाद में सांस फूलना, थकान, चक्कर आना, सिरदर्द और भूख न लगने जैसे नैदानिक लक्षणों का आकलन किया।
    • साथ ही, उन्होंने पाया कि सिद्ध औषधियों ने एनीमिया के कई लक्षणों में सुधार किया और लड़कियों के हीमोग्लोबिन, पीसीवी, एमसीवी और एमसीएच के स्तर में भी उल्लेखनीय बढ़ोतरी की।

    अध्ययन का महत्व:

    • अध्ययन के निष्कर्षों पर चर्चा करते हुए राष्ट्रीय सिद्ध संस्थान, ने कहा, “सिद्ध औषधियां आयुष मंत्रालय की सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। सिद्ध दवाएं न केवल प्रभावी उपचार प्रदान कर रही हैं बल्कि यह एनीमिया के लिए लागत प्रभावी और सुलभ उपचार भी हैं, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य में बड़ा योगदान दे सकती हैं।”

    निष्कर्ष

    यह अध्ययन एनीमिया के उपचार में सिद्ध दवाओं की प्रभावशीलता और सार्वजनिक स्वास्थ्य में उनके योगदान को रेखांकित करता है, जो आने वाले समय में और भी बड़े पैमाने पर अपनाया जा सकता है।

Explore our courses: https://apnipathshala.com/courses/

Explore Our test Series: https://tests.apnipathshala.com/

Scroll to Top